
अमेरिका में एक शख्स बॉक्सिंग के दौरान घायल हो गया था. चोट उसके जबड़े पर लगी और उसके बाद हर बार जबड़ा खोलने पर दर्द और क्लिकिंग की आवाज आती थी. MRI, स्पेशलिस्ट और कई साल के इलाज के बाद भी उसे राहत नहीं मिली. लेकिन जब इस समस्या को उसने ChatGPT से शेयर किया, तो AI ने कुछ ही सेकंड में समस्या की जड़ पहचान ली. और तुरंत जीभ को एक खास पोजीशन में रखने की टेक्निक बताई और वही करके उसका दर्द और क्लिकिंग बंद हो गई. शख्स की Dr. ChatGPT की ये कहानी वायरल हो गई, इसे लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन ने X पर शेयर किया.
AI दे रहा मरीजों को सही जवाब
ऐसी कई कहानियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जहां लोग MRI या एक्स-रे की जानकारी देकर AI से सही निदान पा रहे हैं. कोर्टनी हॉफमैन नाम की एक महिला अपने बेटे की बीमारी के लिए 3 साल में 17 डॉक्टरों से मिल चुकी थीं. जब कहीं से निदान नहीं मिला तो उसने ChatGPT को मेडिकल रिपोर्ट्स, स्कैन और नोट्स दिए. AI ने बताया कि लड़के को 'टेदर्ड कॉर्ड सिंड्रोम' है. सिर्फ 6 हफ्ते में सर्जरी हुई और बच्चा पूरी तरह ठीक हो गया.
AI से मदद लेने लगे हैं असल डॉक्टर भी
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डॉक्टर एडम रॉडमैन का कहना है कि अब मरीज खुद अपने मेडिकल रिकॉर्ड AI में डालकर पूछ रहे हैं. एक मरीज ने उनके राउंड के दौरान ऐसा ही किया, और AI की जानकारी सटीक निकली.
रॉडमैन कहते हैं, “मैं इसे मरीज से बातचीत का एक और मौका मानता हूं. वह खुद AI के साथ एक केस को दोबारा जांच चुके हैं, जिसमें पहले डॉक्टरों की टीम से गलती हुई थी. AI ने तुरंत सही बीमारी पहचान ली.
AI जब सही हो फिर भी इंसान कर सकता है गलती
एक स्टडी में पाया गया कि AI अकेले में 92% मामलों में सही निदान देता है, लेकिन जब इंसान उसकी मदद से काम करता है, तो ये आंकड़ा गिरकर 76% तक आ जाता है. यानी यूजर अगर पूरी जानकारी ना दे, या सही जवाब को नजरअंदाज कर दे, तो AI की क्षमता भी कम हो जाती है. दिक्कत ये भी है कि AI हर जवाब को आत्मविश्वास से देता है, चाहे वो गलत हो.
डॉक्टर की जगह नहीं ले सकता AI
फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. जेमी नॉपमैन का कहना है कि AI आम जानकारी तो दे सकता है, लेकिन हर मरीज की कंडीशन अलग होती है. IVF जैसे मामलों में AI की राय वैज्ञानिक तो हो सकती है, लेकिन उसमें वो अनुभव नहीं होता जो हजारों मरीजों के इलाज से डॉक्टर को आता है.
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने तो बाकायदा AI को पढ़ाने की क्लासेस शुरू कर दी हैं. डीन बर्नार्ड चांग कहते हैं, 'जैसे 20 साल पहले गूगल आया था और लोग कहते थे, डॉक्टर गूगल मत बनो, अब वैसी ही बात AI को लेकर हो रही है.'
सावधानी के साथ AI का करें इस्तेमाल
AI आज के समय में एक पावरफुल टूल बन चुका है, जो न सिर्फ जानकारी देता है बल्कि सही दिशा भी दिखा सकता है. लेकिन यह तभी फायदेमंद है जब मरीज सही और पूरी जानकारी दे. वरना यह भी गलत निदान की वजह भी बन सकता है.