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New Emission Testing Rules: सड़कों पर प्रदूषण कम करने की पहल! Flex-Fuel वाहनों के लिए होंगे नए नियम, गुजरना होगा 2-टियर टेस्टिंग से  

Testing Rules for Flex Fuel: 7% तक ब्लेंड का उपयोग करने वालों को डीजल वाहनों (B7 standards) के हिसाब से ही टेस्ट से गुजरना होगा. जबकि, सात प्रतिशत से ज्यादा ब्लेंड वाले वाहन को उनके फ्यूल कॉम्बिनेशन के हिसाब से टेस्ट से गुजरना होगा.

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हाइलाइट्स
  • फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के लिए दो-टियर टेस्टिंग

  • एमिशन को मैनेज किया जाए 

पर्यावरण मानकों को बढ़ाने के लिए अलग-अलग उपाय किए जा रहे हैं. अब इसी कड़ी में फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के लिए नए नियम लाए जा रहे हैं. भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के लिए नए एमिशन टेस्टिंग नियम पेश किए हैं. अलग-अलग  फ्यूल पर चलने के लिए डिजाइन किए गए फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों को अब कई टेस्ट से गुजरना होगा. इसमें दो अलग-अलग टेस्ट शामिल होंगे. पहला टेस्ट होगा इससे निकलने वाली गैसों के लिए और दूसरा टेस्ट हवाई कणों (airborne particles) के लिए. 

फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के लिए दो-टियर टेस्टिंग 

फ्लेक्सिबल फ्यूल ऑप्शन के साथ दो तरह के फ्यूल (bi-fuel) का उपयोग करने वाले वाहनों को अब दो टेस्ट का सामना करना होगा. पहले टेस्ट में गैस एमिशन पर ध्यान दिया जाएगा जबकि दूसरा हवाई कणों की जांच करने के लिए होगा. इसकी मदद से अलग-अलग फ्यूल पर चलने वाले वाहनों के फ्यूल की गुणवत्ता परखी जाएगी. साथ ही बेहतर तरीके से उनकी टेस्टिंग की जाएगी. विशेष रूप से, अगर कोई व्हीकल हाइड्रोजन पर चलता है, तो उसे नाइट्रोजन ऑक्साइड एमिशन पर फोकस करते हुए एक सिंगल टेस्ट से गुजरना पड़ेगा.

बायोडीजल वाले व्हीकल के लिए अलग से विचार 

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बायोडीजल ब्लेंड का उपयोग करने वाले वाहनों की भी टेस्टिंग होनी है. सात प्रतिशत तक ब्लेंड का उपयोग करने वालों को डीजल वाहनों (B7 standards) के हिसाब से ही टेस्ट से गुजरना होगा. जबकि, सात प्रतिशत से ज्यादा ब्लेंड वाले वाहन को उनके फ्यूल कॉम्बिनेशन के हिसाब से टेस्ट से गुजरना होगा.

एमिशन को मैनेज किया जाए 

सरकारी सूचना में पॉजिटिव इग्निशन इंजन से निकलने वाले कणों को लेकर चिंता जताई गई है. इन नए नियमों की मदद से अलग-अलग इंजनों से होने वाले एमिशन को मैनेज किया जा सकेगा. निर्देश में इस बात पर भी जोर दिए गया है कि डीजल वाहनों को पहले से मौजूद एमिशन से जुड़े नियमों का सख्त पालन करना होगा.

इन नए नियमों में प्राइवेट और कमर्शियल दोनों वाहनों को शामिल किया गया है. इन एमिशन टेस्ट के पीछे का पहला उद्देश्य वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना और ऑटोमोटिव निर्माताओं को अपनी टेक्नोलॉजी को लगातार बढ़ाने और साफ फ्यूल बनाने को लेकर बढ़ावा देना है.