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Valley of Flowers: खुल गई स्वर्ग-सी सुंदर फूलों की घाटी, हर 15 दिन में बदलती है रंग, खर्चे से लेकर रूट तक…जानिए वैली ऑफ फ्लावर्स के बारे में सब कुछ

Valley Of Flowers 2025
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सैलानियों के लिए फूलों की घाटी खुल गई है. वैली ऑफ फ्लावर्स 1 जून 2025 को पर्यटकों के लिए खोल दी गई. फूलों की घाटी साल में सिर्फ पांच महीने के लिए खुलती है. फूलों का ये संसार जून से अक्तूबर के बीच में देखने को मिलती है. सर्दियों में इस जगह को लोगों के लिए बंद कर दिया जाता है.

फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में है. ये घाटी समुद्र तल से 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस सुंदर घाटी में फूलों की 500 से ज्यादा प्रजाति देखने को मिलेंगी. इस वैली में कई दुर्लभ और सुंदर फूल देखने को मिलते हैं. फूलों की घाटी को 2005 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट (UNESCO) में शामिल किया गया था.

Valley of Flowers Uttarakhand
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उत्तराखंड की ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है. पूरी घाटी रंग-बिरंगे फूलों से भरी रहती है. ऐसा नजारा रोज-रोज देखने को नहीं मिलता है. इस घाटी तक पहुंचना आसान नहीं है. वैसे भी कहा जाता है कि लंबे सफर के बाद ही खूबसूरत मंजिल आती है. 

इस बार  अपनी बकेट लिस्ट में फूलों की घाटी को जरूर शामिल करें. फूलों की घाटी को अच्छी तरह से कैसे घूमें? इसकी पूरी जानकारी हम आपको दे देते हैं.

Phoolon ki Ghati
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फूलों का संसार
फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. ये घाटी नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में पड़ती है. नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. वैली ऑफ फ्लावर्स 87 वर्ग किमी. में फैली हुई है. इस घाटी में 500 से ज्यादा प्रजातियों के फूल देखने को मिलते हैं. इनमें ऑर्किड, ब्रह्मकमल, खसखस, मैरीगोल्ड, डेजी समेत कई फूलों की प्रजातियां पाई जाती है. 

फूलों के अलावा घाटी में कई तरह की जड़ी-बूटियां भी लगी हुई हैं. ये घाटी कई जंगली जानवरों का घर है. इस सुंदर घाटी में ग्रे लंगूर, पहाड़ी गिलहरी, काले भालू, लोमड़ी और स्नो लेपर्ड भी होते हैं. शायद ये भी एक वजह है कि फूलों की घाटी में लोगों को रूकने की मनाही है. 

Valley of Flowers Discover
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कैसे हुई खोज?
फूलों की घाटी की खोज की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इस घाटी का वैसे तो पौराणिक महत्व काफी पुराना है. इस इलाके में भोटिया जनजाति के लोग रहा करते थे. पूरी दुनिया को इस जगह के बारे में रास्ता भटकने की वजह से पता चला. साल 1931 में तीन ब्रिटिश माउंटेनियर फ्रैंक एस. स्मिथ, एरिक शिप्टन और आरएल होल्ड्सवर्थ माउंट कामेट से लौट रहे थे.

ब्रिटिश माउंटेनियर लौटते ही रास्ता भटक गए. भटकते हुए वे इस जगह पर पहुंच. इस सुंदर जगह को देखकर ब्रिटिश माउंटेनियर हैरान रह गए. उन्होंने पहली बार इतनी सुंदर घाटी देखी. ब्रिटिश माउंटेनियर ही वो पहले लोग थे जो इस जगह पर पहुंचे. उन्होंने ही इस जगह को वैली ऑफ फ्लावर्स नाम दिया. बाद में फ्रैंक एस. स्मिथ ने इस जगह पर एक किताब लिखी. 1938 में वैली ऑफ फ्लावर्स बुक पब्लिश हुई. उसके बाद पूरी दुनिया को इस सुंदर जगह के बारे में पता चल गया.

1962 में भारत-चीन के युद्ध की वजह से भारत-तिब्बत बॉर्डर को बंद कर दिया गया था. कुछ सालों तक ये घाटी लोगों के लिए बंद रही. 1974 में ये जगह सैलानियों के लिए दोबारा खोल दिया गया. 1982 में इस पूरे क्षेत्र को नेशनल पार्क घोषित कर दिया गया. उस दौरान भी ये जगह पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई. कुछ सालों बाद 1988 में नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना हुई. धीरे-धीरे फूलों के संसार को दोबारा लोगों के लिए खोल दिया गया. 

Valley of Flowers Best Time
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सिर्फ पांच महीने खुलती है ये घाटी
उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी जून से लेकर अक्तूबर तक खुली रहती है. कई बार इस सुंदर घाटी को सितंबर में बंद कर दिया जाता है. ये सर्दियों और बर्फबारी पर निर्भर करता है. ये घाटी हर 15 दिन में अपना रंग बदलती है. फूलों के संसार के बीच में होना एक अलग एहसास होता है. ये जगह कितनी खास है, वहां जाकर ही समझ आएगा.

