
मौसम की वजह से भारतीय अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजने का मिशन फिर टल गया है. अब 10 जून की बजाय 11 जून को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर मिशन लॉन्च होगा. शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय हैं, जो स्पेस में जाएंगे. इससे पहले राकेश शर्मा ने साल 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान से स्पेस में गए थे. शुभांशु शुक्ला का स्पेस मिशन राकेश शर्मा से कितना अलग है? चलिए समझते हैं.
राकेश शर्मा का मिशन कैसे था अलग-
राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं. उन्होंने साल 1984 में सोयूज टी-11 से स्पेस में गए थे. वो अब तक के अकेले भारतीय यात्री हैं, जो स्पेस में गए हैं. जबकि शुभांशु शुक्ला साल 2025 में स्पेस में जाएंगे. शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय होंगे, जो स्पेस यात्रा पर जाएंगे. शुभांशु का स्पेस मिशन 11 जून को शुरू होगा.
राकेश शर्मा का मिशन सोवियत नेतृत्व वाला कूटनीतिक इशारा था, जिसका भारत के लिए तत्काल सीमित तकनीकी प्रभाव था. जबकि शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम मिशन 4 एक प्राइवेट स्पेस मिशन है. यह अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपन एक्सिओम स्पेस और नासा के कोलेबोरेशन में यह मिशन हो रहा है.
राकेश शर्मा का मिशन भारत-सोवियत यूनियन की साझेदारी का नतीजा था. राकेश शर्मा ने इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के तहत उड़ान भरी थी. इसे यूएसएसआर और सहयोगी देशों के बीच सद्भावना और वैज्ञानिक सोच विकसित करने को लेकर बनाया गया था. इससे अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के क्लब में भारत भी शामिल हो गया था. जबकि शुभांशु शुक्ला का मिशन 2 सरकारों के बीच का समझौता नहीं है, बल्कि यह भारत और एक्सिओम स्पेस के बीच हुए एक सरकारी कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है. इसके लिए भारत ने करीब 530 करोड़ रुपए चुकाए हैं.
स्पेस में कितना समय-
राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट 7 में करीब 8 दिन बिताए. इस दौरान उन्होंन 43 प्रयोग किए. इसमें मुख्य तौर पर बायोमेडिसिन और रिमोट सेंसिंग शामिल थे. जबकि शुभांशु शुक्ला का मिशन 14 दिन का है. इस दौरान शुभांशु 60 एक्सपेरिमेंट करेंगे. यह ISS पर अब तक के सबसे अधिक शोध और विज्ञान से संबंधित गतिविधियां होंगी. लॉन्च होने के बाद अंतरिक्ष यान एक दिन 4 घंटे 49 मिनट के बाद ISS पर पहुंचेगा.
ये भी पढ़ें: