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अब कॉल करने वालों का असली नाम दिखेगा फोन स्क्रीन पर, TRAI ला रहा है नया सिस्टम

ट्राई ( TRAI) अब एक ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है जिसके जरिए कॉल करने वालों का असली नाम फोन स्क्रीन पर दिख सकेगा. अभी तक ऐप के माध्यम से ही यह सुविधा यूजरों को मिल रही थी लेकिन कॉल करने वालों का नाम असली है या नकली यह पता लगाना मुश्किल था.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • केवाईसी डॉक्यूमेंट आधारित दिखेगा कॉलर का नाम

  • फर्जीवाड़े पर लग सकेगा रोक

अब तक ट्रूकॉलर जैसे ऐप के माध्यम से ही फोन करने वालों का नाम हम जान पाते हैं. लेकिन वह नाम असली है या नकली इस बात का पता हमें नहीं चलता. लेकिन अब भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) एक ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है जिसके जरिए फोन करने वालों का असली नाम पता चल पाएगा. यानी कि सरकारी डॉक्युमेंट्स पर उसका जो नाम लिखा होगा वही नाम मोबाइल स्क्रीन पर भी लिख कर आएगा. आइए जानते हैं कि ट्राई इसको लेकर क्या तैयारी कर रहा है. उससे पहले जानते हैं कि ट्राई (TRAI) क्या है. 

TRAI क्या है

ट्राई (TRAI) टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया जिसे हिंदी में भारतीय विनियामक प्राधिकरण कहते हैं. 1997 में इसकी स्थापना हुई और इसका मुख्य काम टेलीकॉम से जुड़े सभी कामों पर नजर रखना और उसको रेगुलेट करना है. आसान भाषा में ऐसे समझिए कि जिस भी कंपनी का आप सिम इस्तेमाल करते हैं उस कंपनी पर ट्राई नजर रखता है कि आपसे सर्विस के नाम पर ज्यादा पैसे तो नहीं लिए जा रहे. आपको अच्छी सर्विस मिल रही है या नहीं. इसके अलावा ट्राई के अंदर दूरसंचार से जुड़े सभी काम आते हैं.

जल्द ही शुरू किया जाएगा काम

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के चेयरमैन पी डी वाघेला के अनुसार इस नए सिस्टम को तैयार करने के लिए बातचीत अगले दो महीने में शुरू हो सकता है. एक बार सिस्टम तैयार हो गया तो कॉल करने वालों का जो नाम केवाईसी डॉक्यूमेंट पर होगा वही नाम फोन स्क्रीन पर लिखकर आएगा. उन्होंने कहा कि इस सिस्टम पर काम करने का विचार ट्राई पहले से ही कर रहा था लेकिन अब दूरसंचार विभाग विभाग की सलाह पर जल्द ही इस पर काम शुरू किया जाएगा.

क्या होगा असर 

अभी तक ट्रूकॉलर जैसे ऐप के जरिए यह सुविधा यूजरों को मिल रही थी लेकिन इस तरह के ऐप्स के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि आपको मालूम नहीं चल पाएगा कि जो फोन कर रहा है उसका असली नाम आ रहा है या नकली. वह डॉक्यूमेंट आधारित नाम नहीं होता है. ऐप पर जो नाम हम रजिस्टर करते हैं वही नाम वह दिखाने लगता है. चाहे नाम गलत ही क्यों न लिखा हो. अब असली नाम पता चल सकेगा तो फर्जीवाड़ा करने वालों पर काफी हद तक रोक लगेगा.