
हरतालिका तीज का पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 26 अगस्त दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन माता पार्वती, महादेव और गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. महिलाएं पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं करतीं और शाम को 16 शृंगार कर मां पार्वती की पूजा करती हैं.
पूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज पर 26 अगस्त को गौरी-शंकर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 5:56 बजे से सुबह 8:31 बजे तक रहेगा. व्रत का पारण बुधवार को सूर्योदय के बाद किया जाएगा. पौराणिक कथा के मुताबिक मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उसी तप से ही इस हरतालिका व्रत की शुरुआत हुई.
हरतालिका तीज व्रत के दौरान इन नियमों का करें पालन
1. हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है. इस व्रत के दौरान सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता.
2. एक बार यह व्रत शुरू करने के बाद इसे जीवन भर नियमपूर्वक करना पड़ता है.
3. इस दिन महिलाओं को दिन में सोना नहीं चाहिए और रात को भी जागरण शुभ माना जाता है.
4. हरतालिका तीज के दिन भजन-कीर्तन करना और भगवान शिव-पार्वती के नाम का जाप करने से व्रत का पुण्य बढ़ जाता है.
5. हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को अपनी मांग खाली नहीं रखनी चाहिए. इस दिन सोलह शृंगार करना चाहिए.
6. इस दिन काले रंग के वस्त्र और काली रंग की चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए. इस दिन हरे और लाल रंग के परिधान धारण करने चाहिए.
7. हरतालिका तीज के दिन पति-पत्नी के बीच विवाद नहीं होना चाहिए.
8. मासिक धर्म में हैं तो हरतालिका तीज का व्रत न करें. यदि मन से संकल्प करना चाहें तो केवल ध्यान, मंत्र-जप और मानसिक पूजा करें और पूजा सामग्री को छूने से बचें.
9. पौराणिक मान्यता है कि इस कठोर तपस्या के माध्यम से देवी पार्वती की तरह अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है. पति के जीवन में दीर्घायु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
हरतालिका तीज की पूजा विधि
1. हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल (सायंकाल) में किया जाता है.
2. इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करेंगी और हरे या लाल रंग के वस्त्र पहनेंगी.
3. पूजा स्थान पर चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करेंगी.
4. सबसे पहले गणेश जी का पूजन किया जाएगा, इसके बाद गौरी-शंकर की विधि-विधान से पूजा होगी.
5. मां गौरी को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित की जाएगी और हरितालिका तीज व्रत कथा सुनी जाएगी.
नहाय-खाय से पर्व की शुरुआत
25 अगस्त 2025 को दोपहर 12:34 बजे से हरितालिका तीज की तृतीया तिथि का प्रारंभ हुआ. परंपरा के अनुसार, महिलाएं नहाय-खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत करती हैं. सुबह स्नान कर रसोई को साफ किया जाता है और शुद्धता का ध्यान रखते हुए भोजन तैयार किया जाता है. इसके बाद भगवान को भोग अर्पित कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है.