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Nanda Devi Peak Reopen: 40 साल बाद खुलने जा रहा नंदा देवी पर्वत, अब पर्वतारोही फिर से कर सकेंगे अभियान, जानिए क्यों हुई थी बंद?

उत्तराखंड के नंदा देवी पर्वत को ट्रेकिंग के लिए फिर से खोला जा रहा है. इसको लेकर ड्रॉफ्ट तैयार किया गया है. इस प्रपोजल पर उत्तराखंड सरकार की मुहर लगना बाकी है. नंदा देवी पर्वत को 40 साल बाद पर्वतारोहियों के लिए खोलने पर विचार किया जा रहा है.

Nanda Devi Mountain Uttarakhand (Photo Credit: Getty) Nanda Devi Mountain Uttarakhand (Photo Credit: Getty)
हाइलाइट्स
  • नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है

  • उत्तराखंड के गढ़वाल में है नंदा देवी पर्वत

कंचनजंगा के बाद नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. लगभग चार दशक के बाद नंदा देवी पर्वत को पर्वतारोहियों के लिए खोली जा रही है. रोमांच प्रेमी अब भारत की इस सुंदर चोटी की चढ़ाई कर सकेंगे. उत्तराखंड में टूरिज्म को बूस्ट करने के लिए ये इसे खोला जा रहा है. उत्तराखंड सरकार की न्यू टूरिज्म पहल के तहत इसे खोला जा रहा है. नंदा देवी पर्वत को आखिर क्यों बंद किया गया था? आइए इस बारे में जानते हैं.

कहां है नंदा देवी पर्वत?

  • नंदा देवी पीक देवभूमि उत्तराखंड में है. नंदा देवी पर्वत भारत की दूसरा सबसे ऊंची चोटी है. नंदा देवी पीक दुनिया की 23वीं सबसे ऊंची पीक है. 
  • नंदा देवी उत्तराखंड के गढ़वाल में है. ये चोटी चमोली जिले में है. नंदा देवी पर्वत समुद्र तल से 7,816 मीटर पर है.
  • नंदा देवी पर्वत चारों ओर से खड़ी पहाड़ियों और ग्लेशियर से घिरा है, इसलिए इसे फतह करना बेहद कठिन माना जाता है.
  • नंदा देवी में नेशनल पार्क भी है. नंदा देवी नेशनल पार्क यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. यहां जानवरों और पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं.

 

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क्यों है बेहद खास?

  • नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. नंदा देवी को पार्वती का रूप माना जाता है.
  • नंदा देवी उत्तराखंड का आराध्य देवी हैं. देवी नंदा को हिमालय की पुत्री भी कहा जाता है.
  • कहा जाता है कि नंदा देवी का मायका कुमाऊं-गढ़वाल में है और ससुराल कैलाश में है.
  • हर 12 साल में राजजात यात्रा नंदा देवी को उनके ससुराल भेजने के प्रतीक के तौर पर की जाती है.
  • नंदा देवी राजजात यात्रा उत्तराखंड की सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है. इसे ‘हिमालय की कुंभ यात्रा’ भी कहा जाता है.
  • यह यात्रा लगभग 12 साल में एक बार होती है, जिसे राजजात यात्रा कहा जाता है. इसके अलावा हर साल छोटी जात यात्रा भी होती है.

क्यों किया गया था बंद?