विश्व धरोहर फूलों की घाटी में रात रूकना मना है. रात में इस घाटी में कोई नहीं रूक सकता है. यहां पर खाने के लिए कोई दुकानें नहीं हैं. ऐसे में पर्यटक अपने साथ खाने का सामान ले जा सकते हैं. जाते समय हर टूरिस्ट की चेकिंग होती है. उनके सामान को गिना जाता है. 

पर्यटक को अपना पूरा सामान वापस लाना होता है. कचरा भी साथ लाना नीचे लाना होगा. अगर सैलानी कचरा वापस नहीं लाते हैं तो उन पर अच्छा-खासा जुर्माना लगाया जाता है. इस सुंदर जगह को कचरे का ढेर बनाने से रोकने के लिए ये सरकार की अच्छी पहल है.

Entry Fee
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एंट्री फीस क्या है?
फूलों की घाटी साल में कुछ ही महीने खुलती है. ऐसी सुंदर जगह कहीं देखने को नहीं मिलेगी. इस खूबसूरत जगह को देखने के लिए कुछ फीस भी लगती है. फूलों की घाटी जाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होता है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट registrationandtourist.care.uk.gov.in पर जाएं. ऋषिकेश में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं.

फूलों की घाटी में जाने के लिए भारतीय पर्यटक को 200 रुपए एंटी फीस देनी होगी. भारत के 12 साल तक के बच्चों के लिए एंट्री बिल्कुल फ्री है. 12 से 18 वर्ष के छात्रों को 50 रुपए देने होंगे. 18 साल से ज्यादा उम्र के छात्रों और सीनियर सिटीजन के लिए इस घाटी में जाने के लिए एंट्री फीस 100 रुपए तय की गई. विदेशी सैलानियों के लिए फूलों के संसार को देखने के लिए 800 रुपए देने पड़ेंगे.

How To Reach Valley of Flower
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कैसे पहुंचे?
फूलों की घाटी जाने का सबसे अच्छा समय जून और अक्तूबर का माना जाता है. इस दौरान बारिश कम होती है. हालांकि, अगर इस घाटी को पूरी तरह से रंग-बिरंगे फूलों से ढंका देखना है तो अगस्त-सितंबर का महीना बेस्ट है. फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए 10 किमी. का ट्रेक करना होता है. सबसे पहले ऋषिकेश से जोशीमठ पहुंचिए. जोशीमठ से शेयर टैक्सी से गोविंदघाट और पुलना पहुंचे.

Valley of Flower Trek
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घांघरिया
पुलना से ही फूलों की घाटी का ट्रेक शुरू होता है. फूलों की घाटी ट्रेक का बेस कैंप घांघरिया है. ये एक गांव है. इस जगह से फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब समेत कई सारे ट्रेक शुरू होते हैं. पुलना से घांघरिया लगभग 7 किमी. है. इस लंबे ट्रेक में घने जंगल, गांव, नदियां और झरने देखने को मिलेंगे. पुलना से घांघरिया पहुंचने में 6-7 घंटे लग सकते हैं. घांघरिया में ही रात बिताएं. घांघरिया में ठहरने के लिए कई सारे होटल और होमस्टे हैं. इसके अलावा यहां एक गुरूद्वारा है जिसमें आप रात गुजार सकते हैं.

Valley of Flowers 2025
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फूलों का संसार
घांघरिया से फूलों की घाटी का ट्रेक 3 किमी. का है. घांघरिया से फूलों की घाटी का ट्रेक बहुत ज्यादा कठिन नहीं है. 2 किमी. तक जंगल में चढ़ाई है. इसके बाद सीधा पथरीला रास्ता आ जाएगा. रास्ते में फूलों से भरी घाटी और आसमान में तैरते बादल देखने को मिलेंगे. कई किमी. आप फूलों की घाटी में घूमते रहिए. फूलों की घाटी को पार करते हुए नदी के पास पहुंचेंगे. वहां कुछ देर ठहरें और इस जगह की खूबसूरती को फील करें. शाम से पहले फूलों के संसार से वापस घांघरिया लौट आइए.

valley of flowers Tips
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इन बातों का रखें ध्यान
- इस ट्रेक को करते समय अपने साथ एक स्टिक जरूर रखें. रास्ता पथरीला होने की वजह से लाठी काम काम आएगी.
- अपने साथ गर्म कपड़े जरूर रखें. इसके अलावा रेनकोट, कई जोड़ी मोजे, टॉर्च और पानी की बोतल साथ में रखें.
- घाटी में जो भी सामान ले जाएं, उसे वहां बिल्कुल न छोड़ें. कचरे को सामान के साथ नीचे लाएं.
- घाटी में जाते समय अपने साथ मेडिसिन किट जरूर रख लें. इससे आपका सफर आसान बनेगा.