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SugarBox: बिना कनेक्टिविटी के भी डाउनलोड कर सकते हैं कंटेंट, कुछ इस तरह शुगरबॉक्स देश के कोने कोने तक पहुंचा रहा है इंटरनेट

SugarBox: 'शुगरबॉक्स' की मदद से आप जीरो इंटरनेट चार्ज पर अलग-अलग ऐप्स तक पहुंच सकते हैं. साथ ही बिना कनेक्टिविटी के भी कंटेंट डाउनलोड कर सकते हैं.

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हाइलाइट्स
  • बिना कनेक्टिविटी के भी डाउनलोड कर सकते हैं कंटेंट

  • शुरुआत में मिलती थी कई शिकायतें

2016 में स्थापित, सुगरबॉक्स एक कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है जो आम लोगों के लिए इंटरनेट एक्सेस को तेज और सस्ता बनाता है. ये प्लेटफॉर्म उन जगहों पर भी इंटरनेट की पहुंच बढ़ा रहा है, जहां पहले इसका पहुंचना बहुत मुश्किल था. रोहित परांजपे, देवांग गोराडिया और रिपुंजय बरड़िया ने जब देखा कि देश के कई हिस्सों में इंटरनेट सर्विस बेहद खराब है और इसकी वजह से ओटीटी प्लेयर्स अपनी सर्विस उन्हें नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में इन तीनों ने मिलकर एक सुगरबॉक्स नाम का  वेंचर लॉन्च किया. ये बिजनेस और यूजर्स के लिए एक हाइपरलोकल क्लाउड प्लेटफॉर्म है.       

मान लीजिए कि अगर आपके फोन में फ्री मोबाइल डेटा नहीं है, या आप किसी ऐसी जगह पर हैं, जहां कम या कोई इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है, और आपको कुछ डाउनलोड करना है, तो चिंता न करें. Google Play Store में 'शुगरबॉक्स' नाम का ऐप है. एक ऐसी सुविधा जो आपको जीरो इंटरनेट चार्ज पर अलग-अलग ऐप्स तक पहुंचने या कंटेंट डाउनलोड करने में सक्षम बनाती है.

शुरुआत में मिलती थी कई शिकायतें

एक मीडिया इंटरव्यू में सीईओ और को-फाउंडर रोहित परांजपे कहते हैं कि ये 2014 की बात है, जब मैं भारत में ओटीटी सर्विस चला रहा था. तब हमने ऐसे ब्रांड्स के साथ करार किया, जिनके ग्राहकों की संख्या काफी अधिक है. इस तरह, उपभोक्ता कम से कम कुछ समय के लिए मुफ्त में ओटीटी सेवा का उपयोग कर सकता है. उदाहरण के तौर पर, नोकिया लुमिया फोन खरीदने वाले यूजर को हैंडसेट मॉडल पर निर्भर ओटीटी सेवा की 3-12 महीने की मुफ्त मेम्बरशिप मिली.

द क्विंट की रिपोर्ट में रोहित कहते हैं, “हमें बहुत सारी शिकायतें भी मिलती थीं. एक दिन, हमने लॉग के माध्यम से खुदाई करने का फैसला किया और महसूस किया कि शिकायतें ज्यादातर दो जगह थीं. पहली, जहां उपभोक्ता कहेगा कि सर्विस काम नहीं कर रही है, लेकिन वास्तव में, उनका ये समस्या उनके इंटरनेट कनेक्शन की थी. दूसरी शिकायत काफी अनोखी थी- यूजर्स हमसे पूछते थे कि अगर ओटीटी सर्विस वाकई फ्री थी तो उनका डेटा क्यों खर्च हो रहा हैं. जब हमने ध्यान से समझा तो जाना कि ये वो लोग हैं टीवी से इंटरनेट की तरफ शिफ्ट हुए थे. जब टीवी की बात आती है, एक बार जब आप एक विशेष राशि का भुगतान कर देते हैं, तो आप इसे किसी भी समय चालू कर सकते हैं. जब ऐसे उपभोक्ता डिजिटल में आते हैं, तो चीजें मुश्किल हो जाती हैं क्योंकि उन्हें कई चीजों के लिए पेमेंट करनी पड़ती है और तब भी कोई गारंटी नहीं होती है कि यह काम करेगा.”

कुछ ऐसे हुई शुगरबॉक्स की शुरुआत

शुगरबॉक्स की शुरुआत वास्तव में एक साधारण उद्देश्य के साथ हुई थी - डिजिटल को टीवी की तरह सहज बनाने के लिए. इसे लेकर रोहित कहते हैं, “हम यह कैसे कर सकते हैं, इस बारे में सोचते समय, हमें जेट एयरवेज से समाधान मिला. एक ऑफलाइन कंटेंट बॉक्स स्थापित करें और फिर इसी को लोकल वाई-फाई नेटवर्क के माध्यम से यूजर इस्तेमाल कर सके. ये एक्सेस वो अपने मोबाइल ऐप / वेब ब्राउजर से कर सके. योजना अलग-अलग सार्वजनिक स्थानों पर एक कंटेंट बॉक्स लगाने की थी जहां लोग आम तौर पर इंटरनेट की समस्याओं से जूझते हैं. 2016 में शुगरबॉक्स बन गया. हमने महसूस किया कि अगर इसे देश के कोने-कोने में शुरू करना है तो हमें इसे सपोर्ट देने के लिए एक ब्रॉडकास्टर की जरूरत है. हमने ब्रॉडकास्टर तक पहुंचना शुरू किया और तभी zee आया. हमने सोचा कि एक अलग से मंच बनाने के बजाय, क्या होगा अगर हम एक मौजूदा इंटरनेट ऐप लें और इस बॉक्स का उपयोग करके इसे काम करें. तब हमने ZEE5 ऐप की ओर रुख किया जो उस समय बनाया जा रहा था. हमें लगा था कि हम इसे 3 महीने में कर पाएंगे, लेकिन इसमें हमें 3 साल के करीब लग गए.”

कैसे करता है ये काम?

डिजिटल दुनिया में कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क (CDN) का काम करने का तरीका अलग है. जैसे वास्तविक दुनिया में वेयरहाउस होते हैं, वैसे ही सीडीएन इंटरनेट के लिए डिजिटल वेयरहाउस बनाते हैं. सीडीएन पिछले 30 साल से मौजूद हैं और इसने इंटरनेट की पहुंच और मापनीयता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसे लेकर रोहित कहते हैं, “ यह सिर्फ भारत के बारे में नहीं है, बल्कि विश्व स्तर पर प्रासंगिक है. आज, आपके और मेरे द्वारा उपभोग किया जाने वाला प्रत्येक जीबी डेटा, चाहे वह हमारे फोन पर हो या घर के वाई-फाई पर, वास्तव में एक लाइसेंस प्राप्त इंटरनेट पाइप का उपयोग करके हमारे पास आ रहा है.”