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Political Crisis in France: फ्रांस में सियासी संकट! 1 साल में 4 प्रधानमंत्री, सिर्फ 27 दिनों में लेकोर्नू ने दिया इस्तीफा, राष्‍ट्रपति मैक्रों को अब नए पीएम की तलाश, जानें इस देश में कैसे होता है चुनाव

France PM Resign: फ्रांस में इस समय सियासी संकट छाया हुआ है. प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने नए मंत्रिमंडल की घोषणा के सिर्फ कुछ घंटे बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. फ्रांस में एक साल में चार पीएम इस्तीफा दे चुके हैं. आइए जानते हैं फ्रांस में बार-बार प्रधानमंत्री के बदलने की क्या है वजह और अब राष्‍ट्रपति मैक्रों के सामने क्या है विकल्प? 

Sebastien Lecornu and Emmanuel Macron (Photo Social Media)  Sebastien Lecornu and Emmanuel Macron (Photo Social Media) 

फ्रांस में इस समय सियासी संकट छाया हुआ है. इस देश की राजनीति पूरी तरह से अस्थिर हो चुकी है. प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने नए मंत्रिमंडल की घोषणा के सिर्फ कुछ घंटे बाद ही गत सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. लेकोर्नू ने 9 सितंबर 2025 को ही प्रधानमंत्री का पद संभाला था. लेकोर्नू फ्रांस के इतिहास में सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले नेता बन गए हैं. फ्रांस में एक साल में चार पीएम इस्तीफा दे चुके हैं. 

लेकोर्नू ने क्यों दिया पीएम पद से इस्तीफा
लेकोर्नू का अचानक इस्तीफा ऐसे वक्त में आया जब लेकोर्नू के सहयोगियों और विपक्षी दलों, दोनों ने ही नई सरकार को गिराने की धमकी दी थी. लेकोर्नू के इस्तीफे के पीछे उनके नए कैबिनेट बनाने को लेकर हुई नाराजगी मानी जा रही है. लेकोर्नू ने कहा कि मैं समझौता करने को तैयार था लेकिन विपक्षी नेताओं के अहंकार और उनकी अपनी पार्टियों के भीतर बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के कारण समझौते की कोई संभावना नहीं बची थी.

कोई भी किसी के साथ सहयोग करने को राजी नहीं था. मुझे ऐसे में काम करना मुश्किल लग रहा था. अपनी पार्टी के बजाए हमेशा अपने देश को चुनना चाहिए. ऐसे में मैंने पीएम पद से इस्तीफा देना जरूरी समझा. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेकोर्नू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. आपको मालूम हो कि 39 साल के लेकोर्नू राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के करीबी सहयोगी माने जाते हैं. वह 2022 में मैक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से 5वें प्रधानमंत्री थे और पिछले साल संसद भंग होने के बाद तीसरे.

पिछले 13 महीनों में फ्रांस के ये चार प्रधानमंत्री छोड़ चुके हैं पद 
1. ग्रैब्रियल अटाल ने पीएम बनने के 240 दिनों के बाद सितंबर 2024 में इस्तीफा दे दिया था.
2. माइकल बर्नियर ने प्रधानमंत्री बनने के 99 दिनों के बाद दिसंबर 2024 में इस्तीफा दे दिया था.
3. फ्रांस्वा बायरू ने पीएम बनने के 270 दिनों के बाद सितंबर 2025 में इस्तीफा दे दिया था.
4. सेबेस्टिन लेकोर्नू ने पीएम बनने के सिर्फ 27 दिनों के बाद अक्टूबर 2025 में इस्तीफा दिया है.

फ्रांस में बार-बार प्रधानमंत्री के बदलने की क्या है वजह 
इमैनुएल मैक्रों पहली बार फ्रांस के राष्ट्रपति साल 2017 में चुने गए थे. उस समय वह काफी लोकप्रिय हुए लेकिन साल 2022 में दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही मैक्रों मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. फ्रांस की राजनीतिक स्थिति 2022 से ही डांवाडोल है, जब मैक्रों की पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिला. बात तब और बिगड़ गई जब पिछले साल राष्ट्रपति मैक्रों ने अचानक समय से पहले ही संसदीय चुनाव करा दिए. फ्रांस में बार-बार प्रधानमंत्री बदलने की मुख्य वजह 2024 का आम चुनाव है, जिसमें किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था.

फ्रांस की संसद तब तीन हिस्से में बंट गई थी. वामपंथी, अति दक्षिणपंथी और मैक्रों का सेंटर-दक्षिणपंथी गठबंधन. किसी के पास भी स्पष्ट बहुमत नहीं था, इसलिए किसी भी नीति या बजट को पारित कराना बेहद मुश्किल हो गया. इमैनुएल मैक्रों पर आरोप है कि उन्होंने 2024 के बाद उन नेताओं को पीएम की कुर्सी दी, जिनके पास सदन में बहुमत नहीं थे. इसी वजह से फ्रांस में पिछले एक साल में चार प्रधानमंत्री बदल गए हैं. मैक्रों पर आरोप है कि उन्होंने संविधान की शक्ति को अतिक्रमण करने की कोशिश की है. फ्रांस की राजनीति में गठबंधन की परंपरा नहीं रही है और यही अब उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है.

