father passed son failed
father passed son failed महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल द्वारा घोषित दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में इस बार ‘कहीं खुशी, कहीं गम’ की तस्वीर साफ देखने को मिली. चंद्रपुर जिले के वढोली गांव के अनिल अभिमन्यु कलगटवार (उम्र 45 वर्ष) ने 26 साल बाद पहली ही कोशिश में दसवीं की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया लेकिन वहीं उनके बेटे प्रिंस कलगटवार का फेल हो जाना इस खुशी में एक उदासी भी ले आया.
अनिल का परिवार कबाड़ जमा कर अपने जीवन की गाड़ी खींचता है. कठिन परिस्थितियों में भी उनके बड़े बेटे अमित कलगटवार ने मेहनत और लगन के बल पर ‘अग्निवीर’ योजना में स्थान पाया और इस समय मध्य प्रदेश में देशसेवा में नियुक्त हैं.
आर्थिक तंगी ने मजदूरी करने पर मजबूर किया
अनिल को हमेशा से पढ़ाई का शौक रहा, लेकिन आर्थिक तंगी ने उन्हें मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने 1997 में दसवीं की परीक्षा दी थी, लेकिन अंग्रेजी और गणित में अनुत्तीर्ण हो गए थे. बेटे की अग्निवीर में सफलता से उन्हें नया आत्मविश्वास मिला और उन्होंने ठान लिया कि वह भी पढ़ाई में अपनी अधूरी कहानी को पूरा करेंगे, साथ ही लोग उन्हें 10 फेल होने का ताना भी देते थे, इसीलिए अनिल ने 10 की परीक्षा देकर सफल होकर दिखाया, अब अनिल ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी करने की बात कर रहे हैं.
26 साल बाद दी परीक्षा
26 साल बाद, उसी जुनून और हौसले के साथ उन्होंने दसवीं की परीक्षा फिर से दी. इस बार संयोग ऐसा रहा कि उनके साथ ही उनका छोटा बेटा प्रिंस भी दसवीं की परीक्षा में शामिल हुआ. जब परिणाम आया, तो पूरे परिवार को चौंकाने वाला दृश्य देखने को मिला-पिता पास हो गए, और बेटा फेल.
बेटे के लिए प्रेरणा बने अनिल
इस असामान्य लेकिन प्रेरणादायक क्षण पर अनिल कलगटवार ने कहा, "मैं अपने बेटे को अगली परीक्षा देने में पूरा सहयोग करूंगा. मुझे उस पर पूरा भरोसा है कि वह अगली बार जरूर सफल होगा. हमारा पूरा परिवार उसके साथ खड़ा है."
अनिल की यह कहानी बताती है कि उम्र या हालात कोई भी हों, यदि संकल्प दृढ़ हो तो हर मंजिल मुमकिन है. साथ ही यह भी कि असफलता भी एक सीख है और परिवार की एकजुटता उसमें भी उम्मीद की रोशनी बनकर खड़ी रहती है.
-विकास राजूरकर की रिपोर्ट