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MIT की रिपोर्ट में खुलासा: 95% कंपनियों को AI से कोई फायदा नहीं, कंपनियां अब इंसानों को हायर कर रहीं

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 95% कंपनियों ने AI को अपनाया, उन्हें कोई मुनाफा नहीं मिला. 30-40 अरब डॉलर AI पर खर्च करने के बावजूद, ज्यादातर कंपनियों को रिटर्न जीरो है.

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हाइलाइट्स
  • AI हर काम नहीं कर सकता

  • AI से खतरा नहीं, नया रोजगार मिला

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेजी से बढ़ते इस्तेमाल को लेकर अब तक यही डर रहा कि ये तकनीक इंसानों की नौकरियां छीन लेगी लेकिन रिजल्ट ठीक इसके उलट है. AI टूल्स से तैयार किए गए कंटेंट, ग्राफिक्स और कोडिंग में हो रही गड़बड़ियों को सुधारने के लिए अब इंसानों की ही जरूरत बढ़ गई है. कंपनियां और स्टार्टअप अब प्रोफेशनल्स को हायर कर रहे हैं ताकि AI के बिगाड़े काम को ठीक किया जा सके.

AI हर काम नहीं कर सकता
स्पेन की फ्रीलांस ग्राफिक डिजाइनर लिसा कार्स्टेन्स बताती हैं कि AI की वजह से उनका काम खत्म नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया है. क्लाइंट AI से डिजाइन बनाते हैं, फिर उसे ठीक कराने मेरे पास आते हैं. AI से बनी इमेज में लाइनें गंदी होती हैं, टेक्स्ट बेतुका होता है और जूम करने पर सब पिक्सल्स में बिखर जाता है.” उनके मुताबिक, कुछ लोग समझते हैं कि AI हर काम नहीं कर सकता, पर कुछ नाराज होकर आते हैं क्योंकि वे खुद से AI का ठीक इस्तेमाल नहीं कर पाए.

'AI से बना आर्टिकल, इंसानी नहीं लगता'
अमेरिका के जॉर्जिया की फ्रीलांस राइटर कीशा रिचर्डसन ने बताया कि उनके आधे से ज्यादा प्रोजेक्ट अब AI से बने आर्टिकल्स को इंसानी टच देने के होते हैं. AI से बना कंटेंट पढ़ने में मशीन जैसा लगता है. क्लाइंट चाहते हैं कि उसे पढ़ने वाला समझे कि इसे किसी इंसान ने लिखा है और यही काम मेरे जैसे राइटर कर रहे हैं. AI से लिखी गई कॉपी बिल्कुल बेजान होता है, उसमें कोई भाव नहीं होता. क्लाइंट चाहते हैं कि उसमें इंसानी सोच झलके, तो वे हमें हायर करते हैं."

MIT की रिपोर्ट में खुलासा: 95% कंपनियों को AI से कोई फायदा नहीं
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 95% कंपनियों ने AI को अपनाया, उन्हें कोई मुनाफा नहीं मिला. 30-40 अरब डॉलर AI पर खर्च करने के बावजूद, ज्यादातर कंपनियों को रिटर्न जीरो है. इसकी बड़ी वजह यह है कि कंपनियों के मौजूदा वर्कफ्लो में AI को ठीक से इंटीग्रेट नहीं किया जा सका. साथ ही कर्मचारियों में AI को समझने की स्किल गैप भी एक बड़ी चुनौती रही. नतीजा ये निकला कि AI पर काम करने के लिए भी इंसान की जरूरत बनी हुई है.