
भारत वैश्विक मंच पर पाकिस्तान से सीधा लोहा ले रहा है. भारत का संदेश पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल विदेश जा रहा रहा है. भारत के मल्टी पार्टी डेलिगेशन कई सारे देशों में पहुंच चुके हैं और लगातार भारत का जो मैसेज है दुनिया के लिए, उसे पहुंचा रहे हैं. भारत के मल्टी पार्टी डेलिगेशन ने बहरीन से शुरुआत की. इसके बाद यह कुवैत और सऊदी अरब जैसे मुस्लिम वर्ल्ड के अहम देशों का दौरा करेगा.
क्या है भारत की कूटनीति?
भारत का मुख्य मकसद ये समझना है कि दुनिया इस मुद्दे को कैसे देखती है. खासकर पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के रूप में उसके जवाब के बाद. भारत दुनिया को बताना चाहता है कि ये दो देशों की लड़ाई नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद का मुद्दा है. दरअसल मध्य एशिया के देश पाकिस्तान के आतंकवाद से भले ही प्रत्यक्ष रूप से रूबरू न हों, लेकिन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के आतंकवाद का दंश झेल चुके हैं. ऐसे में वह मुस्लिम कट्टरपंथ से जुड़ी परेशानियों को समझते हैं.
भारत का काम मुस्लिम देशों को यही समझाना है पाकिस्तान में अपनी जड़ें फैला चुका आतंकवाद और इस्लामिक स्टेट दरअसल एक जैसे ही हैं. लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बहरीन में मीडिया को संबोधित करते हुए इस बात को साफ भी किया. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में इन आतंकवादी संगठनों और आईएसआईएस की तकफ़ीरी विचारधारा में कोई अंतर नहीं है. हमें यह याद रखना चाहिए."
उन्होंने कहा, "यह पूरी मानवता के लिए ख़तरा है और हमें इसे ख़त्म करना होगा. उन्होंने लोगों की हत्या को सही ठहराने के लिए धर्म का इस्तेमाल किया है और पूरी दुनिया जानती है कि इस्लाम आतंकवाद की निंदा करता है. कुरान में साफ तौर पर लिखा गया है कि एक निर्दोष मुस्लिम नहीं निर्दोष व्यक्ति की हत्या पूरी मानवता की हत्या के समान है."
"पाकिस्तान मुस्लिम देश है लेकिन.."
इस्लामिक स्टेट के उदाहरण से भारत मुस्लिम देशों को ये समझाने की कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान बेशक मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन इस वजह से भारत के खिलाफ हरकतों के मामले में उसे बख्शा नहीं जा सकता. भारत का प्रतिनिधिमंडल मुस्लिम देशों की सरकार और राजनीति में प्रभावशाली लोगों से मिल रहा है. इन देशों के थिंक टैंक से बातचीत कर रहा है. भारतीय प्रतिनिधि इन देशों में रहने वाले भारतीयों से भी बात कर रहे हैं ताकि आतंकवाद के खिलाफ एकराय बनाई जा सके.
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने इस विषय पर कहा, "प्रधानमंत्री ने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि हम केवल दो मुद्दों पर बातचीत करेंगे क्योंकि उन्होंने अवैध रूप से कब्जा (पीओके पर) कर रखा है. आप जानते हैं, जब हम आज़ाद हुए तो अलग-अलग हिस्से भारत-पाकिस्तान के बीच बंट गए. अंग्रेजों ने एक व्यवस्था बनाई. उस व्यवस्था के तहत, जम्मू और कश्मीर ने हस्ताक्षर किए और हमारे पास आ गया."
उन्होंने बताया, "पाकिस्तान ने इसके कुछ हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. तब से हम बातचीत कर रहे हैं. इसलिए अब हम पाकिस्तान के साथ केवल दो मुद्दों पर बातचीत करेंगे. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की वापसी और आतंकवाद को रोकना. अब वे जानते हैं कि हमें जवाब देने के लिए क्या करना है. उन्हें उन आतंकवादियों पर कार्रवाई करनी होगी जो उनकी धरती पर खुलेआम अपना काम कर रहे हैं."
बातचीत और बैठकों के जरिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का मकसद ये समझाना है कि गल्फ को-ओपरेशन काउंसिल के कुछ अहम सदस्य भारत के नजरिये को कैसे देख रहे हैं. भारत का संदेश बिल्कुल साफ है कि वो शांति का पक्षधर तो है, लेकिन आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा."