

अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के बाद अब शिनाख्त की प्रक्रिया तेजी से जारी है. कल से शुरू हुई डीएनए सैंपलिंग प्रक्रिया में अब तक 190 सैंपल इकट्ठे किए जा चुके हैं, जिन्हें फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) भेजा गया है. यह सैंपल परिजनों और घटनास्थल से मिले अवशेषों से लिए जा रहे हैं, ताकि शवों की पहचान की जा सके और परिजनों को उनका अंतिम संस्कार करने का अधिकार मिल सके.
डीएनए सैंपलिंग की जा रही
गृह मंत्री अमित शाह ने हादसे के बाद घटनास्थल का जायजा लिया था इसी दौरान उन्होंने मृतकों के परिजनों को दिलासा दिलाया कि विमान में सवार 242 में से 241 लोगों का निधन हुआ है, उनकी पहचान डीएनए टेस्ट से कराई जाएगी. 1000 से ज्यादा DNA टेस्ट किए जाएंगे.
72 घंटे में रिपोर्ट की उम्मीद
FSL अधिकारियों के मुताबिक, DNA टेस्ट के नतीजे आने में कम से कम 72 घंटे का समय लगता है. हादसे की भयावहता इतनी ज़्यादा है कि कई शवों की हालत पहचानने लायक नहीं रही. ऐसे में डीएनए जांच ही एकमात्र जरिया है, जिससे यह साफ हो सकेगा मरने वाला शख्स कौन है. रेस्क्यू टीम ने बताया कि घटनास्थल से संपूर्ण शव नहीं बल्कि शरीर के टुकड़े मिले, जिन्हें बायो बैग्स में डालकर लाया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे घटनास्थल
पीएम मोदी शुक्रवार सुबह अहमदाबाद पहुंचे. सबसे पहले वे घटनास्थल का दौरा करने पहुंचे. इसके बाद वे सिविल अस्पताल गए, जहां वे करीब 10 मिनट पीड़ितों से मिले. यह हादसा उनके लिए व्यक्तिगत रूप से भी दुखद है, क्योंकि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की भी इस त्रासदी में मौत हो चुकी है. विजय रुपाणी प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते थे.
क्यों कराई जाती है DNA टेस्टिंग
जब भी किसी बड़ी दुर्घटना या कोई अपराध होता तो सबसे बड़ी चुनौती होती है, शिनाख्त. आजकल इसका सबसे भरोसेमंद तरीका है डीएनए टेस्टिंग. आइए जानते हैं आसान भाषा में कि डीएनए टेस्ट कैसे होता है, कौन करता है और शवों की पहचान में डीएनए तकनीक कैसे मदद करती है.
क्या होता है DNA
डीएनए यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड, हमारे शरीर की पहचान होती है, जो हर एक कोशिका में मौजूद होता है. मारे शरीर की हर कोशिका में डीएनए मौजूद होता है, जो माता-पिता से हमें मिलता है और पूरी जिंदगी नहीं बदलता. टेस्ट के लिए कई जैविक चीजें जैसे खून, थूक, पसीना, पेशाब, स्पर्म, मल, बाल, दांत, हड्डियाम, स्किन इस्तेमाल की जाती हैं. ये चीजें किसी हादसे की जगह, अपराध स्थल या पीड़ित के शरीर से ली जाती हैं.
कैसे होता है काम?
अगर शव का चेहरा जल चुका है या शरीर के चिथड़े उड़ गए होते हैं, तो बाल, हड्डी, दांत, मांसपेशी या खून के नमूनों से डीएनए लिया जाता है. इसके बाद उस डीएनए को परिवार के किसी सदस्य (माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे) के डीएनए से मिलाया जाता है. अगर डीएनए मैच करता है, तो पुष्टि हो जाती है कि शव किसका है.
कैसे होती है डीएनए जांच?
डीएनए टेस्टिंग एक साइंटिफिक प्रोसेस है जिसमें ये 5 स्टेप होते हैं.
Extraction (निकासी): कोशिकाओं से डीएनए को अलग किया जाता है.
Quantitation (मात्रा): यह देखा जाता है कि कितना डीएनए मिला.
Amplification (गुणन): डीएनए की प्रतियां बनाई जाती हैं ताकि विश्लेषण हो सके.
Separation (विभाजन): डीएनए के टुकड़ों को अलग किया जाता है.
Analysis (विश्लेषण): मिले हुए डीएनए को पीड़ित या संदिग्ध के डीएनए से मिलाया जाता है.
गर्मी में खराब हो सकता है DNA
DNA टेस्टिंग केवल उन्हीं फॉरेंसिक लैब्स में होती है जो FBI के मानकों पर खरे उतरते हैं. इसमें काम करने वाले फॉरेंसिक एनालिस्ट, क्राइम लैब एनालिस्ट या फॉरेंसिक साइंटिस्ट कहलाते हैं. इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि डीएनए जल्दी खराब हो सकता है, खासकर गर्मी और नमी में. इसलिए सूखे सैंपल्स को कमरे के तापमान पर रखा जाता है. लिक्विड सैंपल्स को हमेशा फ्रिज या कूल बॉक्स में रखा जाता है.