बड़े होकर हम सभी अपनी पहचान बनाना चाहते हैं कोई डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहता है, तो कोई प्रशासनिक सेवा तो कोई कॉर्पोरेट के क्षेत्र में जाने के सपने देखता हैं. आज सपनों की उड़ान की कोई सीमा नहीं रही है. कर्मक्षेत्र का दायरा काफी विस्तार ले चुका है. लेकिन कई बार कुछ ऐसा होता है कि हमारी मेहनत में कोई कमी नहीं रहती. फिर भी हम अपने तय किए गए लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाते. ज्योतिष शास्त्र मानता है कि कौन, कब, क्या बनेगा. ये ग्रहों की चाल पर निर्भर करता है. हमारी कुंडली के भावों पर सफलता और विफलता के योग लिखे होते हैं. चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि कैसे हमारे आने वाले कल का निर्धारण ग्रह करते हैं.