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Kota: चोटों से लड़कर वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स में जीता गोल्ड, अब 2026 ओलंपिक स्वर्ण पदक पर निगाह.. जानें इस महिला खिलाड़ी की कहानी

वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स-2025 में भारत की मुक्केबाज अरुंधति चौधरी ने महिला 70 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड जीतकर देश का गौरव बढ़ा दिया. ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हुए मुकाबले में उन्होंने उज्बेकिस्तान की स्टार खिलाड़ी जोकिरोवा अजीजा को 5-0 से हराया.

वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स-2025 में भारत की मुक्केबाज अरुंधति चौधरी ने महिला 70 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड जीतकर देश का गौरव बढ़ा दिया. ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हुए मुकाबले में उन्होंने उज्बेकिस्तान की स्टार खिलाड़ी जोकिरोवा अजीजा को 5-0 से हराया. यह जीत उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का सातवां गोल्ड और सीनियर वर्ग का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय पदक है.

अरुंधति की बॉक्सिंग यात्रा साल 2016 में शुरू हुई. कॉलोनाइज़र पिता सुरेश चौधरी ने बेटी की क्षमता पहचानी और उसे ट्रेन करने के लिए पूरे देश में अनुभवी कोच की तलाश की. यह तलाश आखिरकार कोटा में ही खत्म हुई, जब कोच अशोक गौतम उनके मार्गदर्शक बने. अगले दो वर्षों तक अरुंधति ने रोजाना घंटों पर्सनल ट्रेनिंग लेकर अपने बेसिक्स और तकनीक को मजबूत किया.

हर अहम सलाह आज भी कोच से 
करियर कितना भी बड़ा हो गया हो, लेकिन अरुंधति आज भी हर बड़ी फाइट से पहले अपने कोच से राय लेना नहीं भूलतीं. चाहे देश का कोई भी कैंप हो, तकनीकी उलझन हो या मानसिक दबाव, वह तुरंत अपने कोच को विपक्षी खिलाड़ियों के वीडियो भेजती हैं और रणनीति तैयार करती हैं. यही आदत उन्हें हर मुसीबत में स्थिर रखती है.

सफलता की राह अरुंधति के लिए कभी आसान नहीं रही. एक बार गंभीर हेड इंजरी ने उन्हें कई महीनों तक रिंग से दूर कर दिया. इसके बाद कलाई में फ्रैक्चर और फिर टखने में चोट ने मुश्किलें बढ़ाईं, लेकिन हर चोट ने उन्हें रोकने के बजाय और मजबूत बनाया. हर बार उन्होंने रिंग में पहले से ज्यादा दमदार वापसी की.

घर में भी था संघर्ष, मां डेढ़ साल से बीमार
अरुंधति का परिवार भी चुनौतियों से भरा रहा. उनकी मां सुनीता चौधरी पिछले डेढ़ साल से मसल्स डिस्ट्रोफी (MND) की वजह से बेड रेस्ट पर हैं. बहन चारुलता मेडिकल की पढ़ाई कर रही है और छोटा भाई कॉलेज में पढ़ता है. ऐसे में घर की जिम्मेदारियां और मां की बीमारी के बीच अरुंधति ने कभी अपने सपनों को कमजोर नहीं होने दिया. गोल्ड की खबर सुनकर उनकी मां का हौसला भी दोगुना हो गया.

एशिया की बेस्ट, यूथ वर्ल्ड चैंपियन और अब सीनियर वर्ल्ड कप गोल्ड. अरुंधति की झोली में अब तक 7 अंतरराष्ट्रीय और लगभग 7 राष्ट्रीय गोल्ड मेडल हैं. 2018 में जूनियर एशियन चैंपियनशिप मेडल, एशिया की बेस्ट बॉक्सर का खिताब, 2021 में पोलैंड यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप गोल्ड, भारतीय सेना में हवलदार के रूप में सेवा दे रही अरुंधति अब 2026 एशियन गेम्स और ओलंपिक गोल्ड की तैयारी में जुट गई हैं.

परिवार और कोच ने जताई गर्व की भावना
कोटा में स्थित उनके घर श्रीनाथ रेजिडेंसी में अरुंधति की जीत की खबर मिलते ही जश्न का माहौल है. पिता सुरेश चौधरी, मां सुनीता और पूरे परिवार ने इस जीत को कड़ी मेहनत, अनुशासन और संघर्ष का परिणाम बताया. कोच अशोक गौतम ने कहा कि अरुंधति की यह उपलब्धि उनकी न हार मानने वाली सोच का नतीजा है.

अरुंधति कहती हैं कि उनका अगला लक्ष्य साफ है. ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण जीतना. यह सपना उन्होंने बचपन से देखा है और अब वह इसके पहले पड़ाव को दुनिया के सबसे बड़े मंच पर बदलने के लिए पूरी ताकत से तैयार हैं.

- चेतन गुर्जर की रिपोर्ट