  • नंदा देवी पर्वत पर चढ़ाई करना 40 सालों से बंद था. नंदा देवी बेस कैंप तक टूरिस्ट और पर्वतारोही जा सकते थे. 
  • नंदा देवी पर्वत को 1983 में पर्वतारोहियों के लिए बंद कर दिया गया था. उससे पहले रोमांच प्रेमी नंदा देवी पर्वत की चढ़ाई कर सकते थे.
  • साल 1936 में ब्रिटेन के पर्वतारोही बिल टिलमैन और नोयल ओडेल ने पहली बार नंदा देवी चोटी पर चढ़ाई करने में सफलता पाई.
  • यह उस समय तक किसी भी पर्वत की सबसे ऊंची चढ़ाई थी. इसे दुनिया की सबसे मुश्किल यात्राओं में माना जाता है.
  • नंदा देवी चारों तरफ से बर्फीली चोटियों और गहरे ग्लेशियर से घिरी हुई है. इसके अंदर जाने के लिए बेहद कठिन और संकरे दर्रे पार करने पड़ते हैं.
  • 1970 के दशक में भारत और अमेरिका ने एक गुप्त सैन्य मिशन में नंदा देवी पर एक न्यूक्लियर डिवाइस लगाने की कोशिश की थी.
  • इस डिवाइस को लगाने का मकसद चीन की गतिविधियों पर नजर रखना था. बाद में ये डिवाइस कहीं पर खो गई. इससे पर्यावरण पर खतरे की आशंका भी बनीं.
  • पर्यावरण की सुरक्षा को देखते हुए साल 1983 में नंदा देवी पर्वत पर पर्वतारोहण पर बैन लगा दिया गया था.
Nanda Devi

क्यों खोला जा रहा? 

  • नंदा देवी को पर्वतारोहियों के लिए फिर से खोलने की तैयारी चल रही है. भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (IMF) और उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने एक ड्रॉफ्ट तैयार किया है.
  • इस संयुक्त पहल में IMF, उत्तराखंड टूरिज्म और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट शामिल है. उत्तराखंड के टूरिस्ट डिपार्टमेंट से इसे हरी झंडी मिलना बाकी है.
  • उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इस पर अभी मुहर नहीं लगाई है. इसके बाद नंदा देवी को पर्वतारोहियों के लिए खोला जाएगा.
  • पर्वतारोहियों के लिए नंदा देवी पर्वत के खुलने से इस इलाके में टूरिज्म को बड़ा बूस्ट मिलेगा.
  • नंदा देवी के खुलने से उत्तराखंड में स्थानीय लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे. साथ ही इस रीजन में विकास भी होगा. 
  • इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (IMF) के ड्रॉफ्ट के मुताबिक, इस पहल के तहत इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.
  • नंदा देवी के अलावा उत्तराखंड के बागेश्वर में बलजुरी, लासपाधुरा और भनोलती को खोलने पर विचार किया जा रहा है. 
  • इस कड़ी में उत्तरकाशी में रुद्रगैरा सहित अन्य चोटियां भी शामिल हैं. इनको भी खोलने पर सोचा जा रहा है.

किन बातों का रखें ध्यान?

  • नंदा देवी पर्वत पर ट्रेकिंग करने के लिए मंजूरी मिल जाती है तो यहां जाने वालों को कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए.
  • नंदा देवी पर्वत सबसे कठिन चढ़ाई में गिना जाता है. यहां जाने से पहले कुछ बड़े-बड़े ट्रेक करने का अनुभव होना चाहिए.
  • नंदा देवी पर्वत पर जाने से सभी को परमिट लेना पड़ेगा. इसके लिए रजिस्ट्रेशन और स्क्रीनिंग प्रोसेस से होकर गुजरना पड़ेगा.
  • नंदा देवी पर्वत पर अकेले जाना मना होगा. ट्रेवल एजेंसी और ऑर्गनाइजर्स के जरिए यहां जाना पड़ेगा. 
  • नंदा देवी पर्वत एक पवित्र जगह है. यहां के लोकल कल्चर और परंपरा का सम्मान करना चाहिए.

आस्था का प्रतीक- नंदा देवी
उत्तराखंड में नंदा देवी सिर्फ एक पर्वत या देवी नहीं है. नंदा देवी उत्तराखंड की संस्कृति, आस्था और शक्ति का प्रतीक हैं. नंदा देवी से जुड़े ये पौराणिक किस्से उत्तराखंड के लोक जीवन, पर्व और परंपराओं में रचे-बसे हैं. इन किस्सों में शक्ति, भक्ति, प्रकृति प्रेम और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम है. उत्तराखंड में मान्यता है कि नंदा देवी की कृपा से परिवार, समाज और प्रदेश में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.