...तो मैक्रों की अल्पमत सरकार शायद काम चला लेती 
यदि हालात सामान्य होते तो मैक्रों की अल्पमत सरकार शायद किसी तरह काम चला लेती लेकिन दो बड़े कारणों ने हालात को और कठिन बना दिए. पहला कारण है फ्रांस का बजट संकट. आपको मालूम हो कि यूरोपीय देशों में फ्रांस का बजट घाटा सबसे बड़ा है और देश पर दबाव है कि वह खर्च को कम करे. मैक्रों ने अपने कई प्रधानमंत्रियों को सख्त बजट पारित कराने की जिम्मेदारी दी.

मिशेल बार्नियर पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 2025 के बजट में कटौती का प्रस्ताव दिया, लेकिन संसद ने इसे नकार दिया और दिसंबर में उन्हें पद से हटा दिया गया. उनके बाद फ्रांस्वा बायरू प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 2025 का बजट तो पारित करा लिया, लेकिन 2026 के लिए उनके प्रस्तावों की वजह से उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा. उनके बाद मैक्रों ने सेबस्टियन लेकॉर्नू को प्रधानमंत्री बनाया लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी कैबिनेट को पूरी तरह से खारिज कर दिया और वह एक महीने से भी कम समय में पद छोड़ने को मजबूर हो गए.

फ्रांस में सियासी संकट का ये भी है वजह
फ्रांस में सियासी संकट का एक और बड़ी वजह है साल 2027 में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव. फ्रांस के नियम के मुताबिक मैक्रों दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए सभी राजनीतिक दलों ने अभी से अपनी नीतियां तय करनी शुरू कर दी हैं, ताकि वे उस चुनाव में जीत हासिल कर सकें. इस वजह से संसद में कोई भी दल एक-दूसरे के साथ समझौता करने के मूड में नहीं है. नतीजतन, मैक्रों के प्रधानमंत्रियों को हर बार ऐसे सांसदों से जूझना पड़ता है, जो टकराव की राजनीति कर रहे हैं और सहयोग नहीं करना चाहते. 

फ्रांस में कैसे होता है राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री का चुनाव 
1. फ्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव सीधे यानी प्रत्यक्ष जनमत से होता है. राष्ट्रपति को जनता सीधे चुनाव के जरिए चुनती है. 
2. राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है और कोई भी शख्स एक बार में सिर्फ 2 कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुना जा सकता है. 
3. प्रधानमंत्री की नियुक्ति में जनता की कोई सीधी भागीदारी नहीं होती है.
4. राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री चुनने का विशेषाधिकार है. हालांकि, चुने गए प्रधानमंत्री के लिए सदन का विश्वास हासिल होना जरूरी है. 
5. फ्रांस की नेशनल असेंबली में कुल 577 सीटें हैं, जिसके लिए हर 5 साल पर चुनाव कराने का प्रावधान है. 
6. नेशनल असेंबली बहुमत के साथ यदि पीएम के खिलाफ हो जाती है तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है.
7. यही वजह है कि फ्रांस में उसी शख्स को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता रहा है, जिसके दल के पास सदन में बहुमत है. 
8. फ्रांस की नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 279 सीटों की जरूरत होती है. 

अब राष्‍ट्रपति मैक्रों के सामने क्या है विकल्प 
एक साल में चार प्रधानमंत्रियों के इस्तीफे के बाद इमैनुएल मैक्रों पर सियासी दबाव बढ़ गया है. राष्ट्रपति मैक्रों का कार्यकाल 2027 में समाप्त होने वाला है. मैक्रों के पास अब तीन विकल्प हैं. पहला विकल्प यह है कि वह कोई नया प्रधानमंत्री चुनें, लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि वह किसे चुनें. उनकी अपनी पार्टी से किसी को लाना मुश्किल है और मैक्रों वामपंथी नेताओं को चुनने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि वामपंथी नेता मैक्रों की पेंशन सुधार नीतियों को कमजोर करना चाहते हैं. यदि राष्ट्रपति मैक्रों वामपंथी नेता को प्रधानमंत्री बनाते हैं तो इससे फ्रांस के दक्षिणपंथी गुट नाराज हो सकते हैं, जो कानून व्यवस्था, प्रवास नीति और सख्त आर्थिक नीतियों की मांग करते हैं. कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि अब मैक्रों को किसी गैर-दलीय और पेशेवर व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए जो राजनीतिक झगड़ों से ऊपर रहकर काम कर सके. 

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के पास दूसरा विकल्प यह है कि वह संसद को भंग करके दोबारा आम चुनाव कराएं. लेकिन सर्वेक्षण दिखा रहे हैं कि नए चुनावों में भी वही स्थिति बन सकती है, या फिर अति दक्षिणपंथी पार्टी RN सत्ता में आ सकती है, जो मैक्रों के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक हार होगी. मैक्रों खुद कह चुके हैं कि वह संसद को भंग नहीं करना चाहते. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के पास तीसरा और आखिरी विकल्प यह है कि वह खुद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दें. लेकिन मैक्रों कई बार कह चुके हैं कि वह 2027 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले पद नहीं छोड़ेंगे. आपको मालूम हो कि मरीन ले पेन और जॉर्डन बार्डेला के नेतृत्व वाली अति-दक्षिणपंथी नेशनल रैली लंबे समय से संसदीय चुनावों की मांग कर रही है. वामपंथी दलों ने मैक्रों के इस्तीफे की मांग की है. इन दलों का कहना है कि वर्तमान संकट से निकलने का यही एकमात्र रास्ता है.