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देश को जल्द मिलेगी सुपरफास्ट चलने वाली Hyperloop Train, आईटी मंत्रालय ने दी टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए मंजूरी 

इस प्रोजेक्ट पर आईटी मंत्रालय और आईआईटी मद्रास साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस तकनीक का नाम 'अविष्कार हाइपरलूप' है, जिसपर आईआईटी-मद्रास के 70 छात्रों की एक टीम साल 2017 से काम कर रही है.

Hyperloop Train Hyperloop Train
हाइलाइट्स
  • कार्बन एमिशन और ऊर्जा खपत को कम किया जा सकेगा

  • अमेरिका वाली की तुलना में होगी काफी सस्ती 

हम अक्सर तेज चलने वाले वाहनों में हवाई जहाज या फिर बुलेट ट्रेन की चर्चा करते हैं. लेकिन अब देश में जल्द ही हाइपरलूप ट्रेन आने वाली है. जो इन सभी से तेज चलेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी स्पीड 1000 किलोमीटर प्रति घंटा मानी जाती है. इस तकनीक पर काम करने के लिए केंद्रीय रेलवे और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने मंजूरी भी दे दी है. 

कार्बन एमिशन और ऊर्जा खपत को कम किया जा सकेगा

हाल ही में केंद्रीय रेलवे और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसके बड़े में घोषणा की है. इस प्रोजेक्ट पर आईटी मंत्रालय और आईआईटी मद्रास साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी तरीके से देश में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने पर काम किया जा रहा है.

रेल मंत्रालय के अनुसार, यह देश में ऊर्जा की खपत को कम करेगा साथ ही भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने में ये तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

कैसे करती है ये तकनीक काम?

हाइपरलूप सिस्टम एक ऐसी तकनीक पर काम करता है जो कम दबाव वाली ट्यूबों में चुंबकीय उत्तोलन का इस्तेमाल करती है ताकि हवाई जहाज जैसी स्पीड से लोगों को और उनके सामान को ले जाया जा सके. 

आपको बता दें, इस तकनीक का नाम 'अविष्कार हाइपरलूप' है. इस तकनीक पर आइआइटी-मद्रास के 70 छात्रों की एक टीम 2017 से काम कर रही ही.  देश में बनी ये हाइपरलूप तकनीक अमेरिका की वर्जिन हाइपरलूप सर्विस के बराबर होगी. 

अमेरिका वाली की तुलना में होगी काफी सस्ती 

हालांकि, ये उसकी तुलना में काफी सस्ती होगी. मंत्रालय के मुताबिक, इस प्रोजेक्‍ट की आनुमानित लागत 8.34 करोड़ रुपये है. इसपर काम करने वाली टीम स्पेसएक्स हाइपरलूप पाड प्रतियोगिता-2019 में टाप-10 वर्ल्ड रैंकिंग हासिल कर चुकी है. ऐसा करने वाली ये एकलौती एशियाई टीम थी. 

किसने दिया था ये कांसेप्ट?

गौरतलब है कि इस तकनीक का कांसेप्ट एलन मस्क ने दिया था. मौजूदा समय में कई देशों में इस तकनीक पर काम हो रहा है. इसे हाइपरलूप इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें एक लूप के जरिए ट्रैवलिंग होती है. और हवाई जहाज की स्पीड से इसमें सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है.