

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत 1.4 अरब डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) का नया कर्ज देने की मंजूरी दे दी है. यह लोन पाकिस्तान को जलवायु से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए दिया गया है. हालांकि, इस लोन की रकम अभी पाकिस्तान को तुरंत नहीं मिलेगी.
इसके अलावा IMF ने एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत मिल रहे 7 अरब डॉलर के पैकेज की पहली समीक्षा को भी पास कर दिया है. इसके तहत पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर (करीब 8,542 करोड़ रुपये) की पहली किश्त मिल जाएगी. अब तक इस पूरे 7 अरब डॉलर के प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को कुल 2 अरब डॉलर की राशि मिल चुकी है.
अगर आपके मन में भी सवाल उठ रहा है कि दुनियाभर को लोन देने वाली संस्था IMF के पास लोन देने के लिए पैसा आता कहां से है या IMF को फंड कौन करता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
IMF क्या है और इसका काम क्या है
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक वैश्विक संस्था है जिसका मकसद वैश्विक मौद्रिक सहयोग (Global monetary cooperation) को बढ़ावा देना, वित्तीय स्थिरता बनाए रखना (financial stability), इंटरनेशनल ट्रेड और इकोनॉमिक डेवलेपमेंट को प्रोत्साहित करना है. जब कोई देश आर्थिक संकट में होता है, तो IMF उसे लोन देता है.
IMF अपने सदस्य देशों को कुछ शर्तों पर लोग देता है. दिसंबर 2023 के मध्य तक, IMF के पास कुल संसाधन लगभग SDR 982 बिलियन (special drawing rights) हैं, जिससे वह लगभग SDR 695 बिलियन (लगभग 932 अरब अमेरिकी डॉलर) तक का ऋण देने में सक्षम है.
1. सदस्य देशों से प्राप्त कोटा (Quota)
IMF को जो पैसा मिलता प्राप्त होता है, उसका मुख्य स्रोत इसके सदस्य देश होते हैं. वर्तमान में IMF के लगभग 190 सदस्य देश हैं, और हर सदस्य देश IMF को एक निश्चित राशि देता है जिसे "कोटा" कहा जाता है. यह कोटा उस देश की आर्थिक शक्ति, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), विदेशी व्यापार, विदेशी मुद्रा भंडार और अन्य आर्थिक मानकों पर आधारित होता है.
इस कोटा के तहत हर देश को एक निश्चित राशि IMF को देनी होती है.
यह राशि आंशिक रूप से देश की अपनी मुद्रा में और आंशिक रूप से प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं (जैसे कि अमेरिकी डॉलर, यूरो, येन) में दी जाती है.
यह कोटा ही IMF की इनकम को मेन सोर्स है और यहीं से वह देशों को लोन देने के लिए पैसा जुटाता है. इस कोटा का इस्तेमाल केवल फंडिंग के लिए नहीं होता, बल्कि यह यह भी तय करता है कि किसी देश की IMF में वोटिंग पावर कितनी होगी और वह कितना ज्यादा लोन ले सकता है.
2. लोन लेने की व्यवस्था (Borrowing Arrangements)
जब IMF को कोटा से मिली राशि से ज्यादा लोन देने की जरूरत पड़ती है, तब वो भी लोन लेता है. IMF लोन के दो सोर्स होते हैं.
पहला New Arrangements to Borrow (NAB). इसमें IMF अमेरिका, जापान, जर्मनी समेत कम से कम तीन दर्जन से ज्यादा विकसित देशों से लेता है. NAB की सहायता से IMF अपनी लोन क्षमता को बढ़ाता है. यह व्यवस्था उन परिस्थितियों में सक्रिय होती है जब IMF को असाधारण मात्रा में वित्तीय सहायता देने की जरूरत होती है.
दूसरा Bilateral Borrowing Agreements यानी जब NAB पर्याप्त नहीं होता, तो IMF कुछ सदस्य देशों के साथ सीधे-सीधे दोतरफा समझौते करता है. इन समझौतों के तहत सदस्य देश IMF को लोन के रूप में पैसा देते हैं, जिसे IMF आगे संकटग्रस्त देशों को लोन के रूप में देता है.
तीसरा Special Drawing Rights यानी SDR एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है जिसे IMF ने 1969 में बनाया था. इसका मकसद सदस्य देशों की विदेशी मुद्रा भंडार को पूरक सहायता प्रदान करना है. SDR का इस्तेमाल खासतौर पर देशों की विदेशी मुद्रा जरूरतों को पूरा करने में किया जाता है. SDR सीधे IMF के लोन प्रोसेस का हिस्सा नहीं होते, इकोनॉमिक फ्लो बढ़ाने में इनका अहम योगदान है. IMF समय-समय पर SDR का आवंटन करता है ताकि सदस्य देशों की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया जा सके. इससे देश अपनी SDR होल्डिंग को अन्य देशों के साथ परिवर्तित कर फॉरेन करेंसी ले सकते हैं.
भारत ने IMF की फंडिंग पर जताई नाराजगी
IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग में भारत ने पाकिस्तान को दी जा रही फंडिंग पर चिंता जताई है. भारत ने कहा कि इसका इस्तेमाल पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद फैलाने के लिए करता है. भारत समीक्षा पर वोटिंग का विरोध करते हुए उसमें शामिल नहीं हुआ. भारत ने बयान जारी कर कहा, सीमा पार आतंकवाद को लगातार स्पॉन्सरशिप देना ग्लोबल कम्युनिटी को एक खतरनाक संदेश भेजता है. यह फंडिंग एजेंसियों और डोनर्स की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है और वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ाता है. हमारी चिंता यह है कि IMF जैसे इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से आने वाले फंड का दुरुपयोग सैन्य और राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.