scorecardresearch

चीन और अमेरिका के लिए ताइवान क्यों है जरूरी? दो भागों में बंटती दुनिया में भारत का इस पर क्या होगा रुख, विशेषज्ञों से जानें

चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है. इसे लेकर पूरे विश्व में चर्चाएं चल रही हैं. यह पूरा मामला किस तरह से मोड़ लेगा और चीन व अमरीका के लिए ताइवान जरूरी क्यों हैं.

 Taiwan, China, US Conflict Taiwan, China, US Conflict
हाइलाइट्स
  • चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है.

  • चीन कई मुद्दों को लेकर आक्रामक है.

चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है. इसे लेकर पूरे विश्व में चर्चाएं चल रही हैं. यह पूरा मामला किस तरह से मोड़ लेगा और चीन व अमरीका के लिए ताइवान जरूरी क्यों हैं. इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए हमने बात की विदेश मामलों के विशेषज्ञ हर्ष पंत से. पांच सवालों के जरिए समझिए चीन और अमेरिका की स्थिति.

इस वक्त चीन ताइवान को लेकर आगबूबला है और उनसे उसकी घेराबंदी शुरू कर दी है, अब क्या ताइवान पर हमला कर सकता है चीन?

हर्ष पंत कहते हैं कि देखा जाए तो चीन कई मुद्दों को लेकर आक्रामक है. चीन ने लार्ज साइज मिलिट्री एक्सरसाइज को लेकर बात की है. चीन ने यह भी कहा है कि अब वह इकोनॉमिक सैक्शंस भी लागू करने वाला है और इसके बाद चीन ताइवान को यह दिखाने की कोशिश करेगा कि भले ही अमेरिका उसके साथ हो लेकिन ताइवान का चीन के साथ होना ही उसके लिए फायदे का सौदा है. वैसे देखा जाए तो चीन की ताइवान पर हमला करने की संभावनाएं कम हैं क्योंकि ताइवान यूक्रेन नहीं है. ताइवान अपने आप में सशक्त है और ताइवान तकनीक के मामले में भी बहुत आगे है और उसके पास आधुनिक हथियारों की भी कोई कमी नहीं है.


यूएस ने चीन की चेतावनी को नजरंदाज करते हुए ताइवान का समर्थन दोहराया है, नैंसी पेलोसी को ताइवान भेज कर अमेरिका ने चीन को क्या संदेश दिया है?

हर्ष पंत कहते हैं कि अमेरिका ने यह संदेश भेजा है कि अमेरिका भी ताइवान के साथ खड़ा है. अमेरिका यह बताना चाहता है कि वह हिंद प्रशांत में इतनी आसानी से चीन को जगह नहीं देगा. अफगानिस्तान और यूक्रेन के बाद अमेरिका पर कई सारे सवाल उठाए जा रहे थे. इसलिए अमेरिका ने हिंद प्रशांत में जहां उसके कई सारे सहयोगियों यानी एलायंस हैं जो ताइवान की समस्या को गंभीरता से देख रहे थे उनको रीएश्युर करने के लिए अमेरिका ने यह कदम उठाया.


अमेरिका ने ताइवान का साथ देने के लिए कहा है...ताइवान से अमेरिकी हित जुड़े हुए हैं....ताइवान के पास कई अमेरिका के कई बेस हैं, चीन-अमेरिका के लिए ताइवान क्यों जरूरी है?

पंत कहते हैं कि अमेरिका के लिए ताइवान कोई बहुत जरूरी नहीं है, जितना जरूरी वो चीन के लिए है. दरअसल, चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. चीन मानता है कि ताइवान को आखिरकार चीन के साथ ही आना चाहिए और चीन इसे बहुत पहले से अपने चीन पॉलिसी का हिस्सा भी मानता है. और बात जहां तक अमेरिका की है तो वह भले ही one China policy को फॉलो करता हो लेकिन उसका  जो सामूहिक जनादेश है उसके मुताबिक अमेरिका को ताइवान के समर्थन में आना पड़ेगा यदि चीन कुछ हरकत में आता है तो.


चीन के एक्सरसाइज का जापान ने विरोध जताया है जबकि रूस ने चीन के पक्ष में बयान जारी करते हुए कहा है कि अमेरिका चीन को चिढ़ा रहा है, क्या फिर दो खेमों में बंटती दिख रही है दुनिया?

हर्ष पंत कहते हैं, दुनिया दो खेमों में बंटती नजर आ रही है. देखिए रूस चीन का समर्थन कर ही रहा है क्योंकि यूक्रेन- रूस युद्ध से पहले चीन - रूस ने एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें कहा गया था कि वो मित्रता की ओर आगे बढ़ रहे हैं और उनकी लिमिटेड फ्रेंडशिप है. और जहां तक जापान की बात है तो जापान और चीन के बीच भी काफी तनाव चल रहा है. मोटे तौर पर देखें तो चीन और उसके सहयोगी और अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच तनाव है यानी ध्रुवीकरण जैसी स्थिति है.


भारत ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है....लेकिन पूरे मामले पर उसकी नजर बनी हुई है, चीन-ताइवान तनाव का क्या भारत पर भी असर हो सकता है?
 
विदेश नीति विशेषज्ञ हर्ष बताते हैं कि यदि स्थितियां और भी ज्यादा खराब होती हैं तो भारत के लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है. इसका पहला कारण है ग्लोबल इकोनॉमी का कमजोर होना. और इस पूरे तनाव के कारण ग्लोबल इकोनॉमी को बहुत बड़ा झटका लगेगा जिसका असर भारत पर भी पड़ेगा. और दूसरी बात सामयिक मुद्दों पर हिंद प्रशांत में किसी भी तरह का तनाव पैदा होता है तो भारत उससे अलग नहीं रह सकता. और भारत के संबंध चीन से तो नाजुक हैं ही, ऐसे में स्थितियां चिंताजनक हो सकती हैं.