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क्या होती है EV Retrofitting? कैसे अपनी पुरानी डीज़ल या पेट्रोल कार को बदलें इलेक्ट्रिक कार में, जानिए...

EV Retrofitting Benefits: ईवी रेट्रोफिटिंग के बहुत से फायदे हैं. सबसे पहले तो यह वाहन को जीरो पॉल्यूशन बना देता है. पेट्रोल या डीजल ईंधन की तुलना में ड्राइवट्रेन का उत्पादन करने में कम लागत लगती है, इससे जीरो नॉइज़ पॉल्यूशन होता है. इसमें गर्मी उत्पन्न नहीं होती है, कोई वाइब्रेशन भी नहीं होती है. 

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हाइलाइट्स
  • पुराने वाहनों को बदलें इलेक्ट्रिक वाहन में

  • उठायें किफायती और पर्यावरण के लिए बेहतर कदम

दिल्ली सरकार ने हाल ही में राजधानी में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द करने का आदेश दिया है. इस आदेश को लागू करने के बाद आरटीओ ने पुराने वाहनों को हटाना शुरू कर दिया ही. एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, शहर में करीब 1.5 लाख डीजल वाहन ऐसे हैं जो 10 साल पुराने हैं और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों की संख्या 28 लाख से अधिक है. 

हालांकि लोगों के पास दिल्ली के बाहर अपने वाहनों को फिर से रजिस्टर कराने का एक विकल्प है, लेकिन दिल्ली सरकार ने एक और अच्छा विकल्प दे रही है. दरअसल, वाहनों को ईवी किट के साथ रेट्रोफिटिंग के बाद चालू रखने का विकल्प लोगों के पास है. 

क्या है ईवी रेट्रोफिटिंग (What Is EV Retrofitting):

ईवी रेट्रोफिटिंग (ev retrofitting) का मतलब मौजूदा पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलना है. इस प्रक्रिया में वाहनों के मूल इंजन और अन्य संबंधित पार्ट्स को बदलकर एक नया एनर्जी सिस्टम लगाया जाता है. इसे या तो मौजूदा वाहन मोटर में जोड़ दिया जाता है या मौजूदा इंजन को पूरी तरह से एक नई मोटर और ड्राइवट्रेन से बदला जाता है. 

हालांकि वाहन पर अन्य सभी कंपोनेंट्स समान रहते हैं, जिससे सस्पेंशन, ब्रेक, हेडलाइट आदि जैसे पार्ट्स को बदलना या मरम्मत करना आसान हो जाता है. 

क्या है फायदा (ev retrofitting benefits): 

ईवी रेट्रोफिटिंग के बहुत से फायदे हैं. सबसे पहले तो यह वाहन को जीरो पॉल्यूशन बना देता है. पेट्रोल या डीजल ईंधन की तुलना में ड्राइवट्रेन का उत्पादन करने में कम लागत लगती है, इससे जीरो नॉइज़ पॉल्यूशन होता है. इसमें गर्मी उत्पन्न नहीं होती है, कोई वाइब्रेशन भी नहीं होती है. 

10-15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के नियम को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो रेट्रोफिटिंग सबसे बड़ा फायदा है कि अगर आपका वाहन अच्छी स्थिति में है तो यह उसकी लाइफ बढ़ा रहा है. इससे आपके वाहन को रिटायर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. 

सीएनजी और ईवी में है क्या अंतर: 

सीएनजी वाहन में, कार का मुख्य भाग यानी इंजन और ट्रांसमिशन नहीं बदलता है. और गैस खत्म होने पर इसे डीज़ल या पेट्रोल से चलाने का विकल्प वायु प्रदूषण का कारण बनता है. तेल, केबल आदि की लागत के साथ इंजन के रख-रखाव की लागत समान रहती है. 

गाड़ी में सीएनजी भरने के लिए, आपको इसे पंप पर ले जाना होगा. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों को घर पर चार्ज किया जा सकता है. इनका रख-रखाव कम है. और आप इन्हें अपने घर में आसानी से चार्ज कर सकते हैं. 

क्या ईवी रेट्रोफिटिंग है सुरक्षित विकल्प: 

नई बाइक या कारों के लिए उपयोग की जाने वाली किट की तुलना में रेट्रोफिट ईवी किट का ज्यादा ट्रायल लिया जाता है. जब ईवी किट को फिर से लगाने की बात आती है तो परिवहन विभाग भी अधिक सचेत होता है और सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाता है. आरटीओ केवल उन्हीं रेट्रोफिटिंग एजेंसियों को अनुमति देता है जो निर्धारित सख्त मानकों का पालन कर रहे हैं. सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए ही आरटीओ अनुमोदित केंद्रों पर ईवी रेट्रोफिटिंग की जाती है.
 
ईवी वाहन सीएनजी वाहनों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं क्योंकि बैटरियों का पूरी तरह से ट्रायल किया जाता है और उसके बाद ही इन्हें वाहनों पर इस्तेमाल करने की मंजूरी मिलती है. 

किफायती विकल्प है रेट्रोफिटिंग: 

रेट्रोफिटिंग इतना महंगा नहीं है. बल्कि अपन नई गाड़ी या अन्य कोई वाहन खरीदें, तो यह उससे बहुत सस्ता है. क्योंकि आपके पास पहले से अपनी गाड़ी है. आपको सिर्फ ईवी किट लगवाना है. ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी डीजल और पेट्रोल कारों और चार पहिया वाहनों की रेट्रोफिटिंग में बैटरी क्षमता और रेंज के आधार पर 3-5 लाख रुपये खर्च होते हैं. 

आजकल मार्किट में बहुत-सी ऐसी एजेंसी हैं जो पुरानी करों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील कर रही हैं. तो देर किस बात की. आज ही करें इनके बारे में पता और एक कदम बढ़ाएं जीरो पॉल्यूशन वाहन की ओर.