Train
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आप महिला हैं और ट्रेन में अकेले सफर कर रही हैं तो मानकर चलिए कि आप यात्रा में अब अकेली नहीं हैं, क्योंकि 'मेरी सहेली' आपकी निगरानी कर रही है. ट्रेनों में अकेले सफर करने वाली महिला यात्रियों की आरपीएफ की 'मेरी सहेली' टीम अब ट्रेन के अंदर पहुंचकर उनकी सुरक्षा, सुविधा और मनोबल का ख्याल रख रही है. मेरी सहेली टीम का उद्देश्य महिला यात्रियों को ये अहसास कराना है कि वो सफर के दौरान अकेली नहीं हैं.
अकेली महिला मुसाफिर से बात करती है टीम-
'मेरी सहेली' टीम में शामिल आरपीएफ की महिला कर्मी प्लेटफार्म पर ट्रेन के आते ही एक्टिव हो जाती हैं. उनके पास टैबलेट होता है, जिसमें ट्रेन में अकेले यात्रा कर रही महिला यात्रियों की पूरी जानकारी रहती है. इसी आधार पर टीम की सदस्य संबंधित कोच और बर्थ तक जाकर महिला यात्री से बातचीत करती हैं, उनसे यात्रा में हो रही परेशानी पर सवाल करती है. इतना ही नहीं, जरूरत होने पर 139 पर कॉल कर अकेले यात्रा कर रही महिला यात्री खुद इनकी मदद ले सकती हैं.
झांसी मंडल को विशेष प्राथमिकता-
मेरी सहेली की सेवा देश भर में लागू है, जिसमें झांसी मंडल को विशेष तौर पर प्राथमिकता दी गई है. ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर मेरी सहेली एक्टिव तौर पर काम कर रही हैं. यहां आरपीएफ के शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य दिन और रात दोनों समय की यात्राओं के दौरान महिला यात्रियों को सुरक्षा, सहायता और जागरूकता प्रदान करना है.
कैसे काम करती है 'मेरी सहेली'?
अकेली महिला यात्रियों का डेटा 'रेल प्रहरी' ऐप के जरिए उपलब्ध होता है. जैसे ही कोई ट्रेन दिल्ली से चलती है, ऐप पर ऐसी महिला यात्रियों की सूची तैयार हो जाती है, जो अकेले यात्रा कर रही हैं. इसके बाद दिल्ली, मथुरा, आगरा और ग्वालियर जैसे प्रमुख स्टेशनों पर 'मेरी सहेली' टीम इन यात्रियों की खैरियत पूछती है.
'मेरी सहेली' की ये पहल देश भर में महिलाओं के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित, अधिक सम्मानजनक और तनावमुक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है.
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