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40 में फिट, 60 में स्ट्रॉन्ग और 80 की उम्र में आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं तो फॉलो करें ये हेल्थ टिप्स

60 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लोग ढलने लगते हैं और शरीर के साथ-साथ कई बार उनकी मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है. इसलिए लोगों को हर उम्र में खुद को फिट रखने की कोशिश करनी चाहिए.

Keep yourself healthy (Photo: Unsplash) Keep yourself healthy (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • 60 की उम्र तक बीमारियों का शिकार होने लगते हैं लोग हैं महिलाएे

  • जरूरी है खुद की देखभाल करना

40-45 की उम्र में लोगों का, खासकर महिलाओं का शरीर ढलने लगता है. वे तरह-तरह की बीमारियों से घिरने लगती हैं. और इसका एक मुख्य कारण है माहवारी का बंद होनी यानी मेनोपॉज. मेनोपॉज आसान नहीं होता है. इस दौरान महिलाओं का न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. 

इसके अलावा, आदमी भी अपने काम में इतना उलझकर रह जाता है कि खुद को भूल जाता है. तनाव के कारण ज्यादातर लोगों को अलग-अलग बीमारियां होने लगती हैं. इसलिए सब को इस उम्र में खुद पर ध्यान देने की भी जरूरत होती है. सबको अपनी मालसिक सेहत और फिटनेस का पूरी ख्याल रखना चाहिए. 

लोगों का उद्देश्य होना चाहिए कि वे 40 में फिट, 60 में स्ट्रॉन्ग और 80 की उम्र में आत्मनिर्भर होंगे. और आप ऐसा बिल्कुल कर सकते हैं. बस जरूरत है खुद पर थोड़ा ध्यान देने की. 

1. जीवनशैली में बदलाव

सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव करें. जो पहले नहीं किया वह अब करें. जैसे कि अपने किसी शौक को पूरी करें, नियमित  योगा अभ्यास करें जैसे अनुलोम-विलोम प्राणायाम, शवासन, भुजंगासन, कपालभाति, नौकासन आदि. इससे आप स्वस्थ भी होंगे और आपके चेहरे पर एक तेज, चमक और ग्लो बना रहेगा.  

2. हमेशा लें डॉक्टर की सलाह

समय-समय पर अपना मेडिकल चेकअप कराते रहें. उम्र के साथ शरीर में बीमारियां पनपने लगती हैं जिन्हें समय पर न रोका जाए तो ये मुसीबत बन जाती हैं. इसलिए काम करते हुए खुद का भी ध्यान रखें. 

3. सप्लीमेंट्स

समय-समय पर बल्ड चेकअप कराते रहें और रिपोर्ट के आधार पर कुछ सप्लीमेंट अपनी डाइट में लें. कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करते हैं. मल्टीविटामिन इस आयु वर्ग की कुछ कमियों को दूर करने में मदद करते हैं. 

4. मानसिक स्वास्थ्य:

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए हमेशा खुश रहें और सकारात्मक सोचें. जितना हो सके खुशनुमा माहौल बनाकर रखें और तनाव से दूर रहें.