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Red Cross: 22 अगस्‍त को ही हुई थी रेड क्रॉस की स्थापना, जिंदगी बचाने वाले इस संगठन के इतिहास और उद्देश्‍य के बारे में जानिए

रेड क्रॉस एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है. इसका निर्माण युद्ध में घायल होने वाले सैनिकों की सहायता के लिए किया गया था. इसका उद्देश्य मानव जीवन की रक्षा करना है, किसी भी युद्ध या कठिनाइयों में लोगों की सहायता करना है. स्विटजरलैंड के व्यवसायी जॉन हेनरी ड्यूनैंट ने रेड क्रॉस की शुरुआत की थी. 

हेनरी ड्यूनैंट ने की थी रेड क्रॉस की स्थापना (फोटो सोशल मीडिया) हेनरी ड्यूनैंट ने की थी रेड क्रॉस की स्थापना (फोटो सोशल मीडिया)
हाइलाइट्स
  • रेड क्रॉस को तीन बार मिल चुका है नोबेल शांति पुरस्‍कार

  • भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी की स्थापना 1920 में हुई थी

रेड क्रॉस एक ऐसी संस्‍था है जो बिना किसी भेदभाव के युद्ध, महामारी और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लोगों की सहायता करती है. विपरीत परस्थितियों में लोगों के जीवन को बचाना ही इस संस्‍था का मुख्‍य उद्देश्‍य है. रेड क्रॉस की स्‍थापना 22 अगस्त 1864 को हुई थी. इस संस्‍था को साल 1917, 1944, 1963 को नोबेल शांति पुरस्‍कार से नवाजा गया. दुनिया भर में इसके तहत 9.7 करोड़ वॉलेंटियर कर्मचारी और सहायक हैं. 

रेड क्रॉस का इतिहास
इंटरनेशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा में स्थित है. दरअसल, प्रथम विश्व युद्ध के बाद फैली त्रासदी और सैनिकों की लाशों के साथ किए गए अमानवीय बर्तावों को देखते हुए एक ऐसी संस्‍था की जरूरत महसूस की गई जो ऐसी स्थिति में बिना भेदभाव के काम कर सके. स्विटजरलैंड के व्यवसायी जॉन हेनरी ड्यूनैंट ने 1859 में इटली में युद्ध के दौरान रक्तपात का भयानक दृश्य देखा था. एक ही दिन में हजारों सैनिक मारे गए और कई घायल हो गए. वहां कोई मेडिकल टीम नहीं थी. यह जानकर ड्यूनैंट काफी दुखी हो गए. उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर घायल सैनिकों की मददी की और उनका उपचार किया. यही नहीं उन्‍होंने घायल सैनिकों के परिवार के लोगों को चिट्ठी भी लिखी.

सम्मेलन में 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधि हुए थे शामिल
इस घटना का जिक्र ड्यूनैंट ने अपनी एक किताब में किया था. किताब के अंत में  उन्‍होंने एक ऐसी सोसायटी बनाने की पैरवी की थी जो विषम परिस्थितियों में लोगों की मदद कर सके. उनके सुझाव पर जेनेवा पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने 1863 में एक कमेटी का गठन किया. कमेटी की ओर से 1864 में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए. इसी सम्‍मेलन में कई उपयुक्त प्रस्तावों और सिद्धांतों को अपनाया गया.  सम्‍मेलन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि रेड क्रॉस आंदोलन का विकास करने के लिए और आहत सैनिकों और युद्ध के अन्य पीड़ितों की सहायता संगठित करन के लिए सभी देशों में राष्ट्रीय समितियां बनाई जाएं. इन समितियों को नेशनल रेड क्रॉस सोसायटीज कहा जाता है. 

भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी की स्थापना
भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी की स्थापना 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के दौरान की गई थी. भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी की 700 से भी ज्यादा शाखाएं हैं. हर साल 8 मई को को विश्व रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है. इस दिन ये दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 8 मई को हेनरी हेनरी ड्यूनैंट का जन्म हुआ था.

रेड क्रॉस की उपयोगिता 
किसी भी देश में कोई न कोई आपदा आती रहती है. किसी भी देश में यदि कोई भी मुसीबत या परेशानी आती है तो उस देश की सरकार की ओर से रेस्क्यू ऑपरेशन कर के लोगों की जान बचाई जाती है. रेड क्रॉस अपने संस्था के द्वारा ऐसे लोगों की सहायता करता है. रेड क्रॉस संस्था लोगों के खाने-पीने, चिकित्सा और उनके रहने की व्यवस्था करती है. किसी भी देश में किसी परेशानी के दौरान यह संस्था सामने आकर ज़्यादा से ज़्यादा मानव जीवन की रक्षा करती है. 

रेड क्रॉस के सिद्धांत
1. मानवता
2. निष्पक्षता
3. तटस्थता
4. स्वतंत्रता
5. स्वैच्छिक सेवा
6. एकता
7. सार्वभौमिकता 

रेड क्रॉस का उद्देश्‍य 
1. सभी देशों में रेड क्रॉस के आंदोलन को फैलाना.
2. रेड क्रॉस के आधारभूत सिद्धांतों के संरक्षक के रूप में कार्य करना.
3. नई रेड क्रॉस समितियों के संविधान से वर्तमान समितियों को सूचित करना.
4. सभी सभ्य राज्यों को जेनेवा अधिवेशन स्वीकार करने के लिए राजी करना अधिवेशन के निर्णयों का पालन करना.
5. इसकी होने वाली अवहेलनाओं की भर्त्सना करना.
6. कानून बनाने के लिए सरकारों पर दबाव डालना और ऐसी अवहेलनाओं को रोकने के लिए सेना को आदेश देना.
7. युद्ध काल में बंदियों की सहायता और अन्य पीड़ितों की सहायता के लिए अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी का निर्माण करना.
8. बंदी शिविर की देख-रेख, युद्धबंदियों को संतोष और आराम पहुंचाना. उनकी स्थिति सुधारने का प्रयत्न करना.
9. शांति और युद्ध के समय में भी सरकारों, राष्ट्रों तथा उपराष्ट्रों के बीच शुभ चिंतक मध्यस्थ के रूप में कार्य करना.
10.  युद्ध बीमारी अथवा आपत्ति से होने वाले कष्टों से मुक्ति का मानवोचित कार्य स्वयं करना अथवा दूसरों को ऐसा करने के लिए सहायता देना.