
दो दिन तक चले हिंसक प्रदर्शनों और 19 लोगों की मौत के बाद नेपाल में बुधवार को शांति का माहौल लौटा. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज़ में युवा काठमांडू की सड़कों को साफ़ करते नज़र आए. नेपाल में हालात अब सामान्य की ओर लौटते नज़र आते हैं. इसी कड़ी में नेपाल के युवाओं ने देश के अगले प्रधान के नाम का भी चयन कर लिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारी युवाओं ने नेपाल की पूर्व चीफ़ जस्टिस सुशीला कार्की के नाम का चयन किया है.
कौन हैं सुशीला कार्की?
नेपाल के न्यायिक इतिहास में सुशीला कार्की का नाम एक महत्वपूर्ण मुकाम रखता है. वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं और न्यायपालिका में पारदर्शिता, ईमानदारी तथा न्याय की स्वतंत्रता की मिसाल पेश की. कार्की का जन्म सात जून 1952 को नेपाल के मोरांग ज़िले के बिराटनगर में हुआ. सात भाई-बहनों में कार्की सबसे बड़ी हैं. उन्होंने नेपालगंज और काठमांडू में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की.
बिराटनगर के महेंद्र मोरांग कैंपस से बीए की डिग्री लेने के बाद कार्की ने भारत आकर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में मास्टर्स डिग्री हासिल की. रिपोर्ट्स बताती हैं कि यहीं कार्की की मुलाकात अपने भावी पति दुर्गा सुबेदी से हुई. दुर्गा सुबेदी को कुछ लोग कार्की के पति के तौर पर जानते हैं, लेकिन ज़्यादा लोग उन्हें नेपाल रॉयल एयरलाइन्स का प्लेन हाइजैक करने के लिए जानते हैं. आगे बढ़ने से पहले आपको इनका परिचय देना ज़रूरी है.
प्लेन हाइजैकर दुर्गा प्रसाद सुबेदी
दरअसल नेपाल कांग्रेस के सदस्य सुबेदी नेपाल में हमेशा से ही एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए लड़ते रहे हैं. यही वजह थी कि उन्होंने 1973 में नेपाल में चल रहे पंचायत-राज विरोधी प्रदर्शनों को स्पॉन्सर करने के लिए एक प्लेन हाइजैक करने का फैसला किया. इस प्लेन में भारतीय अदाकारा माला सिन्हा सहित 19 यात्री और तीन क्रू मेंबर मौजूद थे.
नेपाल टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि 27 साल के सुबेदी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 10 जून 1973 को बिराटनगर से उड़ान भरने वाले एक ट्विन ऑटर एयरक्राफ्ट (Twin Otter Aircraft) को हाइजैक किया और उसे बिहार के फोर्ब्सगंज में लैंड करवाया. उन्होंने इस एयरक्राफ्ट के बदले 30 लाख भारतीय रुपए फिरौती वसूली. यह सारी रक़म नेपाली कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों को स्पॉन्सर करने के लिए ख़र्च की गई थी.
वकील से चीफ़ जस्टिस बनने तक का सफ़र
दुर्गा सुबेदी के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. उन्होंने अपने जीवन का एक अहम हिस्सा गुमनामी में ही गुज़ारा है. दूसरी ओर, उनकी अर्धांगिनी कार्की नेपाली इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाती चली गई हैं. भारत से नेपाल लौटने के बाद उन्होंने त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से 1978 में कानून की डिग्री (LLB) हासिल की. कार्की ने इसके बाद 1979 में बिराटनगर में ही वकालत शुरू की. तीन दशक तक वकालत करने के बाद उन्हें जनवरी 2009 में सुप्रीम कोर्ट का एड-हॉक जस्टिस नियुक्त किया गया.
कार्की को 23 महीने बाद नवंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट का पर्मनेंट जस्टिस नियुक्त कर लिया गया. इसके बाद वह 2016 में अप्रैल से जुलाई के बीच कुछ महीनों के लिए एक्टिंग चीफ़ जस्टिस भी रहीं. आखिर उन्हें जुलाई 2016 में नेपाल का चीफ़ जस्टिस नियुक्त कर लिया गया. नेपाल की पहली महिला चीफ़ जस्टिस के तौर पर उनका ऐतिहासिक कार्यकाल करीब एक साल का रहा.
इस कार्यकाल में उन्होंने कई अहम फ़ैसले दिए. पंचायती राज के खिलाफ कार्की का एक्टिविज़्म और चीफ़ जस्टिस के तौर पर उनके कार्यकाल ने उन्हें लोकप्रियता के नए मुकाम पर पहुंचा दिया. अब वह नेपाल की अगली प्रमुख बनने की राह पर हैं.