Gulabi Meenakari of Varansi
Gulabi Meenakari of Varansi उत्तर प्रदेश के वाराणसी को बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है. यह संत-महात्माओं की नगरी है. यहां काशी विश्वनाथ विराजते हैं. जो विश्वप्रसिद्द 12 शिव ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. इसके अलावा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ-साथ बनारसी पान और बनारसी साड़ी के लिए मशहूर है.
देश-दुनिया के लोग हर साल लाखों की तादाद में काशी पहुंचते हैं. किसी को भोलेनाथ का डमरू खींच लाता है तो बहुत से लोग मुक्ति पाने की लालसा में इस नगरी में पहुंचते हैं. धर्मिक और ऐतिहासिक, दोनों रूप से महत्वपूर्ण काशी के बारे में लोगों को लगता है कि दो-चार बार जाने से ही वे काशी को जाना जा सकता है.
लेकिन ऐसा नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह विधानसभा क्षेत्र अपने आप में एक पहेली है. आप जितनी बार काशी जायेंगे उतनी बार कुछ ऐसा पाएंगे, जो आपके लिए बहुत नया होगा लेकिन काशी के लिए एकदम पुराना. और आज इस क्रम में हम आपको बता रहे हैं काशी की प्रसिद्द शिल्पकला ‘गुलाबी मीनाकारी’ के बारे में.
सोने-चांदी पर होती पारदर्शी गुलाबी मीनाकारी:
मीनाकारी के बारे में हम सबने सुना है. यह ऐसा हुनर है जिसके लिए आपके पास असाधारण कल्पना शक्ति होनी चाहिए और साथ ही आपके हाथ सधे होने चाहियें. बताया जाता है कि मीनाकारी शिल्पकला किसी जमाने में ईरान से भारत आई थी. और भारत में अलग-अलग इलाकों में इस कला पर अनगिनत प्रयोग हुए.
जैसे राजस्थान में लाल और हरे रंगों से मीनाकारी पैटर्न बनाए जाते हैं और यह अपारदर्शी होती है. इस शिल्पकला से तरह-तरह की प्रतिमाएं जैसे गणपति, मोर, हाथी आदि के साथ-साथ गहने जैसे बाजूबंद, झुमके, कंगन भी बनाए जाते हैं. सोने और चांदी के अलावा अन्य मेटल पर भी आजकल मीनाकारी होती है.
एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कारीगर कुंज बिहारी ने बताया कि बनारस में ‘गुलाबी मीनाकारी’ होती है. और यह पारदर्शी है. इससे एक आइटम बनाने में कारीगर को सात स्टेप्स से गुजरना पड़ता है और घंटों की मेहनत से एक प्रॉडक्ट तैयार होता है.
बनारस की इस शिल्पकला को मिला GI Tag:
बनारस में गुलाबी मीनाकारी का काम करने वाले लगभग 300 कारीगर हैं. और इनमें बहुत सी महिलाएं भी शामिल हैं. साल 2015 में बनारस की गुलाबी मीनाकारी को GI Tag भी मिला. जिसके बाद इंटरनेशनल लेवल पर देश की इस शिल्पकला की वैल्यू काफी बढ़ी है.
इसके बाद यह कला तब भी चर्चा में आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को गुलाबी मीनाकारी का चैस बोर्ड (शतरंज) उपहारस्वरुप दिया. उस चैस बोर्ड को बनाने वाले मीनाकारी कारीगर कुंज बिहारी का कहना है कि उस समय अगले पांच घंटों में ही उन्हें ढेरों ऑर्डर मिल गए थे.
कोरोना काल में जब बहुत से उद्यम संघर्ष कर रहे थे, तब बनारस में गुलाबी मीनाकारी करने वाले कारीगरों के हाथ लगातार काम कर रहे थे.
डिज़ाइन में हो रहे हैं बदलाव:
कारीगरों का कहना है कि सधे हाथों से घंटों तक मशक्कत करके की जाने वाली इस कारीगरी को अब युवा लड़कियां भी सीख रही हैं. उनमें से एक है शालिनी यादव, जिन्होंने प्रधानमंत्री के सामने अपनी हुनर को प्रदर्शित भी किया है. उनका कहना है कि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इस तरह की पारंपरिक कला को आगे बढ़ाने के लिए इससे जुड़ना चाहिए.
क्योंकि यह कला बनारस की पहचान का हिस्सा है. और अब समय के साथ इसके डिजाइन्स में काफी बदलाव हो रहे हैं. अब मीनाकारी से सिर्फ गहने या परम्परागत मूर्तियां ही नहीं बल्कि कॉर्पोरेट गिफ्ट्स भी तैयार किए जा रहे हैं. जिस कारण सभी जगह इसकी मांग बढ़ी है.
(वाराणसी से वीडियो जर्नलिस्ट रोहित मिश्रा के साथ शिल्पी सेन की रिपोर्ट)