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आस्था और प्रेम की अनोखी मिसाल! पत्नी आशा ने दिव्यांग पति सचिन को कंधों पर उठाकर पूरी की 170 किमी की कांवड़ यात्रा! देखें वीडियो 

जब हरिद्वार की गलियों में "हर हर महादेव" के जयकारे गूंज रहे थे, आशा और सचिन की यह जोड़ी हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी. आशा ने अपने दिव्यांग पति सचिन को कंधों पर बिठाकर न केवल 170 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया, बल्कि सावन के पहले सोमवार को हर की पौड़ी से गंगाजल भरकर दक्षेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक भी किया.

आस्था और प्रेम की अनोखी मिसाल! आस्था और प्रेम की अनोखी मिसाल!

सावन का पहला सोमवार भगवान शिव की भक्ति में डूबा हुआ है, और उत्तर प्रदेश के मोदीनगर की आशा ने अपने पति सचिन के लिए ऐसी मिसाल पेश की है, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गई है. आशा ने अपने दिव्यांग पति सचिन को कंधों पर उठाकर 170 किलोमीटर की कठिन कांवड़ यात्रा पूरी की और हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में गंगाजल से जलाभिषेक किया. यह कहानी न केवल आस्था और समर्पण की है, बल्कि पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास की भी जीवंत मिसाल है.

आस्था और प्रेम की अनोखी मिसाल
जब हरिद्वार की गलियों में "हर हर महादेव" के जयकारे गूंज रहे थे, आशा और सचिन की यह जोड़ी हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी. आशा ने अपने दिव्यांग पति सचिन को कंधों पर बिठाकर न केवल 170 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया, बल्कि सावन के पहले सोमवार को हर की पौड़ी से गंगाजल भरकर दक्षेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक भी किया. यह दृश्य देखकर वहां मौजूद भक्तों की आंखें नम हो गईं और हर कोई इस जोड़े की भक्ति और समर्पण की तारीफ करता नजर आया. 

आशा ने बताया, "मैंने पहले हर की पौड़ी से गंगाजल भरा. मेरे पति सचिन ने कहा कि वह भगवान भोलेनाथ की ससुराल, यानी दक्षेश्वर महादसलमदेव मंदिर में दर्शन और जलाभिषेक करना चाहते हैं. इसके बाद ही हम अपनी कांवड़ यात्रा शुरू करेंगे." आशा ने आगे कहा, "पिछले साल मेरे पति की कोई नस दबने की वजह से वह दिव्यांग हो गए थे. इससे पहले वह हर साल कांवड़ यात्रा पर आया करते थे. इस बार मैंने ठान लिया कि उनकी यह इच्छा पूरी करूंगी. मैं भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करती हूं कि वह मेरे पति को पहले की तरह स्वस्थ करें."

सचिन की भावुक बातें
सचिन, जो अब चलने-फिरने में असमर्थ हैं, ने अपनी पत्नी आशा की तारीफ में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा, "भगवान किस्मत वालों को ही ऐसी पत्नी देता है. मैंने जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे, तभी मुझे आशा जैसी पत्नी मिली. वह मेरे बच्चों को संभालती है और अब मुझे भी कंधों पर उठाकर यह पवित्र यात्रा पूरी करवा रही है." सचिन ने बताया कि पिछले साल अचानक नस दबने की वजह से उनका चलना-फिरना मुश्किल हो गया, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई.

प्रशासन का सहयोग
बता दें, हरिद्वार में कांवड़ यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए जिला प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं. हरिद्वार पुलिस ने बताया कि यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए 200 सीसीटीवी कैमरे, आठ ड्रोन और 1,500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. इसके अलावा, कांवड़ियों के लिए स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है. यह सभी व्यवस्थाएं इस पवित्र यात्रा को और भी व्यवस्थित और भव्य बनाती हैं. 

(मुदित अग्रवाल की रिपोर्ट)