सावन मास का शनिवार, जिसे संपत शनिवार भी कहा जाता है, अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है. इस दिन भगवान शिव और शनिदेव की एक साथ उपासना करने का विशेष महत्व है. शनिदेव को भगवान शिव का शिष्य और दंड का अधिपति माना जाता है. इसलिए, शिव की उपासना से शनि के कष्टों से राहत मिल सकती है. सावन के शनिवार को शनिदेव की उपासना करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इसमें धन, विद्या, संतान, सुख, भवन, भूमि और वाहन जैसे भौतिक सुख के साधन अवश्य प्राप्त होते हैं. जो प्राणी सप्तमी तिथि पर, जिस दिन शनिवार पड़ता हो, शनिदेव की उपासना करता है, उसे अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. शनिदेव की कृपा से गरीबी दूर होती है, नि:संतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है, और व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकता है. सावन के शनिवार को शाम के समय शिव और शनि के मंत्रों का जाप करने, पीपल की परिक्रमा करने, सरसों के तेल का दीपक जलाने और काले वस्तुओं का दान करने से विशेष लाभ मिलता है. इस दिन किया गया दान और उपासना पूरे साल शनि पूजन की आवश्यकता को समाप्त कर देता है. साढ़े साती या ढैया से पीड़ित व्यक्ति भी इस दिन विशेष उपाय करके कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं. सात्विक आहार और सन्मार्ग पर चलने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. सावन के शनिवार को छाया दान करने से शरीर की विकृतियां दूर होती हैं. यह दिन नौकरी, रोजगार और कारोबार में तरक्की के लिए भी उत्तम माना जाता है.