
आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस ने हर एरिया को इफेक्ट किया है और इसने युद्ध को भी बदल डाला है. ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद पाकिस्तान के दुस्साहस का जवाब देकर जो एक नाम चर्चा में आया, वो है आकाशतीर. आकाशतीर ने बीते कुछ दिनों में देश के दुश्मनों की नींद उड़ा डाली है. युद्ध विराम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 मई को पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे. यहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से कहा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने हमारे मिलिट्री बेस और नागरिकों को ड्रोन, UAV, मिलिट्री एयरक्राफ्ट और मिसाइल से टारगेट किया, लेकिन ये सभी हमारे एयर डिफेंस सिस्टम के सामने नाकाम रहे.
दरअसल, मोदी ने जिस एयर डिफेंस सिस्टम की तारीफ की, वो सिस्टम था भारत का अपना आकाशतीर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम. इसकी मदद से पाकिस्तान की ओर से आए सैकड़ों ड्रोन, मिसाइल और रॉकेट को हवा में ही मार गिराया. इस डिफेंस सिस्टम की चर्चा प्रेस ब्रीफिंग में भी की गई, और इसी डिफेंस सिस्टम ने वाशिंगटन, बीजिंग, और इस्लामाबाद तक के रक्षा हलकों में हलचल मचा डाली.
आकाशतीर के इस कारनामे की चर्चा पूरी दुनिया में है और इसे भारत का आयरन डोम कहा जा रहा है.आज हम बात करेंगे भारत के इसी अचूक सिस्टम की, जिसे आकाशतीर नाम दिया गया है.
आकाशतीर सिस्टम क्या है?
सबसे पहले जानते हैं कि आकाशतीर सिस्टम है क्या. आकाशतीर एक स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-पावर्ड एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे भारतीय सेना के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानि DRDO, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानि ISRO और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड यानि कि BEL ने मिलकर डिजाइन और डेवलप किया है. ये कोई साधारण हथियार नहीं है, बल्कि एक पूरा रक्षा तंत्र है, जो पूरी तरह से भारत में ही बना है.
इसका काम लो-लेवल एयरस्पेस की निगरानी करना और ग्राउंड पर तैनात एयर डिफेंस वेपन सिस्टम को कंट्रोल करना है. आकाशतीर रडार, सेंसर और कम्युनिकेशन सिस्टम को इंटिग्रेट करके सिंगल नेटवर्क बनाता है, जो रियल टाइम में हवाई खतरों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें न्यूट्रिलाइज करने में सक्षम है.
आकाशतीर को दुनिया का पहला ऐसा AI-पावर्ड Defense Systems कहा जा रहा है, जो बिना किसी विदेशी तकनीक के बना है. ना विदेशी सैटेलाइट्स, ना विदेशी चिप्स, ना ही GPS - ये 100% स्वदेशी है! रक्षा विशेषज्ञ इसे युद्ध रणनीति में भूकंप कह रहे हैं, क्योंकि भारत पहला गैर-पश्चिमी देश बन गया है, जिसने Autonomous Drone स्वार्म, स्वदेशी सैटेलाइट मॉनिटरिंग, और AI एनैबल्ड Battle Coordination को एक साथ जोड़ा है.
आकाशतीर सिस्टम कैसे काम करता है?
- ISRO की सैटेलाइट्स: Cartosat और RISAT (रीसैट) सैटेलाइट्स की मदद से ये ज़मीन की हर हरकत को लाइव देखता है।
- NAVIC नेविगेशन सिस्टम: ये भारत का अपना GPS है, जो सटीक निशाना लगाने में मदद करता है।
- स्टील्थ ड्रोन स्वार्म्स: ये ड्रोन 5-10 किलो तक का सामान (जैसे जैमर, रेकॉर्डिंग यूनिट्स, या हथियार) ले जा सकते हैं.
- BEL के AI प्रोसेसर्स: ये प्रोसेसर्स खुद ही फैसले लेते हैं और युद्ध के मैदान में हर पल अपडेट करते रहते हैं.
- सेल्फ-अपडेटिंग कमांड ग्रिड: ये सिस्टम बिना इंसान के हस्तक्षेप के काम करता है.
आकाशतीर के ड्रोन इतने स्मार्ट हैं कि वो खुद अपनी राह बदल सकते हैं, दुश्मन को ढूंढ सकते हैं, और बिना किसी इंसानी निर्देश के हमला कर सकते हैं। एक एक वरिष्ठ DRDO वैज्ञानिक ने इसे हथियार नहीं, बल्कि एक पूरा इकोसिस्टम बताया है.
भारत को आकाशतीर की जरूरत क्यों पड़ी?
