
35 साल का इंजीनियर, दिन में पिता, रात में ड्रग किंगपिन!
केरल के मुवत्तुपुझा में एक साधारण सा दिखने वाला मैकेनिकल इंजीनियर, मुलायमकोट्टिल एडिसन, रातोंरात सुर्खियों में आ गया! नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने उसे भारत के सबसे बड़े डार्क वेब ड्रग सिंडिकेट 'केटामेलन' का मास्टरमाइंड बताकर गिरफ्तार किया. LSD, केटामाइन, और 1 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी के साथ ये शख्स पकड़ा गया है.
मुवत्तुपुझा का 35 साल का एडिसन बाहर से देखने में एकदम साधारण था. विश्वज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री, पुणे और बेंगलुरु में टॉप कंपनियों में नौकरी, और एक संपन्न परिवार- पिता रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, भाई डॉक्टर. हर दिन वो अपने छोटे बेटे को डे-केयर छोड़ने जाता था, लेकिन रात होते ही उसकी जिंदगी बदल जाती थी. 'केटामेलन' के नाम से वो डार्क वेब पर LSD और केटामाइन बेचता था, वो भी पूरे भारत में- दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड तक!
28 जून 2025 को शुरू हुआ खुलासा!
NCB की चार महीने की निगरानी और 'ऑपरेशन मेलन' ने आखिरकार एडिसन को बेनकाब कर दिया. 28 जून को कोच्चि इंटरनेशनल पोस्ट ऑफिस में तीन संदिग्ध पार्सल पकड़े गए, जिनमें 280 LSD ब्लॉटर्स थे. अगले दिन, 29 जून को, एडिसन के घर पर छापा मारा गया. 1,127 LSD ब्लॉटर्स, 131.66 ग्राम केटामाइन, 70 लाख की क्रिप्टोकरेंसी, और TAILS OS वाला पेन ड्राइव बरामद हुआ. यही नहीं, मोनेरो (XMR) जैसी अनट्रेसेबल क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर वो अपनी कमाई को छिपाता था. NCB का दावा है कि एडिसन ने 14 महीनों में 600 से ज्यादा पार्सल भेजे, जिनकी कीमत 5 से 10 करोड़ रुपये के बीच थी!
डार्क वेब क्या है? क्यों है ये इतना खतरनाक?
डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जो गूगल या याहू जैसे सर्च इंजनों से नहीं खुलता. इसे एक्सेस करने के लिए Tor ब्राउजर जैसे खास टूल्स चाहिए. Tor (The Onion Routing) डेटा को कई लेयर्स में एन्क्रिप्ट करता है, जैसे प्याज की परतें, जिससे यूज़र की पहचान और लोकेशन छिप जाती है. 1990 में US नेवल रिसर्च लैब ने इसे सरकारी कम्युनिकेशन को सुरक्षित करने के लिए बनाया था, लेकिन आज इसका इस्तेमाल ड्रग्स, हथियार, चोरी का डेटा, और हैकिंग सर्विसेज बेचने के लिए होता है.
क्या डार्क वेब हमेशा 'डार्क' है?
हालांकि, डार्क वेब सिर्फ अपराधों का अड्डा नहीं है. व्हिसलब्लोअर्स, पत्रकार, और एक्टिविस्ट्स इसका इस्तेमाल दमनकारी सरकारों से बचने के लिए करते हैं. SecureDrop जैसे प्लेटफॉर्म्स गुप्त सूचना लीक करने में मदद करते हैं. सेंसरशिप वाले देशों में ये बिना सेंसर वाली जानकारी का जरिया है. अस्पताल और संस्थान भी इसका इस्तेमाल डेटा सिक्योरिटी के लिए करते हैं. लेकिन इसकी गुमनामी ने इसे सिल्क रोड जैसे ब्लैक मार्केट्स का ठिकाना भी बनाया, जहां ड्रग्स से लेकर कॉन्ट्रैक्ट किलर्स तक बिकते हैं.
लेवल-4 वेंडर का मतलब?
NCB के मुताबिक, डार्क वेब पर वेंडर्स को 1 से 5 स्टार रेटिंग दी जाती है, जो ड्रग्स की क्वालिटी और 'कस्टमर सर्विस' पर आधारित होती है. एडिसन भारत का इकलौता लेवल-4 वेंडर था, यानी वो सबसे टॉप पर था. उसने Gunga Din नाम के यूके बेस्ड वेंडर से LSD खरीदा, जो Dr Seuss या Tribe Seuss जैसे कुख्यात सप्लायर्स से आता था. उसका नेटवर्क इतना बड़ा था कि वो 600 से ज्यादा डिलीवरी सिर्फ 14 महीनों में कर चुका था![
एडिसन की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं. विश्वज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई, बेंगलुरु और पुणे में नौकरी, और फिर कोविड लॉकडाउन में अलुवा में रेस्तरां खोला. लेकिन लॉकडाउन ने सब बंद कर दिया. इसके बाद वो घर लौटा और डार्क वेब पर ड्रग्स बेचने लगा. शुरुआत में उसने खुद के लिए ड्रग्स खरीदे, लेकिन धीरे-धीरे ये उसका पूरा बिजनेस बन गया. उसने Monero क्रिप्टोकरेंसी और फेक IDs का इस्तेमाल कर अपनी पहचान छिपाई. उसका साथी अरुण थॉमस, जो उसका क्लासमेट था, कोच्चि के पोस्ट ऑफिस से पार्सल लेने में मदद करता था.
NCB ने 'ऑपरेशन मेलन' के तहत चार महीने तक एडिसन पर नजर रखी. Kerala Police की Cyber Dome और Grapnel AI टूल ने डार्क वेब पर उसकी गतिविधियों को ट्रैक किया. 28 जून को तीन पार्सल पकड़े गए, और 29 जून को छापे में सारा सामान बरामद हुआ. NCB अब ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या एडिसन का कनेक्शन Doctor Seuss जैसे इंटरनेशनल ड्रग सिंडिकेट से था.