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घर में बेकार पड़े प्लास्टिक की बोतल से वैज्ञानिकों ने बनाया हीरा, दुनिया हैरान

अगर हम कहें कि आपके घर के कूड़े में पड़े प्लास्टिक के ढेर में हीरा छुपा हुआ हो सकता है तो आपको यकीन नहीं होगा. जी हां, घरों से इकट्ठा किए गए प्लास्टिक कचरे से हीरा निकालने वाले वैज्ञानिकों के शोध ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है.

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हाइलाइट्स
  • प्लास्टिक कचरे से वैज्ञानिकों ने निकाला हीरा

  • बर्फीले ग्रहों पर होती है हीरे की बारिश

अल्ट्रापावरफुल लेजर का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने सस्ते प्लास्टिक को नैनोडायमंड में बदल दिया है. ये अपने आप में हैरान करने वाली लेकिन सच है. वैज्ञानिकों ने घर से निकलने वाले प्लास्टिक की बोलत पर किए गए एक रिसर्च में इसे सही साबित कर दिखाया है. अमेरिका के कैलिफोर्निया में एसएलसी नेशनल एक्सलरेटर ने लेजर का इस्तेमाल कर प्लास्टिक की बोतलों से कीमती हीरा बनाया है. ये शोध संभावित रूप से हमारे सौर मंडल में हीरे की बारिश के अस्तित्व को जाहिर कर सकते हैं और बता सकते हैं कि ठंडी दुनिया में ऐसे चुंबकीय क्षेत्र क्यों माजूद हैं. 

बर्फीले ग्रहों पर होती है हीरे की बारिश

नेपच्यून और यूरेनस जैसे बर्फीले ग्रहों को हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों का सबसे सामान्य रूप माना जाता है. यह दोनों ग्रह पृथ्वी से कई गुना बड़े हैं, जहां पर मीथेन गैस की अधिकता है. यूरेनस और नेप्च्यून ग्रह के अंदरूनी भागों में एट्मॉस्फियरिक प्रेशर बहुत ज्यादा होता है, जिसकी वजह से हाइड्रोजन और कार्बन के बॉन्ड टूट जाते हैं. इसके बाद उसमें मौजूद कार्बन के तत्व हीरे में बदल जाते हैं. इसका मतलब है कि हीरों की बारिश पूरे ब्रह्मांड में हो सकती है.

शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक की बोतल से बनाया हीरा

जर्मनी के एचजेडडीआर रिसर्च लैब के वैज्ञानिक और शोध के लेखकों में से एक डोमिनिक क्रॉस ने कहा कि इन ग्रहों पर हीरे की बारिश पृथ्वी पर बारिश की तुलना में काफी अलग है. शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक की बोतल से हीरा बनाने के लिए मीथेन की जगह पीईटी गैस का इस्तेमाल किया. इसमें आप्टिकल लेजर का इस्तेमाल करके प्लास्टिक को 10,800 डिग्री फारेनहाइट तक गर्म किया. इसके बाद इसमें हीरे जैसी संरचना बन गई.

हजार सालों से हो रही हीरे की बारिश

नैनोडायमंड्स को तापमान और चुंबकीय क्षेत्रों के लिए अल्ट्रास्मॉल और बहुत सटीक क्वांटम सेंसर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ये तकनीक प्लास्टिक प्रदूषण को भी कम कर सकती है. वैज्ञानिक इससे पहले भी यह बता चुके हैं कि यूरेनस और नेप्च्यून पर अत्यधिक उच्च दवाब और तापमान हाइड्रोजन और कार्बन को ठोस हीरे में बदल देता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले हजार सालों से ये हीरे धीरे-धीरे इन ग्रहों की बर्फीली सतह पर जमा हो रहे हैं. नेप्च्यून और यूरेनस में इन हीरों का आकार काफी बड़ा हो सकता है.