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UNSC क्या है, इसकी स्थाई सदस्यता मिलने पर कितनी बढ़ जाएंगी भारत की शक्तियां, जानें ब्रिटेन ने पहली बार क्यों किया इंडिया का समर्थन

अगर भारत यूएनएससी का स्थायी सदस्य बन जाता है तो उसके पास वीटो पॉवर आ जाएगी. इससे काफी हद तक एशिया में शक्ति संतुलन ही बदल जाएगा. तब एशिया में केवल चीन ही नहीं बल्कि भारत भी एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में शुमार होने लगेगा. 

भारत को यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत. भारत को यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत.
हाइलाइट्स
  • चीन अब सिर्फ भारत को यूएनएससी की स्थाई सदस्यता में अड़ा रहा है अपनी टांग

  • भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में काम करने के लिए ब्रिटेन प्रतिबद्ध 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता देने की मांग भारत कई सालों से कर रहा है. अमेरिका, फ्रांस, रूस के बाद अब ब्रिटेन ने भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन किया है. चीन इसमें अपनी टांग अड़ा रहा है. आइए जानते हैं भारत को स्थाई सदस्यता मिलने पर उसकी कितनी शक्ति बढ़ जाएगी.

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी. भारत इसके मूल संस्थापक सदस्यों में है. यानी जिन देशों ने संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था, भारत उनमें एक था. उस समय संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच सदस्यों को स्थायी सदस्यता प्रदान की गई. जिन्हें वीटो पॉवर भी मिला. 

एशिया में शक्ति संतुलन बदल जाएगा
अगर भारत स्थायी सदस्य बन जाता है तो उसके पास वीटो पॉवर आ जाएगी. इससे काफी हद तक एशिया में शक्ति संतुलन ही बदल जाएगा. तब एशिया महाद्वीप में केवल चीन ही नहीं बल्कि भारत भी एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में शुमार होने लगेगा. भारत की बात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहीं ज्यादा गंभीरता से सुनी जाएगी.

चीन के खेल को रोकेगी ये ताकत 
अब तक एशिया को लेकर कई ऐसे फैसले संयुक्त राष्ट्र में आते हैं, जिसे चीन अपनी मर्जी से मानता है या नहीं मानता है. पाकिस्तान भी चीन की आड़ में अपने ऐसे खेल खेल रहा है, जो दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक बनते जा रहे हैं. भारत को स्थाई सदस्यता मिलने पर चीन ऐसा नहीं कर पाएगा.

क्या है वीटो पॉवर
अगर सुरक्षा परिषद में कोई प्रस्ताव आता है और अगर कोई एक स्थायी सदस्य देश इससे सहमत नहीं है तो ये प्रस्ताव पास नहीं होगा या अमल में नहीं आएगा. दूसरे शब्दों में कहे तो किसी भी प्रस्ताव को अगर सुरक्षा परिषद में पास होना है तो उसके पांच स्थायी सदस्यों की सर्वसम्मत्ति जरूरी है. कोई एक देश भी विरोध करते हुए इसके खिलाफ वोट करता है तो ये वीटो कहलाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में इसके स्थायी सदस्य (संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, रूस और चीन) किसी प्रस्ताव को रोक सकते हैं या सीमित कर सकते हैं.

ब्रिटेन ने की ये वकालत
ब्रिटेन सरकार ने गत सोमवार को संसद में पेश रक्षा और विदेश नीति समीक्षा रिपोर्ट 'इंटीग्रेटेड रिव्यू रिफ्रेश 2023' में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत को स्थायी सदस्यता देने और यूएनएससी में सुधारों की वकालत की है. यह ब्रिटेन सरकार की ओर से भारत को सुरक्षा परिषद में स्थान देने का समर्थन करने की पहली बड़ी प्रतिबद्धता है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के विदेशी मामलों के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के प्रवक्ता ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लेकर हमने ब्रिटेन की नीति संबंधी दस्तावेज में बात की है. हमने पहली बार संसद के समक्ष यह बात रखी है कि हम यूएनएससी सुधारों का समर्थन करेंगे. यह ब्रिटेन के रुख में एक बदलाव है. भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में काम करने के लिए ब्रिटेन प्रतिबद्ध है.