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व्रत और उपवास में क्या है अंतर? इसका महत्व और लाभ जानिए

व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. अन्य या सामान्य लोगों को जलीय उपवास रखना चाहिए. व्रत में अधिक से अधिक समय ईश्वर ध्यान या उपासना में लगाना चाहिए.

Vrat (Photo: PTI) Vrat (Photo: PTI)

व्रत या उपवास वैज्ञानिक रूप से भी रखा जाता है और अध्यात्मिक रूप से भी. इसका मूल उद्देश्य वैज्ञानिक रूप से शरीर को स्वस्थ्य रखना होता है. अध्यात्मिक रूप से व्रत से मन और आत्मा को नियंत्रित किया जाता है. अलग अलग तिथियां अलग अलग तरह से मन और शरीर पर असर डालती हैं. जिसको ध्यान में रखकर अलग अलग तिथियों और दिनों का उपवास या व्रत का विधान बनाया गया है. विशेष तिथियों या दिनों को व्रत-उपवास रखने से शरीर और मन तो शुद्ध होता ही है ,मनचाही इच्छाएँ भी पूरी होती हैं.

उपवास का क्या है अर्थ?
उपवास में उप का अर्थ समीप और वास का अर्थ है बैठना या रहना, यानि अपने भगवान में ध्यान लगाकर बैठना. उनका नाम जपना और उनकी स्तुति करना. उपवास में निराहार रहना पड़ता, यानि बिना आहार ग्रहण करें हुए रहना पड़ता है. वहीं, व्रत का अर्थ का किसी चीज का संकल्प लेकर व्रत का पालन करना, इसे व्रत कहा जाता है. आप किसी भी एक समय व्रत में खाना खा सकते है.

हिंदू धर्म में पूरे साल में कई व्रत आते हैं. धार्मिक आधार पर व्रत को श्रद्धा और भक्ति से जोड़कर देखा जाता है. आजकल लोग वजन घटाने से लेकर फिटनेस बढ़ाने तक कई चीजों के लिए व्रत करते हैं. माना जाता है कि व्रत रहने से न सिर्फ मोटापा कम होता है, बल्कि दिमाग भी एक्टिव होता है. 

कैसे रखना चाहिए व्रत?
व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. अन्य या सामान्य लोगों को जलीय उपवास रखना चाहिए. व्रत में अधिक से अधिक समय ईश्वर ध्यान या उपासना में लगाना चाहिए. बहुत जरूरी हो तो फलाहार कर सकते हैं. व्रत की समाप्ति अगले दिन सूर्योदय के बाद निम्बू पानी पीकर करनी चाहिए. अगले दिन पारायण करने के पूर्व भोजन या अन्न का दान करना चाहिए.

सनातन धर्म में साल भर ही किसी न किसी देवता के निमित्त या तिथि के कारण उपवास रखा जाता है. जिनसे तन और मन की शुद्धि होती है. विज्ञान भी ये मानता है कि व्रत रखने के तन और मन की सफाई हो जाती है. जिसका सीधा सरोकार हमारे शरीर से होता है. और व्रत से ही जुड़ी है अंतर्मन की साधना. जिसे रखकर मन और मस्तिष्क में ताजगी का संचार होता है.

व्रत रखने से होने वाले लाभ-
व्रत रखने से बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है, जो लोग लगातार ऑयली फूड या जंक फूड का सेवन करते हैं. उनके पेट में भारीपन और एसिडिटी की समस्या बनी रहती है. ऐसे में व्रत करने से पेट के साथ पूरे शरीर को आराम मिलता है. उपवास रखने से शरीर डिटॉक्स हो जाता है. व्रत के दौरान ऑयली भोजन से परहेज करना चाहिए. व्रत में सात्विक भोजन का सेवन करने से पेट साथ हमारी स्किन को भी फायदा होता है.

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