
हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व बताया गया है. देवों के देव महादेव का यह प्रिय माह है. इस माह भोलेनाथ के भक्त कांवड़ में जलभकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. वे 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए जाते हैं.
इस बार सावन का महीना 11 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 दिन शनिवार को समाप्त होगा. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सावन माह में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से सातों जन्मों का पाप मिट जता है. भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई शिव भक्त 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक का भी सावन में दर्शन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. हम आपको आज 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व और उनसे जड़ी कथाओं के बारे में बता रहे हैं. शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विस्तृत वर्णन मिलता है. इन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास माना जाता है.
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है.शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी. यहां चंद्र देव ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी. सोमनाथ की पूजा करने से चंद्र दोष और मन से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती है.
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों में इसका दूसरा स्थान है. यहां पर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों के मंदिर एक साथ हैं. मान्यता है यहां पूजा-अर्चना करने से अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले पुण्य के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है.
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकाल के रूप में पूजित है. यह शिवलिंग स्वयंभू माने जाते हैं. महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. यहां भगवान शिव की दिन में 6 बार आरती की जाती है. इसकी शुरुआत भस्म आरती से ही होती है. इसे मंगला आरती भी कहा जाता है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में सुबह की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है.
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मालवा क्षेत्र में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है. यह पवित्र स्थान नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर स्थित है. इसका आकार ॐ जैसा है. मान्यता है कि भगवान शिव रात्रि विश्राम के लिए यहां पधारते हैं और माता पार्वती के साथ चौसर खेलते हैं. यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है. महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है.
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
हिमालय की गोद में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है. यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में केदार नामक चोटी पर स्थित है. यह समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां तप किया था
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के पुणे के पास 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि नामक पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है. यह शिवलिंग विशाल और गोलाकार है. इसी के कारण स्थानीय लोग इसे मोटेश्वर महादेव भी कहते हैं. भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह ज्योतिर्लिंग छठवां ज्योतिर्लिंग माना गया है.
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग यूपी के वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर भगवान शिव का सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. मान्यता है कि काशी नगरी शिवजी के त्रिशूल पर टिकी हुई है और यह नगर कभी विनाश को प्राप्त नहीं होती. यहां सावन के महीने में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. यहां रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है.
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है. यहां पर तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह स्थान कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है.
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है. मयूराक्षी नदी के तट पर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्वप्रसिद्ध है. माना जाता है कि भगवान राम ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी. इस ज्योतिर्लिंग को रावणेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने 9 सिर अर्पित कर दिए थे. यह विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यहां माता सती का हृदय कट कर गिरा था इसलिए इसे हृदय पीठ भी कहते हैं. शक्तिपीठ होने के कारण महिलाएं यहां से प्रसाद के रूप में सिंदूर जरूर चढ़ाती हैं. मान्यता है कि बाबा भोले के भक्त जब सावन में बाबा बैजनाथ मंदिर में कांवड़ लेकर आते हैं तो उन्हें शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान भोले शंकर को जल चढ़ने के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु देवघर से करीब 108 किलोमीटर दूर बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा के बाद बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं.
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के द्वारिका के पास स्थित है. रुद्र संहिता में शिव को ‘दारुकावन नागेशम’ के रूप में बताया गया है. नागेश्वर का अर्थ है नागों के देवता. जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है उन्हें यहां धातुओं से बने नाग-नागिन अर्पित करते हैं.
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में समुद्र के किनारे स्थित है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद यहां रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी. यही कारण है कि इसका नाम रामेश्वरम पड़ा. यह ज्योतिर्लिंग शिव और राम के मिलन का प्रतीक है. रामेश्वर तीर्थ चार धाम में से एक है. माना जाता है कि यहां स्थित शिवलिंग के दर्शन मात्र से तमाम रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के पास स्थित है. यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है. इसे घुश्मेश्वर भी कहा जाता है. यह स्थान एक भक्त महिला घुश्मा की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जिन्होंने अपने बेटे की मृत्यु के बाद भी भगवान शिव की भक्ति नहीं छोड़ी. अंततः शिव जी ने प्रसन्न होकर उनके पुत्र को पुनर्जीवित किया.