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Thailand ने 2020 में अपनाया E20, लेकिन 12 साल पहले ही शुरू कर दी थी इसकी तैयारी... जानिए E20 लागू करने के लिए थाईलैंड से क्या सीख सकता है भारत

वर्तमान में, थाईलैंड में गैसोहोल के विभिन्न ब्लेंड्स जैसे ई10, ई20 और ई85 उपलब्ध हैं. यहां लोग जो भी ब्लेंड लेना चाहें, पेट्रोल पंप से खरीद सकते हैं. उनके पास विकल्प मौजूद हैं. थाईलैंड ने यह कैसे हासिल किया, आइए समझते हैं.

Representational Image: AI Representational Image: AI

सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार की ई20 ब्लेंडिंग योजना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. आलोचनाओं के बावजूद केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मंत्री नितिन गडकरी ने ई20 अपनाने के भारत सरकार के फैसले को लगातार डिफेंड किया है. कई विशेषज्ञों ने भारत में ई20 के प्रयोग के प्रति अपनी नाराज़गी भी ज़ाहिर की है, लेकिन भारत इसे अपनाने वाला पहला देश नहीं है. 

भारत से पहले थाईलैंड ने भी ई20 को अपनाया है. इस फ्यूल को अपनाने से देश में प्रदूषण भी कम हुआ है. लेकिन थाईलैंड का ई20 अपनाने का तरीका भारत से अलग है. आइए जानते हैं थाईलैंड ने एक दशक की तैयारी के साथ ई20 कैसे अपनाया और भारत इससे क्या सीख सकता है. 

क्या है थाईलैंड में ई20 का बैकग्राउंड?
थाईलैंड दक्षिण पूर्व एशिया का एक प्रमुख अर्थव्यवस्था वाला देश है. इस देश ने हाल के वर्षों में पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बायोफ्यूल नीतियों पर जोर दिया है. इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम है ई20 ईंधन का अपनाना. यह 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण है. यह ब्लेंड न सिर्फ जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करता है, बल्कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी घटाता है. यानी पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा है.

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थाईलैंड की सरकार ने 2020 में ई10 गैसोहोल को ई20 से बदलने की योजना शुरू की थी. धीरे-धीरे लोगों ने ई20 अपनाना शुरू किया. इसके तहत सभी पेट्रोल स्टेशनों पर ई20 उपलब्ध कराया गया. इससे ई20 को देश का प्रमुख ईंधन बनाने का लक्ष्य रखा गया, जो 2021 तक हासिल होने की दिशा में आगे बढ़ा. लेकिन लोगों ने सीधी तरह ई20 कैसे अपनाया?

थाईलैंड सरकार ने लोगों को कैसे किया राज़ी?
थाईलैंड लंबे समय से इथेनॉल-आधारित ईंधनों का उपयोग कर रहा है. देश में 2009 से ही ई10 (10% इथेनॉल ब्लेंड) उपलब्ध था लेकिन बढ़ते पर्यावरणीय दबाव और कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ई20 की ओर रुख करने का फैसला किया. इसे मुमकिन बनाने के लिए थाईलैंड सरकार ने 2008 में कंपनियों को ई20 कंपैटिबल गाड़ियां तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया. 

थाईलैंड के उत्पाद शुल्क विभाग (Excise Department) ने यह घोषणा की थी ताकि बड़ी कंपनियों को ई20 के लिए गाड़ियां तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. नतीजा यह हुआ कि टोयोटा और होंडा जैसी कंपनियों की 2008 के बाद की कारें ई20 के उपयोग को ध्यान में रखकर तैयार की गईं. आखिर 12 साल के इंतज़ार के बाद 2020 में ऊर्जा मंत्रालय ने घोषणा की कि ई20 को सभी स्टेशनों पर उपलब्ध कराया जाएगा. 

इस तरह ई10 को धीरे-धीरे हटाने की तैयारी की गई. सिर्फ यही नहीं, सरकार ने ई20 को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी भी दी है. यानी अगर आप ई20 खरीदते हैं तो आपको पेट्रोल पर डिस्काउंट मिलेगा. साल 2024 में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की तादाद बढ़ने के बावजूद थाईलैंड सरकार ने बायोफ्यूल सब्सिडी को जारी रखा है ताकि ई20 जैसे ब्लेंड्स का उपयोग बढ़े. 

वर्तमान में, थाईलैंड में गैसोहोल के विभिन्न ब्लेंड्स जैसे ई10, ई20 और ई85 उपलब्ध हैं. यहां लोग जो भी ब्लेंड लेना चाहें, पेट्रोल पंप से खरीद सकते हैं. उनके पास विकल्प मौजूद हैं. थाईलैंड का ई20 को अपनाना एक उदाहरण है कि कैसे विकासशील देश हरित ऊर्जा की ओर बढ़ सकते हैं. यह नीति न केवल पर्यावरण को बचाती है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती है. अगर भारत चाहे तो थाईलैंड से सबक ले सकता है.