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Japan Earthquake: 2011 में भी सुनामी ने जापान में मचाई थी तबाही, हजारों लोगों की हो गई थी मौत, फिर ताजा हुआ दर्द, इस देश में क्यों आते हैं इतने भूकंप?

जापान के पश्चिमी तट पर सोमवार को भूकंप के तेज झटके लगे. इस भूकंप ने फिर से 2011 के दर्द को ताजा कर दिया है. उस समय सुनामी की चपेट में आने से 15,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. 2,000 से ज्यादा लोग आज भी लापता सूची में शामिल हैं.

Japan Earthquake Japan Earthquake
हाइलाइट्स
  • पश्चिमी जापान के इशिकावा प्रांत में महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके

  • लोगों से घर खाली करने की अपील

जापान की धरती एक बार फिर नए साल 2024 के पहले दिन भीषण भूकंप से दहल उठी. वहां 7.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. भूकंप की तीव्रता को देखते हुए सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई है. भूकंप के बाद समुद्र का जलस्तर डेंजर लेवल तक पहुंच गया है. इतना ही नहीं लोगों से घर खाली करने की तक अपील की गई है. इस भूकंप ने फिर से 2011 के दर्द को ताजा कर दिया है. आइए जानते हैं उस दिन क्या हुआ था और क्यों जापान में इतने भूकंप आते हैं? 

क्यों आता है भूकंप
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूम रही हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है. डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.

भूकंप कब लाता है, कितनी तबाही
1. कोई भूकंप कितना खतरनाक है? इसे रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खतरनाक होता है.
2. रिक्टर स्केल पर जब 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप होता है तो सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.
3. जब रिक्टर स्केल पर 2 से 2.9 की तीव्रता का भूकंप होता है तो हल्का कंपन होता है.
4. रिक्टर स्केल पर जब 3 से 3.9 की तीव्रता होती है तो ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए.
5. 4 से 4.9 की तीव्रता जब रिक्टर स्केल पर होती है तो भूकंप से खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं.
6. रिक्टर स्केल पर जब तीव्रता 5 से 5.9 की होती है तो घर का फर्नीचर हिल सकता है.
7. 6 से 6.9 की तीव्रता का भूकंप जब आता है तो इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.
8. रिक्टर स्केल पर जब 7 से 7.9 की तीव्रता का भूकंप आता है तो इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं.
9. 8 से 8.9 की तीव्रता अगर रिक्टर स्केल पर भूकंप की होती है तो इस तरह के भूकंप में  इमारतों समेत बड़े पुल भी गिर जाते हैं. सुनामी का खतरा होता है.
10. 9 और उससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही आ सकती है. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी. 

जापान में क्यों बार-बार डोलती है धरती
भूकंप के लिहाज से जापान बेहद संवेदनशील देश है. इसका कारण है यहां मिलने वाली धरती की सबसे अशांत टेक्टोनिक प्लेट्स. ये प्लेटें एक अभिकेंद्रित सीमा बनाती हैं, जिसके कारण ये क्षेत्र दुनिया के सर्वाधिक भूकंपों का केंद्र बन जाता है. यहां पर पेसिफिक प्लेट, फिलिपींस प्लेट और अमरीकी प्लेट के नीचे जा रही है. 

यही कारण है कि जापान में हर साल छोटे-बड़े करीब एक हजार भूकंप आते हैं. यही कारण है कि वहां लोग पक्के मकान न बनाकर कच्चे यानी मिट्टी और लकड़ी के घरों का निर्माण करते हैं. जापान पेसिफिक रिंग ऑफ फायर के क्षेत्र में आता है. इस रिंग ऑफ फायर का असर न्यूजीलैंड से लेकर अलास्का, उत्तर अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका तक होता है. रूस, अमेरिका, कनाडा, पापुआ न्यू गिनी, पेरू और ताइवान जैसे देश भी इसी सीमा में आते हैं.

मजबूत है जापान का मॉनिटरिंग सिस्टम
जापान भूकंप का केंद्र है, ऐसे में वहां भूकंप की मॉनिटरिंग करने का सिस्टम भी काफी मजबूत है. देश की मेट्रोलॉजिकल एजेंसी छह स्तरों पर लगातार हर पल मॉनिटर करती रही है. इसी एजेंसी के तहत देश की सुनामी वार्निंग प्रणाली भी काम करती है. जिसके चलते सिर्फ तीन मिनट में ही पूरे देश में भूकंप और सूनामी की चेतावनी जारी कर दी जाती है.

जब 13 साल पहले जापान में भूकंप ने मचाई थी तबाही
11 मार्च 2011 को जापान के पूर्वी प्रायद्वीप ओशिका से 70 किलोमीटर दूर भूकंप के जोरदार झटके महसूस हुए, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 मापी गई थी. इसका केंद्र 24 किलोमीटर की गहराई पर था. इतने तेज भूकंप ने पूर्वोत्तर जापान को हिलाकर रख दिया था. इसके करीब 20 मिनट बाद ही सुनामी की लहरें उठीं और उत्तर के होककाइदो व दक्षिण के ओकीनावा द्वीप से टकराईं. इस टक्कर ने वहां भारी तबाई मचाई. नेशनल पुलिस एजेंसी के मुताबिक, सुनामी की चपेट में आने से 15,000 से ज्यादा लोग मारे गए. 2,000 से ज्यादा लोग आज भी लापता सूची में शामिल हैं.

भूकंप के बाद हर तरफ तबाही का था मंजर 
2011 के भूकंप और सुनानी के कारण 10 मीटर की ऊंचाई तक लहरें उठी थीं. भूकंप के बाद हर तरफ तबाही का मंजर था. 70 फीसदी इलाका पानी में डूब गया था. सुनामी की लहरों के कारण हुए शॉर्ट सर्किट ने हालात और खराब कर दिए थे. नीचे पानी बह रहा और ऊपर इमारतें और ऑयल रिफाइनरी में आग धधक रही थी. 2.28 लाख लोग बेघर हो गए थे.

परमाणु संयंत्र में घुस गया था समुद्र का खारा पानी
इतना ही नहीं, सुनामी की तेज लहरें फुकुशिमा दाइची परमाणु बिजली संयंत्र में भी घुस गईं. परमाणु संयंत्र में समुद्र का खारा पानी घुसने से रिएक्टर पिघलने लगे और धमाके शुरू हो गए. संयंत्र से भारी मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व लीक हुए जिससे परमाणु विकिरण होने लगा. इसके बाद जापान ने अपने सभी परमाणु बिजली घर 3 साल के लिए बंद कर दिए थे.