
स्मार्टफोन केवल एक गैजेट नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. कॉलिंग और इंटरनेट से कहीं आगे, अब यह हमारी रोजमर्रा की जरूरतों, भावनाओं और सुरक्षा से भी जुड़ गया है. यही वजह है कि जब फोन हाथ से गिरता है, तो लोगों का दिल भी टूट जाता है और इसे बचाने के लिए हम हर वो कोशिश करते हैं जो कर सकते हैं.
एक हालिया सर्वे में सामने आया है कि स्मार्टफोन गिरने या टूटने की स्थिति में 95% लोगों को इमोशनल स्ट्रेस यानी भावनात्मक तनाव होता है. यह सर्वे 'काउंटरप्वाइंट रिसर्च' द्वारा भारत के टियर-1 और टियर-2 शहरों में किया गया, जिसमें कुल 4,564 स्मार्टफोन यूजर्स से राय ली गई.
90% लोगों का फोन कभी न कभी गिरा है
ज्यादातर यूजर्स ने माना कि उनका फोन कभी न कभी जरूर गिरा है और फोन के गिरने से उन्हें घबराहट महसूस हुई. फोन का गिरना कोई नई या अनोखी बात नहीं है, लेकिन हर बार जब फोन गिरता है तो लोगों के दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं.
79% लोग मजबूरी में खरीदते हैं नया फोन
जब फोन टूट जाता है, तो 79% लोग इसे मजबूरी में नया खरीदते हैं, न कि शौक से. उनके लिए यह एक बेवजह का खर्च बन जाता है. यूजर्स बताते हैं कि फोन टूटते ही उन्हें मानसिक तनाव के साथ-साथ आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है. कुछ को EMI पर फोन लेना पड़ता है, तो कुछ अपनी बचत इसमें खर्च करते हैं.
मोबाइल यूजर्स की सबसे बड़ी समस्याएं क्या हैं?
ओवरहीटिंग: 41%
बैटरी जल्दी खत्म होना: 32%
अचानक तकनीकी खराबी या एक्सीडेंटल डैमेज: 32%
89% यूजर्स को फोन बंद होने का डर
आजकल हमारी सारी जानकारी एक ही डिवाइस यानी फोन में होती है. ऐसे में 89% यूजर्स को डर रहता है कि अगर अचानक फोन बंद हो गया या खराब हो गया, तो उनकी जिंदगी की अहम जानकारियां हमेशा के लिए खो सकती हैं.
स्मार्टफोन रिपेयर में भी उड़े पैसे
लगभग एक तिहाई यूजर्स ने बताया कि उन्होंने अपने फोन की मरम्मत पर 5,000 से अधिक खर्च किया है. यह भी एक कारण है कि लोग फोन गिरने से इतने डरते हैं. टूटने की स्थिति में न केवल भावनात्मक नुकसान होता है, बल्कि जेब पर भी असर पड़ता है.
हालांकि फोन को सुरक्षित रखने के लिए भारी केस और स्क्रीन गार्ड जैसे उपाय मौजूद हैं, फिर भी 78% यूजर्स ने माना कि वे अपने फोन को ज्यादा स्टाइलिश दिखाने के लिए इन सुरक्षा उपकरणों से बचते हैं. उन्हें लगता है कि यह फोन की खूबसूरती को कम कर देता है, मगर इसका खामियाजा अक्सर टूटे फोन के रूप में भुगतना पड़ता है.