
Ekadashi Vrat: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इसे पद्मा एकादशी और जयंती एकादशी भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. यह व्रत पापों का प्रायश्चित करता है और भौतिक सुख-संपन्नता के साथ परलोक में मुक्ति प्रदान करता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है.
परिवर्तनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर2025 को रखा जाएगा. पंचांग अनुसार परिवर्तनी एकादशी के दिन पूजा व दान का शुभ समय सुबह के दौरान लाभ व अमृत मुहूर्त में 06:00 एएम से 09:10 एएम तक व शाम को 05:05 पीएम से 06:40 पीएम तक रहेगा. इस व्रत का पारण अगले दिन यानी 4 सितंबर 2025 को दोपहर 01:36 से 04:07 बजे के बीच होगा.
परिवर्तनी एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा
1. परिवर्तनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
2. प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें.
3. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें.
4. भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें.
5. भगवान गणेश को मोदक और दूर्वा अर्पित करें.
6. पूजा के दौरान पहले 'ओम गणपतये नमः' मंत्र का जप करें और फिर 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें.
7. इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है. अन्न का सेवन न करें और जलाहार या फलाहार ग्रहण करें.
8. पूजा के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को अन्न, वस्त्र, जूते या छाते का दान करें. ऐसा करने से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं.
संतान प्राप्ति और धन लाभ के लिए करें ये उपाय
परिवर्तनी एकादशी पर संतान प्राप्ति के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं. भगवान गणेश को अपनी उम्र के बराबर लड्डू अर्पित करें. यदि यह संभव न हो तो 11 लड्डू या 11 मोदक अर्पित करें. इसके बाद 'संतान गणपति स्रोत' का पाठ करें या 'ओम उमापुत्राय नमः' मंत्र का 108 बार जप करें. पति-पत्नी पहले प्रसाद ग्रहण करें और बाद में इसे बांट दें. यह उपाय संतान प्राप्ति में सहायक माना जाता है. धन लाभ के लिए भगवान गणेश को पीले फूल और पीला भोग अर्पित करें. ओम श्रीम सौम्याय सौभाग्यय गण गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जप करें.