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रक्षाबंधन के दिन कितने बजे तक रहेगा भद्राकाल, मुहूर्त और सही तिथि के बारे में जानिए

इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाए या फिर 12 अगस्त को इसको लेकर लोगों के मन में दुविधा है. लोग जानना चाहते हैं कि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया तो नहीं. भाई की कलाई पर राखी बांधने का सबसे पुण्यकारी फलकारी और शुभकारी योग कौन सा है.

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राखी यानी रक्षा का पर्व... जो भी आपकी रक्षा करने वाला है उसके प्रति आभार दर्शाने के लिए आप उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं, लेकिन रक्षा बंधन के त्योहार से पहले सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर रक्षा बंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 12 अगस्त को. इस बार 11 अगस्त यानी सावन पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया है इसलिए ये सवाल और भी बड़ा हो जाता है. आईये इस आर्टिकल में इस सवाल का जवाब शास्त्रीय गणना के अनुसार जानते हैं. 

11 अगस्त पर राखी के 5 शुभ मुहूर्त 

  • अभीजीत मुहूर्त-  सुबह 11.37 बजे से 12.29 बजे तक
  • विजय मुहूर्त-  दोपहर 2.14 बजे से 3.07 बजे तक 
  • गोधूली मुहूर्त- शाम 6.23 बजे से 6.47 बजे तक
  • संध्या मुहूर्त- शाम 6.36 बजे से 7.42 मिनट तक 
  • अमृतकाल मुहूर्त- शाम 6.55 बजे से 8.20 बजे तक

इन पांच मुहूर्त के साथ -साथ 11 अगस्त को अयुष्मान योग,सौभाग्य योग और धनिष्ठा नक्षत्र होने के कारण शोभन योग भी प्राप्त हो रहा है और सुबह 5.30 बजे से सुबह 6.53 बजे तक रवि योग भी रहेगा. 

कब मनाई जाएगी राखी

आमतौर पर रक्षा बंधन का त्योहार सावन माहीने की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. इस बार सावन की पूर्णिमा 11 अगस्त को लग रही है. जो सुबह  10.38 से शुरू होकर 12 अगस्त सुबह 7.05 बजे तक रहेगी. ऐसे में राखी बाधंने का शुभ मुहूर्त 12 अगस्त सूर्योदय से सुबह 7.05 बजे तक का है. 

इस बार रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का साया रहने वाला है. इसीलिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाने का सबसे शुभ योग 12 अगस्त की सुबह का है. 11 अगस्त के दिन सावन की पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो जाएगा, लेकिन अगर आप 12 अगस्त को सूर्योदय के बाद भाई की कलाई पर सिंह लग्न में राखी बांधेंगे तो वो सबसे ज्यादा पुण्यकारी होगा.

भद्राकाल का समय 

  • सावन पूर्णिमा 11 अगस्त सुबह 10.38 बजे से शुरू होगी
  • भद्राकाल सुबह से रात 8.51 बजे तक रहेगा
  • 12 अगस्त सुबह 7.05 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी
  • भद्रा पुंछ शाम 5.17 से लेकर 6.18 तक रहेगा. 
  • इसके बाद 6.18 से रात 8 बजे तक मुख भद्रा रहेगी 
  • रात 8.51 बजे भद्रा समाप्ति होगी
  • रक्षा बंधन का प्रदोष काल रात 8.51 बजे से 9.14 तक है

आखिर भद्रा काल को अशुभ क्यों मानते हैं 

भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं, शनि की भांति इसका स्वभाव भी क्रूर है. भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है इसके विपरित भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित है. भद्रा राशि अनुसार तीनों लोकों में भ्रमण करती है. पृथ्वीलोक में इसके होने से शुभ कार्य में विघ्न आते है.तो भद्रा काल में अगर आप अपने भाई को राखी न बांधे तो न केवल आपका रिश्ता अटूट हो जाएगा बल्कि दुख और तकलीफ साल भर तक आपको और आपके भाई को छू भी नहीं पाएंगे.