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भारतीय वैज्ञानिकों ने फिर किया कमाल, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की मदद से ढूंढा बिना चुंबकीय क्षेत्र वाला अनोखा बाइनरी स्टार

यह खोजे गए दूसरे बाइनरी स्टार्स की तुलना में बिलकुल अलग है. बाइनरी स्टार में हार्टबीट और पल्सेशन दोनों होते हैं. हार्टबीट नाम इंसान के दिल के इलेक्ट्रॉकार्डियोग्राम से निकला हुआ है. यह बाइनरी स्टार सिस्टम है, जहां हर तारा ‘सेंटर ऑफ मास’ के चारों तरफ उच्च अंडाकार कक्ष में यात्रा करता है.

Stars in night sky Stars in night sky
हाइलाइट्स
  • हार्टबीट वाले लगभग 180 तारों का चल चुका है पता 

  • 8 टेलीस्कोप की मदद से की गई खोज 

  • हार्टबीट स्टार का नहीं होता कोई चुंबकीय क्षेत्र

  • कई मायनों में महत्वपूर्ण है यह खोज 

भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक अनोखा बाइनरी स्टार ढूंढ निकाला है, जिसमें हार्टबीट है, लेकिन कोई पल्सेशन नहीं है, जैसा खोजे गए दूसरे बाइनरी स्टार्स की तुलना में बिलकुल अलग है. बाइनरी स्टार में हार्टबीट और पल्सेशन दोनों होते हैं. हार्टबीट नाम इंसान के दिल के इलेक्ट्रॉकार्डियोग्राम से निकला हुआ है. यह बाइनरी स्टार सिस्टम है, जहां हर तारा ‘सेंटर ऑफ मास’ के चारों तरफ उच्च अंडाकार कक्ष में यात्रा करता है. इस तारे का नाम प्रीसिप (एम-44) एचडी73619 रखा गया है, जो कर्क तारामंडल में स्थित है. हार्टबीट कर्क तारामंडल पृथ्वी के सबसे करीब स्थित खुले तारा मंडलों में से एक है.

हार्टबीट वाले लगभग 180 तारों का चल चुका है पता 

अभी तक कुल मिलाकर हार्टबीट वाले लगभग 180 तारों की खोज हो चुकी है. तारे जब बाइनरी सिस्टम के बेहद करीब होते हैं तो उनकी चमक और तीव्रता में अचानक से वृद्धि होती है और यह तीव्रता कई पार्ट्स प्रति हजार (पीपीटी) तक होती है. जैसे-जैसे ये घटक अलग होते जाते हैं, प्रकाश में अंतर कम होता जाता है और आखिरकार यह सपाट हो जाता है. इससे यह साफ होता है कि कुल तीव्रता कम हो गई है, जिससे लाइट कर्व्स में अधिक तीव्रता और उतनी ही कमी भी आ जाती है. ऐसे तारों की हार्टबीट से जुड़ी गतिविधि इन तारों के घटकों में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण होती हैं. ऐसा तब होता है जब ये तारे एक-दूसरे के बिल्कुल करीब होते हैं.

8 टेलीस्कोप की मदद से की गई खोज 

आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के डॉ संतोष जोशी के नेतृत्व में 33 वैज्ञानिकों की टीम ने फोटोमेट्रिक और एचडी73619 के हाई-रिजोल्यूशन वाले स्पेक्ट्रोस्कोपिक ऑब्जर्वेशंस का विश्लेषण किया. पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों की सतह पर स्थित 8 टेलीस्कोप की मदद से एचडी73619 की खोज की गई. एआरआईईएस भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग के तहत काम करने वाला एक संस्थान है. वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि एचडी73619 बाइनरी रासायनिक रूप से ऐसे अजीबोगरीब तारों के हार्टबीट सिस्टम्स का पहला सदस्य है, जो बेहद करीब आने की स्थिति में कोई हार्टबीट या कंपन नहीं दिखाता है. 

हार्टबीट स्टार का नहीं होता कोई चुंबकीय क्षेत्र

वैज्ञानिकों के डाटा से यह भी साफ हुआ कि नए खोजे गए हार्टबीट स्टार या तो काफी कमजोर होते हैं या फिर उनका कोई मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र नहीं होता है. कमजोर चुंबकीय क्षेत्र की स्थिति में तारे पर काले धब्बे बनते हैं, जबकि रोशनी वाले स्पॉट मजबूत चुंबकीय क्षेत्र के कारण बनते हैं. वैज्ञानिकों की इस खोज को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की प्रतिष्ठित साइंस मैगजीन ‘मंथली नोटिसेज ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी’ द्वारा प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया गया है.

कई मायनों में महत्वपूर्ण है यह खोज 

गैर-चुंबकीय तारों में दिखने वाले ऐसे धब्बों के कारण पैदा होने वाले असमानताओं के अध्ययन के लिहाज से यह खोज काफी महत्वपूर्ण है. यह खोज हार्टबीट संबंधी विविधताओं के मूल की जांच करने के लिहाज से भी अहम है. यह शोध नैनीताल-कैप सर्वे का नतीजा है, जो सीपी तारों में आने वाले हार्टबीट संबंधी बदलावों की जांच और अध्ययन के लिहाज से होने वाले सबसे लंबे जमीन आधारित सर्वे में से एक है. इस खोज की शुरुआत लगभग दो दशक पहले एरीज, नैनीताल और साउथ अफ्रीकन एस्ट्रोनोमिक ऑब्जर्वेटरी एसएएओ, कैप टाउन के खगोलविदों द्वारा की गई थी.