दोस्तों, आज का युद्ध पहले जैसा नहीं रहा। अब जंग ज़मीन से ज़्यादा हवा और साइबर स्पेस में होती है. ड्रोन, मिसाइल्स, और साइबर हमले आज की हकीकत हैं. हमारे पड़ोसी देश, जैसे पाकिस्तान और चीन, लगातार हमें चुनौती भी दे रहे हैं:
आकाशतीर की ज़रूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि हमें एक ऐसी प्रणाली चाहिए थी, जो तेज़ी से दुश्मन के हमलों को रोक सके. हमें विदेशी तकनीक पर निर्भरता खत्म करनी थी और हमारी सेना को आत्मनिर्भर और मज़बूत बनाना था. आकाशतीर ने ये सपना सच कर दिखाया.
आकाशतीर के फायदे क्या हैं?
चलिए, अब जानते हैं कि आकाशतीर से भारत को क्या-क्या फायदे होंगे...
1. तेज़ और सटीक हमला: आकाशतीर दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल्स, और विमानों को पलक झपकते ही रोक सकता है.
2. स्वदेशी ताकत: ये पूरी तरह भारत में बना है, यानी हमें किसी विदेशी देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
3. हर जगह इस्तेमाल: चाहे शहरों में आतंकवाद रोकना हो, हिमालय की ऊंचाइयों में जंग लड़ना हो, या रेगिस्तान में दुश्मन को ढूंढना हो - आकाशतीर हर जगह काम आएगा.
4. सस्ता और प्रभावी: विदेशी सिस्टम्स की तुलना में ये सस्ता है और ज़्यादा असरदार भी.
5. सुरक्षा की गारंटी: ये सिस्टम हमारी सेना और शहरों को सुरक्षित रखेगा.
6. ग्लोबल लीडरशिप: आकाशतीर ने भारत को Defense technology में एक लीडर के रूप में एस्टैब्लिश किया है.
भारत को क्या-क्या चाहिए था?
आकाशतीर को बनाने के लिए हमें कई चीज़ों की ज़रूरत थी:
- स्वदेशी सैटेलाइट्स: हमें अपनी सैटेलाइट्स चाहिए थीं, जो लाइव तस्वीरें दे सकें. ISRO की Cartosat और RISAT सैटेलाइट्स ने ये काम किया.
- NAVIC GPS: विदेशी GPS (जैसे अमेरिका का GPS या रूस का GLONASS) की जगह हमें अपना NAVIC चाहिए था, जो हिमालय और रेगिस्तान में भी सटीक काम करे.
- स्टील्थ ड्रोन: ऐसे ड्रोन चाहिए थे, जो दुश्मन के रडार से बच सकें और तेज़ी से हमला कर सकें.
- AI तकनीक: एक ऐसा AI चाहिए था, जो मौसम, ज़मीन, और रडार की जानकारी को समझकर खुद फैसले ले सके. BEL ने ये AI प्रोसेसर्स बनाए.
- मोबाइल यूनिट्स: हमें ऐसा सिस्टम चाहिए था, जो जीप, ट्रक, या मोबाइल यूनिट्स से लॉन्च हो सके और 2 मिनट से भी कम समय में तैयार हो जाए.
DRDO, ISRO, और BEL की इस तिकड़ी ने इन सभी ज़रूरतों को पूरा किया और आकाशतीर को हकीकत में बदला.
AI की क्या भूमिका है?
दोस्तों, आकाशतीर का सबसे बड़ा हीरो है इसका AI। ये AI कैसे काम करता है, चलिए गहराई में समझते हैं:
- लाइव डेटा एनालिसिस: AI मौसम, ज़मीन, रडार, और सैटेलाइट से आने वाली हर जानकारी को तुरंत समझता है. मिसाल के तौर पर, अगर दुश्मन बादल की आड़ में छुपा है, तो AI, रडार और सैटेलाइट डेटा को मिलाकर उसकी सही जगह ढूंढ लेता है.
- खुद फैसले लेना: AI ड्रोन को बताता है कि कहाँ जाना है, किसे निशाना बनाना है, और कैसे हमला करना है. ये इंसानी हस्तक्षेप को खत्म करता है, जिससे हमला तेज़ हो जाता है.
- तेज़ी से बदलाव: अगर दुश्मन अपनी जगह बदलता है, तो AI ड्रोन को नई राह दिखाता है। मिसाल के तौर पर, अगर दुश्मन हिमालय की गुफाओं में छुप जाता है, तो AI नई रणनीति बनाता है.
- स्वार्म कोऑर्डिनेशन: AI सैकड़ों ड्रोन्स को एक साथ कंट्रोल करता है, जैसे मधुमक्खियों का झुंड। ये ड्रोन आपस में इंटरैक्ट भी करते हैं और एक साथ हमला करते हैं.
