
फिलीपींस के राष्ट्रपति रोमुआल्डेज मार्कोस जूनियर भारत के 5 दिन के दौरे पर हैं. इस दौरान उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हुई. दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए. इसमें वीजा फ्री एंट्री का फैसला भी शामिल है. मार्कोस जूनियर ने साल 2022 में फिलीपींस के 17वें राष्ट्रपति बने थे. फिलीपींस की सियासत में मार्कोस फैमिली का दबदबा रहा है. मार्कोस सीनियर 21 साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहे. लेकिन विद्रोह के बाद उनको देश छोड़ना पड़ा. चलिए आपको फिलीपींस की सियासत में मार्कोस फैमिली के दबदबे की कहानी बताते हैं.
लीडर के साथ वकील भी हैं मार्कोस जूनियर-
मार्कोस जूनियर साल 2022 में फिलीपींस के 17वें राष्ट्रपति बने हैं. मार्कोस लीडर के साथ वकील भी हैं. साल 1986 में विद्रोह के बाद पहली बार साल 2022 में लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. जिसमें मार्कोस जूनियर ने जीत हासिल की की. मार्कोस जूनियर फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति फर्डिनेंस मार्कोस सीनियर के बेटे हैं. उनकी मां का नाम इमेल्डा मार्कोस है.
21 साल तक सत्ता पर काबिज थे मार्कोस सीनियर-
राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर के पिता मार्कोस सीनियर फिलीपींस में 21 साल तक सत्ता पर काबिज रहे. मार्कोस सीनियर 1965 से 1986 तक फिलीपींस के राष्ट्रपति रहे. इस दौरान उनपर करप्शन से लेकर तानाशाही तक के आरोप लगे. अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए मार्कोस सीनियर ने साल 1972 में फिलीपींस में मार्शल लॉ लगा दिया. मार्कोस सीनियर पर विरोधी दलों को दबाने के लिए कड़े फैसले लेने के भी आरोप लगे.
साल 1986 में मार्कोस सीनियर के खिलाफ बगावत-
साल 1986 में मार्कोस सीनियर के खिलाफ बगावत हो गई. इसकी शुरुआत उस समय हुई, जब साल 1983 में अगस्त में मार्कोस के विरोधी लीडर बेनिन्ग्रो एक्विनो की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. एक्विनो देश में लोकतंत्र लाने के लिए मनीला लौटे थे. जैसे ही वो एयरपोर्ट पर उतरे, गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. इसके बाद देशभर में मार्कोस के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे. देशभर हजारों प्रदर्शन हुए. बाद में ये प्रदर्शन लोकतंत्र आंदोलन में बदल गया. इस बीच साल 1986 में मार्कोस ने चुनाव का ऐलान कर दिया. इस चुनाव में मार्कोस पर धांधली के आरोप लगे. प्रदर्शन होने लगे. इस बार प्रदर्शन इतना बड़ा हो गया कि मार्कोस को देश छोड़कर भागना पड़ा.
साल 1986 में जब मार्कोस सीनियर फैमिली के साथ देश छोड़कर भागे, उस समय मार्कोस जूनियर 28 साल के थे. इस दौरान मार्कोस सीनियर पर कीमती सामनों से भरे बक्से, गहने, महंगे कपड़े और कैश लेकर भागने के आरोप लगे. साल 1989 में निर्वासन में मार्कोस सीनियर की मौत हो गई.
डिजाइनर जूतों की शौकीन मां इमेल्डा-
मार्कोस सीनियर की पत्नी और मार्कोस जूनियर की मां इमेल्डा पूर्व ब्यूटी क्वीन थी. इमेल्डा मार्कोस डिजाइनर जूतों के लिए दुनियाभर में जानी जाती थी. उनके पास 3000 से ज्यादा जूतों का कलेक्शन था. जब फैमिली देश छोड़कर भागी तो ये सारे जूते राष्ट्रपति भवन में मिले.
मार्कोस जूनियर का सियासी सफर-
मार्कोस जूनियर साल 1998-2007 तक इलोकोस नॉर्टे के दूसरे जिले के प्रतिनिधि थे. इसके बाद साल 2007 से 2010 तक इलोकोस नॉर्टे के गवर्नर बने. इसके बाद साल 2010 से 2016 तक दो बार सीनेटर चुने गए. साल 2022 में देश के राष्ट्रपति चुने गए. इस जीत को फिलीपींस की सियासत में मार्कोस फैमिली की वापसी के तौर पर देखा गया.
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