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नासा के आर्टेमिस-1 ने बनाया नया रिकॉर्ड, पृथ्वी से 4 लाख किलोमीटर दूर पहुंच कर रच दिया इतिहास

चांद पर फतह पाने की दिशा में नासा ने इतिहास रच दिया है. पूरी आधी सदी बाद नासा ने एक ने एक बार फिर चांद का दरवाजा खटखटा दिया है. 16 नवंबर को नासा ने अपने मून मिशन का पहला चरण आर्टेमिस वन लॉन्च किया था, जिसने एक चांद की सतह के सबसे करीब पहुंच कर पहले ही इतिहास रच दिया है, अब आर्टेमिस के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज हो गया है.

नासा के आर्टेमिस-1 ने बनाया नया रिकॉर्ड नासा के आर्टेमिस-1 ने बनाया नया रिकॉर्ड
हाइलाइट्स
  • 6 दिन तक चांद की कक्षा में चक्कर लगाएगा अर्टेमिस 1

  • 2025 में चांद पर कदम रख सकेगा इंसान

नासा के मून मिशन को एक और कामयाबी मिली है. नासा के आर्टेमिस-1 ने नया रिकॉर्ड बनाया है. पृथ्वी से 4 लाख किलोमीटर दूर पहुंच कर इतिहास बनाया है. अपोलो 13 को पछाड़ अर्टेमिस-1 मून मिशन का नया हीरो बन गया है. पांच दिनों की लंबी यात्रा और अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर का सफर, नासा के आर्टेमिस वन ने इस मुश्किल सफर को आसानी से तय कर लिया और आखिरी अपोलो मिशन के बाद, चांद की सतह में दाखिल होने वाला ये पहला अंतरिक्ष यान बन गया. 

6 दिन तक चांद की कक्षा में चक्कर लगाएगा अर्टेमिस 1
नासा के मुताबिक, अर्टेमिस 1 का ओरियन कैप्सूल पृथ्वी से करीब 4 लाख 19 हजार 378 किलोमीटर दूर पहुंच गया है. इससे पहले साल 1972 में अपोलो-13 पृथ्वी से 2 लाख 48 हजार 655 मील यानी 4,00,171 किमी दूर पहुंचा था. नासा के मुताबिक अर्टेमिस 1 का ओरियन कैप्सूल लगभग 6 दिन तक चांद की कक्षा में चक्कर लगाएगा. जिसके बाद 11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में इसकी लैंडिंग होगी.

2025 में चांद पर कदम रख सकेगा इंसान
स्पेस एजेंसी के मुताबिक, इस मिशन की सफलता 2024 में आर्टेमिस 2 मिशन का भविष्य तय करेगी, नासा ने 53 साल बाद अपने मून मिशन आर्टिमिस के जरिये इंसानों को दोबारा चांद पर भेजने की योजना बनाई है. नासा के मिशन के मुताबिक इंसान 2025 में ना सिर्फ चांद पर कदम रख सकता है, बल्कि 1972 के अपोलो मिशन के यात्रियों से ज्यादा समय तक वहां वक्त भी गुजार सकता है.

चांद की सतह पर पहुंचने के लिए बेहद अहम मिशन
आर्टिमिस वन में कोई एस्ट्रोनॉट नहीं है, लेकिन भविष्य में एस्ट्रोनॉट्स को चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए ये मिशन बेहद अहम है. आर्टिमिस वन का कामयाब सफर वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष में नई राह खोलेगा. इस राह पर चलकर ही भविष्य में एक बार फिर इंसानों के कदम चांद पर पड़ेंगे.