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ओडिशा के 21 साल के युवक ने बना डाला ₹85 का AI टूल! किसानों की फसलों को बचा रहा बीमारी से

‘Kishan Know’ एक AI-पावर्ड agri-tech प्लेटफॉर्म है, जो फसलों में कीट और माइक्रोबियल अटैक को पहले ही डिटेक्ट कर लेता है. ये टूल चार साधारण सवालों- स्थान, फसल का प्रकार, बुआई और कटाई की तारीख के जरिए डेटा इकट्ठा करता है.

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क्या आपने कभी सोचा कि सिर्फ ₹85 में किसानों की फसलों को बीमारी से बचा सकते हैं? जी हां, ओडिशा के 21 साल के टेक जीनियस ऋषिकेश अमित नायक ने ऐसा कर दिखाया है, जो भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में तहलका मचा रहा है! एक आम किसान परिवार से निकले इस युवा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का कमाल कर दिया है. 

₹85 का जादुई AI टूल!
सिर्फ 21 साल की उम्र में ऋषिकेश अमित नायक ने वो कर दिखाया, जो बड़े-बड़े वैज्ञानिक सोच भी नहीं सकते. VIT चेन्नई से मेकाट्रॉनिक्स और ऑटोमेशन में B.Tech करने वाले इस युवा ने 2017 के उस भयानक किसान संकट को देखा, जब ओडिशा में फसलों की बर्बादी और किसानों की आत्महत्याओं ने पूरे इलाके को हिला दिया था. तब वो सिर्फ 9वीं कक्षा का छात्र था, लेकिन उसने ठान लिया कि तकनीक से किसानों की जिंदगी बदलेगा. यहीं से शुरू हुई उनकी जर्नी, जो आज ‘kishan Know’ के नाम से मशहूर है.

‘Kishan Know’ एक AI-पावर्ड agri-tech प्लेटफॉर्म है, जो फसलों में कीट और माइक्रोबियल अटैक को पहले ही डिटेक्ट कर लेता है. ये टूल चार साधारण सवालों- स्थान, फसल का प्रकार, बुआई और कटाई की तारीख के जरिए डेटा इकट्ठा करता है. फिर सैटेलाइट थर्मल इमेजरी और AI एनालिटिक्स से फसलों की सेहत पर नजर रखता है.

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हर 48 घंटे में किसानों को SMS और WhatsApp अलर्ट भेजे जाते हैं, ताकि वो समय रहते कदम उठा सकें. और ये सब सिर्फ ₹85 प्रति एकड़ प्रति माह की कीमत पर! व्हाट्सएप के जरिए सब्सक्राइब करें और पाएं पर्सनलाइज्ड सपोर्ट- क्या कमाल की डील है ये! आने वाले महीनों में ये टूल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी धमाल मचाने वाला है.

किसानों की जिंदगी में आई खुशहाली
इस सस्ते और आसान टूल ने ओडिशा के किसानों की जिंदगी में नई उम्मीद जगाई है. पहले कीट-पतंगों और बीमारियों से फसलें बर्बाद हो जाती थीं, लेकिन अब ‘Kishan Know’ की बदौलत किसान पहले ही सावधानी बरत लेते हैं. एक किसान ने बताया, “₹85 में ऐसी तकनीक मिलेगी, ये सोचा भी नहीं था. मेरी फसल अब सुरक्षित है!” ऋषिकेश का मकसद है कि खेती को टिकाऊ और मुनाफे का धंधा बनाया जाए, और वो इसमें कामयाब भी हो रहे हैं.
बच्चों की पढ़ाई का भी मसीहा!

लेकिन ऋषिकेश की प्रतिभा सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है. DAIRA EdTech Pvt Ltd के को-फाउंडर के तौर पर उन्होंने ‘Jiveesha’ नाम से एक और शानदार AI प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है. ये प्लेटफॉर्म खास तौर पर उन बच्चों के लिए है, जो स्पेसिफिक लर्निंग डिसएबिलिटीज (SLDs) से जूझते हैं. चाहे भाषा की बाधा हो या आर्थिक स्थिति, ‘Jiveesha’ हर बच्चे के लिए स्क्रीनिंग, कस्टमाइज्ड इंटरवेंशन प्लान और सपोर्ट सिस्टम लेकर आया है.

भारत सरकार की IndiaAI Mission के तहत मान्यता पाने वाला ये प्लेटफॉर्म शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाट रहा है. 

हैकाथन के चैंपियन से वैश्विक नायक तक
ऋषिकेश की सफलता का राज उनकी तकनीकी दक्षता और समाज सेवा का जज्बा है. उन्होंने कई हैकाथॉन जीते हैं और NASA, ISRO, Intel जैसे बड़े संगठनों से सम्मान पाया है. Intel Vision 2022 में दालस और NASA Human Exploration Rover Challenge 2021-23 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले इस युवा को Intel की एक अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री में भी जगह मिली है. उनका फोकस AI, मशीन लर्निंग और सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों की मदद करना है.

ऋषिकेश की कहानी भारत के युवाओं की ताकत को दर्शाती है. एक साधारण किसान परिवार से निकलकर उन्होंने न सिर्फ तकनीक में महारथ हासिल की, बल्कि उसे समाज के लिए इस्तेमाल भी किया. उनका विजन है कि हर किसान और हर बच्चा अपनी काबिलियत से आगे बढ़े. 

(अजय कुमार नाथ की रिपोर्ट)