
क्या आपने सुना? दुनिया के सबसे चर्चित और विवादास्पद अरबपति एलन मस्क एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार मुसीबत उनके सिर पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में मंडरा रही है! उनकी कंपनी SpaceX, जो अंतरिक्ष की दुनिया में तहलका मचाने के लिए जानी जाती है, अब सूरज की गर्मी से जूझ रही है. जी हां, सूरज, जो सौरमंडल का राजा है, SpaceX के स्टारलिंक सैटेलाइट्स को आसमान से नीचे खींच रहा है!
नासा की एक ताजा रिसर्च ने खुलासा किया है कि सूरज की बढ़ती हरकतें पृथ्वी के सैटेलाइट्स को निशाना बना रही हैं, और सबसे ज्यादा मार SpaceX के स्टारलिंक सैटेलाइट्स पर पड़ रही है.
स्टारलिंक सैटेलाइट्स की बारिश!
सूरज हर 11 साल में अपने चक्र (सोलर साइकिल) के चरम पर पहुंचता है, और इस बार वह अपने पूरे शबाब पर है. इस दौरान होने वाली जियोमैग्नेटिक तूफानों की वजह से स्टारलिंक सैटेलाइट्स आसमान से टूटते सितारों की तरह धरती की ओर गिर रहे हैं. नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के अंतरिक्ष भौतिकीविद् डेनी ओलिविएरा की अगुवाई वाली एक टीम ने बताया कि 2020 से 2024 के बीच 523 स्टारलिंक सैटेलाइट्स पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर चुके हैं. और चौंकाने वाली बात? 2024 में अकेले 316 सैटेलाइट्स आसमान से गिरे, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है!
2019 में लॉन्च होने के बाद से स्टारलिंक सैटेलाइट्स की मुसीबतें 2020 में शुरू हुईं, जब दो सैटेलाइट्स धरती पर गिरे. इसके बाद 2021 में 78, 2022 में 99, और 2023 में 88 सैटेलाइट्स नीचे आए. लेकिन 2024 में यह संख्या आसमान छू गई! साइंस अलर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पाया कि सूरज की बढ़ती गतिविधि और सैटेलाइट्स के गिरने का सीधा संबंध है. सूरज की गर्मी से पृथ्वी का ऊपरी वायुमंडल गर्म हो रहा है, जिससे वायुमंडल का विस्तार हो रहा है. इससे लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मौजूद सैटेलाइट्स पर ड्रैग बढ़ रहा है, और वे अपनी ऑर्बिट से भटककर नीचे गिर रहे हैं.
सूरज का 11 साल का चक्र
आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये 11 साल का चक्र क्या बला है? दरअसल, सूरज हर 11 साल में अपनी गतिविधियों के चरम पर पहुंचता है. इस दौरान सोलर तूफान, सोलर ज्वालाएं, और सोलर इजेक्शन की संख्या बढ़ जाती है. ये सौर गतिविधियों पृथ्वी के वायुमंडल को गर्म करती हैं, जिससे वायुमंडल का विस्तार होता है. इस विस्तार की वजह से लो अर्थ ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट्स को ज्यादा प्रतिरोध (ड्रैग) का सामना करना पड़ता है. नतीजा? वे अपनी गति खो देते हैं और धीरे-धीरे धरती की ओर खींचे चले आते हैं.
स्टारलिंक सैटेलाइट्स का कमजोर कवच
अब सवाल यह है कि स्टारलिंक सैटेलाइट्स इतनी आसानी से क्यों गिर रहे हैं? बीजिंग के एयरोस्पेस नॉलेज मैगजीन के चीफ एडिटर वांग या'नान ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि आमतौर पर उच्च-मूल्य वाले सैटेलाइट्स में ऑटोमैटिक ऑर्बिट एडजस्टमेंट की क्षमता होती है, जो उन्हें सौर गतिविधियों के प्रभाव से बचाने में मदद करती है. लेकिन स्टारलिंक सैटेलाइट्स को कम लागत, हाई डेंसिटी, और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए डिजाइन किया गया है. इस वजह से उनकी ऑर्बिट एडजस्टमेंट क्षमता कमजोर है.
हालांकि, अच्छी खबर यह है कि ये सैटेलाइट्स वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल जाते हैं, जिससे ये धरती पर गिरकर नुकसान नहीं पहुंचाते. लेकिन इनके अनियंत्रित ढंग से गिरने से दूसरी स्पेसक्राफ्ट के लिए खतरा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इन सैटेलाइट्स की अप्रत्याशित गति लो अर्थ ऑर्बिट में मौजूद अन्य अंतरिक्ष यानों के लिए टक्कर का जोखिम पैदा कर सकती है.
एलन मस्क की मुसीबतें
एलन मस्क की कंपनी SpaceX की स्टारलिंक परियोजना का मकसद पूरी दुनिया को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना था, लेकिन सूरज की गर्मी ने इस सपने को झटका दे दिया है. मस्क की कंपनी ने हजारों सैटेलाइट्स लॉन्च किए, लेकिन सूरज की ताकत के सामने ये सैटेलाइट्स बेबस नजर आ रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है. सोलर एक्टिविटी हमेशा से सैटेलाइट्स को प्रभावित करती रही हैं. लेकिन स्टारलिंक की विशाल संख्या और उनकी कमजोर डिजाइन ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है.
वांग या'नान ने कहा, "जब सोलर एक्टिविटी बढ़ती हैं, तो ऊपरी वायुमंडल का तापमान बढ़ जाता है, जिससे सैटेलाइट्स और वायुमंडलीय अणुओं के बीच टक्कर बढ़ती है. इससे सैटेलाइट्स की गति धीमी हो जाती है और वे कक्षा से बाहर निकल जाते हैं."