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उत्तर कोरिया का रहस्यमयी सफर! किम जोंग उन क्यों करते हैं चीन की यात्रा धीमी रफ्तार वाली बुलेटप्रूफ ट्रेन से? क्यों नहीं चुनते हवाई जहाज?

किम जोंग उन का ट्रेन सफर सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि शक्ति और रहस्य का मिश्रण है. यह ट्रेन उनके लिए चलती-फिरती किलेबंदी है, जहां राजनीति तय होती है, सुरक्षा सुनिश्चित होती है और विलासिता का हर अंदाज मौजूद होता है. यही कारण है कि दुनिया के सबसे आधुनिक जेट विमानों के होते हुए भी किम जोंग उन आज भी ट्रेन के पहियों की खटखटाहट पर भरोसा करते हैं.

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बीजिंग की ओर रवाना हुए उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने एक बार फिर अपनी पहचान बनी उस रहस्यमयी ट्रेन को चुना, जिसे दुनिया “धीमी मगर सुरक्षित” यात्रा का प्रतीक मानती है. अक्सर आसमान में उड़ते जेट से सफर करने वाले विश्व नेताओं से अलग किम की पसंद है ये बुलेटप्रूफ ट्रेन, जो न केवल सुरक्षा का किला मानी जाती है बल्कि आलीशान सुविधाओं से भरा चलता-फिरता महल भी है.

35 किमी प्रति घंटे की रहस्यमयी रफ्तार

उत्तर कोरिया से चीन तक यह ट्रेन औसतन 40–45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. सुनने में भले ही यह स्लो लगे, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि यही धीमापन इस ट्रेन की ताकत है. धीमी रफ्तार के कारण सुरक्षा एजेंसियों को हर मोड़ और ट्रैक पर नजर रखने का पूरा मौका मिलता है.

क्या है इस ट्रेन के अंदर?

कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस ट्रेन में 10 से 15 डिब्बे होते हैं. इनमें से कुछ सिर्फ किम के लिए रिज़र्व रहते हैं. इनमें लग्जरी बेडरूम, ऑफिस, मीटिंग हॉल, कम्युनिकेशन रूम, रेस्टोरेंट और मेडिकल स्टाफ के लिए अलग कोच शामिल होते हैं.

  • बताया जाता है कि ट्रेन में दो बख्तरबंद मर्सिडीज कारों को भी ले जाया जाता है.
  • आलीशान डिब्बों में फ्रेंच वाइन, सीफ़ूड और विदेशी डिशेज भी उपलब्ध रहती हैं.
  • 2018 में जारी एक वीडियो में ट्रेन के अंदर गुलाबी सोफे और झूमरों से सजे हॉल देखे गए थे.

बॉर्डर पार करने का तरीका

जब यह ट्रेन रूस की ओर जाती है तो उसका व्हील सेट बदलना पड़ता है क्योंकि वहां रेल ट्रैक का गेज अलग है. जबकि चीन के मामले में ऐसा नहीं होता. वहां ट्रेन को बॉर्डर पार करते ही चीनी इंजन खींचने लगते हैं. यही नहीं, इन इंजनों पर अक्सर 0001 और 0002 जैसे वीआईपी नंबर दर्ज रहते हैं, जो सिर्फ उच्च पदस्थ मेहमानों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.

किम परिवार और ट्रेन की परंपरा

किम जोंग उन के दादा किम इल-सुंग और पिता किम जोंग इल भी ट्रेन से ही विदेश यात्राएं किया करते थे. किम जोंग इल ने तो कभी हवाई यात्रा नहीं की और तीन बार रूस की यात्रा ट्रेन से ही की. साल 2011 में किम जोंग इल की मृत्यु भी इसी ट्रेन में हार्ट अटैक के चलते हुई थी. उस कोच को आज उनके मकबरे में प्रदर्शनी के रूप में रखा गया है.

प्रचार का हथियार भी है यह ट्रेन

उत्तर कोरिया की स्टेट मीडिया इस ट्रेन को सिर्फ विदेशी यात्राओं के लिए नहीं, बल्कि घरेलू “जनता से जुड़ाव” का प्रतीक भी बताती है. कभी इसे किसानों से मिलने, तो कभी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इलाकों के दौरे के लिए दिखाया जाता है. 2022 में इसे “कम्युनिस्ट यूटोपिया की यात्रा” कहा गया था.

क्यों नहीं चुनते हवाई जहाज?

किम जोंग उन के पास प्राइवेट जेट्स भी मौजूद हैं, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि एयरस्पेस की निगरानी और हमले का खतरा ट्रेन की तुलना में कहीं ज्यादा होता है. दूसरी ओर, ट्रेन में उनके पास सुरक्षा बल, खाना-पीना, गाड़ियां और कम्युनिकेशन सिस्टम सब एक जगह मौजूद रहते हैं.

किम जोंग उन का ट्रेन सफर सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि शक्ति और रहस्य का मिश्रण है. यह ट्रेन उनके लिए चलती-फिरती किलेबंदी है, जहां राजनीति तय होती है, सुरक्षा सुनिश्चित होती है और विलासिता का हर अंदाज मौजूद होता है. यही कारण है कि दुनिया के सबसे आधुनिक जेट विमानों के होते हुए भी किम जोंग उन आज भी ट्रेन के पहियों की खटखटाहट पर भरोसा करते हैं.