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Badminton World Senior Championship: थाईलैंड में बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में उतरेंगे 58 साल के राजीव शर्मा, साल 2023 में जीता था गोल्ड मेडल

58 साल के बैडमिंटन खिलाड़ी राजीव शर्मा थाईलैंड में आयोजित होने वाली बैडमिंटन वर्ल्ड चैंयपिनशिप की तैयारी में जुटे हैं. वो रोजाना 4 से 5 घंटे अभ्यास कर रहे हैं. आज भी राजीव इस उम्र में युवा खिलाड़ियों पर भारी पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि खेलने की कोई उम्र नहीं होती और हर समय कुछ सीखने को मिलता है.

Rajeev Sharma (Photo/Social Media) Rajeev Sharma (Photo/Social Media)

खेल में जज्बा बड़ा होता है, उम्र मायने नहीं रखती. भारत के राजीव शर्मा ने यह साबित करके दिखाया है. थाईलैंड के पटाया में 7 से 14 सितंबर तक होने वाली बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में राजीव शर्मा देश का प्रतिनिधित्व करेंगे और अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए खेलेंगे. बीते साल इंडोनेशिया के खिलाड़ी जोको सुप्रियातो को हराकर राजीव वर्ल्ड चैंपियन बने थे.

2 साल पहले बने थे वर्ल्ड चैंपियन-
साल 2023 में साउथ कोरिया में 55 साल की उम्र में राजीव खेले व जीते. उसके बाद 55+ सिंगल्स कैटेगरी में इंडोनेशिया के खिलाड़ी जोको सुप्रियांतो को हरा कर गोल्ड मेडल जीता और वर्ल्ड चैंपियन के विजेता हुए. राजीव ने अपनी बैडमिंटन की शुरुआत 17 साल की उम्र में की थी. बाएं हाथ से खेलने वाले राजीव को शुरुआत में खास अभ्यास करना पड़ा. कई बार हार का मुंह देखना पड़ा. वो लड़कियों को अभ्यास कराते थे और इस दौरान खेल में हारते थे. लेकिन 1989 में उनके जीवन में टर्निंग पॉइंट आया. 1989 में 22 साल की उम्र में स्टेट चैम्पियनशिप जीती. 1990 में खेल कोटे पर CAG में जॉइन किया और 1989 से 1994 तक कई ऑल इंडिया बैडमिंटन टूर्नामेंट के सेमीफाइनल खेले पर एक सपना भारतीय टीम की जर्सी पहनना अधूरा रहा.

पूर्व इंटरनेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी मंजू शाह कंवर ने कहा कि राजीव की सबसे बड़ी ताकत उनका मानसिक तौर पर मजबूत होना है.  यह किसी भी खिलाड़ी की सबसे बड़ी ताकत होती है. राजीव जीत-हार के लिए नहीं खेलते, बल्कि उन्हें बैडमिंटन से प्यार है, इसलिए खेलते हैं.

टीबी की बीमारी से आई बड़ी मुसीबत-
1998 में जिंदगी ने कठिन परीक्षा ली. इस साल टीबी जैसी गम्भीर बीमारी हुई. डॉक्टर ने कहा कि खेल छोड़ दो. इसके बाद अस्थमा भी हो गया. एलोपैथी दवाओं से वजन बढ़ने लगा. लेकिन राजीव ने हार नहीं मानी व आयुर्वेद का सहारा लिया. 1999 में फिर से अभ्यास शुरू किया और 2004 में मेहनत रंग लाई. दिवंगत खिलाड़ी कुलविंदर पाल सिंह के साथ मलेशिया में हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप (35+ पुरुष डबल्स) में भारत का प्रतिनिधित्व किया और सिल्वर मेडल जीता.

डॉक्टरों ने कहा- खेलना छोड़ दो
लेकिन मुश्किलें खत्म नहीं हुईं. जल्द ही घुटने की मेनिस्कस सर्जरी हुई. डॉक्टर ने कहा कि दर्द हमेशा रहेगा, खेलना छोड़ दो. आत्मविश्वास टूट गया. तीन साल तक ताकत बढ़ाने, धैर्य और विश्वास से खुद को फिर खड़ा किया. फिर 2011 में जीवन ने एक नया मोड़ लिया. अपने ध्यान गुरु, आर्चना दीदी से दीक्षा मिली. उनके मार्गदर्शन और ध्यान की तकनीकों ने सोच बदल दी. लेकिन भारत के लिए खेलने का सपना मन में संजोए था. 2015 से वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दोबारा खेलना शुरू किया. कई बार क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे, कई बार जल्दी बाहर हुए. पर जुनून, मेहनत और समर्पण कभी नहीं छोड़ा. साल 2023 में 55 साल की उम्र में दक्षिण कोरिया के जिओनजु में हुए BWF सीनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिंगल्स (55+ कैटेगरी) में पहला गोल्ड मेडल जीता. वो सबसे खास पल था. विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी और बैडमिंटन के सितारे जोको सुप्रियांतो को हराना.

पूर्व इंटरनेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी अजय कंवर ने कहा कि राजीव बहुत ज्यादा अटैकिंग प्लेयर नहीं हैं, लेकिन खेलते समय उनका दिमाग बहुत अच्छा चलता है. उन्हें मालूम है कि किस समय कौन-सा स्ट्रोक खेलना है. इसके साथ ही, उन्हें यह भी समझ आ गया है कि मास्टर्स टूर्नामेंट्स में किस तरह खेलना चाहिए.

वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी में जुटे हैं राजीव-
राजीव ने बताया कि सितंबर महीने में थाईलैंड में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी में को लगे हुए हैं. प्रतिदिन 4 से 5 घंटे वो अभ्यास कर रहे हैं. आज भी राजीव इस उम्र में युवा खिलाड़ियों पर भारी पड़ते हैं और युवा खिलाड़ियों को उनके सामने एक पॉइंट करना भी बड़ा मुश्किल भरा लक्ष्य रहता है. उन्होंने कहा कि खेलने की कोई उम्र नहीं होती और हर समय कुछ सीखने को मिलता है. इस उम्मीद से अगर हम खेलेंगे तो खेलने के मायने अलग रहते हैं. राजीव देश दुनिया के कई बड़े बैडमिंटन खिलाड़ियों को हार चुके हैं और इस बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ने के लिए वो मैदान में उतरेंगे.

वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेना ही है एक बड़ी उपलब्धि 
अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी गोयल कहती हैं कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेना ही अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. राजीव फिर से तैयार हैं, इतिहास दोहराने के लिए वो पूरे फोकस के साथ मेहनत कर रहे हैं. उनकी फॉर्म देखकर लगता है कि गोल्ड मेडल फिर से उनकी झोली में आएगा. उन्होंने अपने खेल में मेडिटेशन को शामिल किया, जिसका फायदा उन्हें लगातार मिल रहा है. उम्र के इस पड़ाव में परिवार को खेल के साथ लेकर चलना किसी के लिए भी आसान नहीं होता. इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है.

(हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट)

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