- लर्निंग पावर: AI हर मिशन से सीखता है और खुद को अपडेट करता है, जिससे ये हर बार पहले से ज़्यादा स्मार्ट हो जाता है. AI की वजह से आकाशतीर इतना तेज़ और स्मार्ट है कि ये NATO के सिस्टम्स को भी मात देता है
रणनीतिक प्रभाव-
हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में आकाशतीर ने अपनी ताकत दिखाई. इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 40 सैनिकों को खत्म किया और कई विमानों को मार गिराया. आकाशतीर का असर कितना बड़ा है, चलिए देखते हैं:
- सीमा पर तनाव: आकाशतीर की वजह से LoC पर हमारी ताकत बढ़ गई है. अब दुश्मन के ड्रोन और मिसाइल्स को रोकना आसान हो गया है.
- आतंकवाद पर नियंत्रण: ये सिस्टम शहरों में आतंकवाद को रोकने में भी मदद करेगा. मिसाल के तौर पर, अगर आतंकी ड्रोन से हमला करते हैं, तो आकाशतीर उसे तुरंत रोक सकता है.
- ग्लोबल स्टैंडिंग: आकाशतीर ने भारत को एक मज़बूत रक्षा शक्ति के रूप में दुनिया के सामने पेश किया है. अब भारत ना सिर्फ अपनी रक्षा कर सकता है, बल्कि दूसरों को भी तकनीक बेच सकता है.
- आत्मविश्वास में बढ़ोतरी: इस सिस्टम ने हमारी सेना का हौसला बढ़ाया है. अब हमें किसी विदेशी तकनीक की ज़रूरत नहीं है. आकाशतीर ने भारत को एक नई रक्षा रणनीति दी है, जो भविष्य की जंगों के लिए तैयार है.
दुनिया क्यों हैरान है?
आकाशतीर ने पूरी दुनिया को चौंका दिया, लेकिन क्यों? चलिए गहराई में समझते हैं:
1. स्वदेशी सैटेलाइट्स: आकाशतीर ISRO की सैटेलाइट्स पर चलता है, जिसमें कोई विदेशी मदद नहीं है। ये सैटेलाइट्स बिना रुकावट के लाइव तस्वीरें देती हैं, जो पश्चिमी सिस्टम्स में अक्सर देरी की वजह से मुमकिन नहीं होता.
2. NAVIC की ताकत: NAVIC भारत का अपना GPS है, जो विदेशी GPS से ज़्यादा सटीक है. ये हिमालय की ऊंचाइयों और रेगिस्तान की गर्मी में भी सही काम करता है, जहां विदेशी GPS अक्सर फेल हो जाता है.
3. स्टील्थ ड्रोन: आकाशतीर के ड्रोन रडार से बच सकते हैं. ये कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, तेज़ हैं, और खुद निशाना ढूंढते हैं. इन्हें “इंटेलिजेंट कामिकाज़ी ड्रोन” कहा जाता है.
4. AI की ताकत: इसका AI इतना तेज़ है कि ये NATO के सिस्टम्स को भी मात देता है. ये मौसम, ज़मीन, और रडार की जानकारी को मिलाकर पल भर में फैसले लेता है.
भविष्य की रक्षा रणनीति -
दोस्तों, आकाशतीर सिर्फ एक रक्षा सिस्टम नहीं है, बल्कि ये भारत की भविष्य की रक्षा रणनीति की नींव है.
- आर्थिक फायदा: आकाशतीर की तकनीक को भारत अब दूसरे देशों को बेच सकता है. इससे भारत को आर्थिक ताकत मिलेगी.
- साइबर सुरक्षा: आकाशतीर का AI साइबर हमलों को भी रोक सकता है. मिसाल के तौर पर, अगर दुश्मन हमारे सिस्टम को हैक करने की कोशिश करता है, तो AI उसे तुरंत पकड़ लेगा.
- शिक्षा और रिसर्च: इस प्रोजेक्ट ने भारत के युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित किया है. अब हमारे स्टूडेंट्स AI और ड्रोन तकनीक पर ज़्यादा रिसर्च करेंगे.
- ग्लोबल प्रभाव: आकाशतीर ने भारत को एक नई पहचान दी है। अब हम सिर्फ तकनीक खरीदने वाले नहीं, बल्कि तकनीक बनाने वाले देश हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने कहा ये भारत का आगे बढ़ना नहीं, बल्कि नेतृत्व करना है. हम एक नई रणनीति के जन्म के गवाह बन रहे हैं.
(मुकेश कुमार तिवारी की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: