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Ashish Thakur Para-Bodybuilding: सड़क दुर्घटना में गंवाया पैर, गर्लफ्रेंड और दोस्तों ने भी छोड़ा साथ, अब पैरा बॉडीबिल्डिंग में बनाया करियर... जानिये आशीष ठाकुर की कहानी

कोविड-19 का समय था. आशीष जिम से लौट रहे थे. सड़क पर तेज़रफ्तार दौड़ती हुई एक कार ने आशीष को टक्कर मारी. हवा में 15 फीट ऊंचे जाने के बाद आशीष ज़मीन पर आ गिरे.

Representational Image: Freepik Representational Image: Freepik

चंडीगढ़ के रहने वाले आशीष ठाकुर मर्सिडीज़-बेंज़ की एक फ्रेंचाइज़ी में इंश्योरेंस मैनेजर थे. उनके पास एक अच्छी नौकरी थी, एक अच्छा परिवार था और सामाजिक प्रतिष्ठा थी. उनके पास वह सब कुछ था जो एक मिडल क्लास शख्स को चाहिए होता. लेकिन छह फरवरी 2020 को हुई एक सड़क दुर्घटना में आशीष का जीवन पूरी तरह बदल गया. 

जब कार एक्सिडेंट ने बदला जीवन
कोविड-19 का समय था. आशीष जिम से लौट रहे थे. सड़क पर तेज़रफ्तार दौड़ती हुई एक कार ने आशीष को टक्कर मारी. हवा में 15 फीट ऊंचे जाने के बाद आशीष ज़मीन पर आ गिरे. आशीष को अस्पताल में भर्ती कराया गया. आशीष के हेल्मेट ने उनके सिर को तो बचा लिया था, लेकिन उनका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो चुका था. ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट आशीष के हवाले से बताती है कि उनके पैर के मांस को बहुत नुकसान हुआ था.

आशीष कहते हैं, "डॉक्टरों ने ऑपरेशन के वक्त किसी और की स्किन इस्तेमाल करने का फैसला किया. मेरे शरीर ने उसे स्वीकार नहीं किया. पैर में गंभीर इन्फेक्शन हो गया. पैर में कीड़े भी पनपने लगे. कीड़ों की वजह से डॉक्टरों ने मेरा पैर काटने का फैसला किया. हालांकि मेरी स्थिति बिगड़ती गई और मुझे पीजीआई हॉस्पिटल से चंडीगढ़ के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. वहां मेरे पैर की सर्जरी हुई और मेरा आधा पैर काट दिया गया."

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कई दिनों के इलाज के बाद आशीष धीरे-धीरे ठीक होने लगे. हालांकि उनका पैर जा चुका था. वह कई दिनों तक कमरे में ही बंद रहे. रिपोर्ट आशीष के हवाले से कहती है कि दीवारें उनके नज़दीक आती हुई लगती थीं. कमरा छोटा होता हुआ प्रतीत होता था. उनकी गर्लफ्रेंड उन्हें 'विकलांग' बोलकर उन्हें छोड़ गई. दोस्तों ने दूरी बना ली. पिता उस सड़क दुर्घटना के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराने लगे. एक वक्त ऐसा आया जब आशीष खुद से पूछने लगे, वह किसके लिए जिन्दा हैं?

...मां, दोस्त और जिम
इस बुरे दौर में आशीष को अपनी मां और एक दोस्त से ताकत मिली. इस दोस्त का एक जिम भी था. आशीष बताते हैं, "मेरा दोस्त लॉकडाउन के दौरान मुझे चुपके से जिम ले जाता था. वह मुझे व्यायाम और ट्रेनिंग के लिए मजबूर करता था. धीरे-धीरे मैं रोज़ाना 3-4 घंटे जिम में बिताने लगा." आशीष के दोस्त ने 2022 में उन्हें इंटरनेशनल हेल्थ फिटनेस फेस्टिवल (IHFF) के लिए ट्रेनिंग देनी शुरू की. 

यह दिव्यांग एथलीटों के लिए एक बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता है. आशीष 2022 में जीत नहीं सके लेकिन 2023 में उन्होंने मज़बूती से वापी की और आखिर 2024 में अपनी कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा आशीष की मुलाकात 2022 में अंतिम से भी हुई. वह बताते हैं, "अगर मैं बिना नमक का खाना खाता, तो वह भी वही करती. अगर मैं पानी से परहेज करता, तो वह भी परहेज करती." 

इस साल जनवरी में दोनों ने शादी कर ली. अंतिम की बदौलत आशीष अब अंतरराष्ट्रीय बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं. अपनी पत्नी की सलाह पर, आशीष ने पूरी तरह से फिटनेस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एचडीएफसी के सेल्स विभाग की नौकरी छोड़ दी. अब वह भारत और विदेश के छात्रों को प्रशिक्षण देते हैं और अक्सर ज़रूरतमंदों से बिना कोई शुल्क लिए फिटनेस मार्गदर्शन प्रदान करते हैं.

आशीष ने कहा, "अब मेरा लक्ष्य फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग में नाम कमाना है. मैं लोगों को प्रशिक्षण देता हूं और मदद चाहने वाले हर व्यक्ति का मार्गदर्शन करता हूं. आज मैं जो कुछ भी हूं, अपनी मां, अपने दोस्त और अपनी पत्नी की बदौलत हूं."