कहते हैं अगर हिम्मत और लगन हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है. परिस्थितियां चाहें कितनी भी विपरीत हों मेहनत के आगे सभी घुटने टेक देती हैं. भारतीय क्रिकेट की अंडर-19 की महिला टीम में शामिल होने वाली महज 18 साल की मन्नत इसका साक्षात उदाहरण है. 18 साल और 11 महीने की मन्नत न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में हिस्सा लेने वाली हैं. दरअसल, छोटी उम्र में पटियाला में लड़कियों के लिए क्रिकेट कोचिंग पाने में असफल रहने के बाद, मन्नत कश्यप ने लंबे समय तक लड़कों के खिलाफ खेला. हालांकि, अब वे इसी परिस्थित को अपने लिए एक वरदान के रूप में मानती हैं.
लड़कियों की नहीं थी कोई कोचिंग
द ट्रिब्यून के हवाले से मन्नत बताती हैं कि उन्होंने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब वे कुल 9 साल की थी. मन्नत बताती हैं कि जब वे प्रैक्टिस कर रही थीं और सीख ही रही थीं तब कई लड़कियों ने क्रिकेट खेलने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. उनके पिता संजीव कश्यप ने उन्हें इस खेल से परिचित कराया. उस वक्त वे सिर्फ नौ साल की थीं. मन्नत के पिता कहते हैं, “उस समय पटियाला में कोई भी लड़कियों को कोचिंग नहीं देता था. संस्थान मुझे उसकी सारी जिम्मेदारी लेने के लिए कहते थे और पेशकश करते थे कि वह केवल लड़कों के खिलाफ ही खेल सकती है. मैंने उसे लड़कों के साथ खेलने दिया. यह आसान नहीं था और हमने मन्नत का आत्मविश्वास नहीं टूटने दिया, बल्कि उसे मजबूत बनाया.”
अब लोग मैच देखने आते हैं
इसी कड़ी में आगे मन्नत कहती हैं, “मैंने ज्यादातर समय लड़कों के खिलाफ खेला है. मैंने चैंपियनशिप लेवल पर ही लड़कियों के साथ खेलना शुरू किया. इससे मुझे आत्मविश्वास पैदा करने में मदद मिली कि मैं लड़कियों के खिलाफ बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकूंगी. लेकिन अब लड़कियां खेल में दिलचस्पी ले रही हैं. पहले लड़कियों के मैच में भी भीड़ नहीं उमड़ती थी. अब लोग भी आने लगे हैं.”
क्रिकेट टीम की कैप्टेन को मानती हैं अपनी आदर्श
मन्नत पटियाला के गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 12 में पढ़ती हैं. वे भारत की विमेंस नेशनल क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर और पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाली उसकी चचेरी बहन नूपुर कश्यप को अपना आदर्श मानती है. मन्नत कहती हैं, “मैं दीदी को खेलते देखा करती थी और उनकी तरह करना चाहती थी. तभी मैंने फैसला किया कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना और खेलना चाहती हूं.”
पिछले स्कूल चाहता था पढ़ाई पर ध्यान दें मन्नत
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, मन्नत पहले सीबीएसई से मान्यता प्राप्त एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती थीं. मन्नत की कोच जूही जैन बताती हैं, "वह 9वीं कक्षा से सरकारी स्कूल में ट्रांसफर हो गई थी क्योंकि उसका पिछला स्कूल चाहता था कि वह अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे. यह मैदान पर उसकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर रहा था. इसलिए, उसे क्रिकेट खेलने के एकमात्र उद्देश्य के लिए अपना स्कूल बदलना पड़ा.”