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घरों से निकलने वाले जैविक कचरे से हर दिन 18000 किलो CNG बनाएगा इंदौर नगर निगम, इसी CNG से चलेंगी शहर की 250 बसें

बताया जा रहा है कि इंदौर में घरों से हर दिन 600 टन जैविक कचरा निकलता है. जिसे नगर निगम ‘डोर टू डोर’ जाकर कलेक्ट करता है और इसे प्रोसेसिंग के लिए ट्रेन्चिंग ग्राउंड भेजता है. लेकिन अब इस कचरे को दिल्ली की कम्पनी ‘EVER ENVIRO RESOURCE MANAGEMENT’ को भेजा जायेगा. इस कचरे से यह कंपनी हर दिन करीब 18 हज़ार किलो बायो-सीएनजी बनाएगी.

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हाइलाइट्स
  • इंदौर में हर दिन निकलता है 600 टन जैविक कचरा

  • जैविक कचरे से 18000 किलो/दिन CNG बनाएगा नगर निगम

मध्य प्रदेश के शहर इंदौर पिछले कई सालों से स्वच्छता के मामले में अव्वल है. इंदौर को लगातार पांच बार स्वच्छता के मामले में नंबर 1 अवॉर्ड मिला है. शहर को स्वच्छ रखने और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिला प्रशासन कोई न कोई नई पहल करता ही रहता है.

और अब एक बार फिर इंदौर शहर का नाम अपनी एक अनूठी पहल के कारण चर्चा में है. दरअसल जल्द ही, इंदौर में अब एशिया का सबसे बड़ा बायो-सीएनजी प्लांट जल्द शुरू होने जा रहा है. इस प्लांट में घरेलू गीले कचरे यानी सब्ज़ी, फल आदि के कचरे से बायो-सीएनजी बनाई जाएगी और इस सीएनजी से सैंकड़ों वाहन चलेंगे.

हर दिन निकलता है 600 टन जैविक कचरा:  

बताया जा रहा है कि इंदौर में घरों से हर दिन 600 टन जैविक कचरा निकलता है. जिसे नगर निगम ‘डोर टू डोर’ जाकर कलेक्ट करता है और इसे प्रोसेसिंग के लिए ट्रेन्चिंग ग्राउंड भेजता है. लेकिन अब इस कचरे को दिल्ली की कम्पनी ‘EVER ENVIRO RESOURCE MANAGEMENT’ को भेजा जायेगा. 

इस कचरे से यह कंपनी हर दिन करीब 18 हज़ार किलो बायो-सीएनजी बनाएगी. अधिकारियों का कहना है कि यह देश का पहला और एशिया का सबसे बड़ा प्लांट होगा. इस प्लांट से नगर निगम को सालाना करीब ढाई करोड़ की कमाई होगी. 

साथ ही 50% बायो सीएनजी नगर निगम खुद सस्ती दर पर खरीदेगा और जिससे शहर में ढाई सौ सिटी बस चलाई जाएंगी.

बनेगी 100 टन खाद भी:  

इस प्लांट की लागत 150 करोड़ है और इसके लोकार्पण के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित भी किया है. इंदौर नगर निगम की कमिश्नर प्रतिभा पाल का कहना है कि शहर में लगभग 1100 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है, जिसमें से करीब 600 टन जैविक कचरा निकलता है. 

इस जैविक कचरे का उपयोग करते हुए उन्होंने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर एक बायो सीएनजी पलांट स्थापित किया है. जिसकी क्षमता 550 मीट्रिक टन की रहेगी और इससे 18000 किलो बायो-सीएनजी हर दिन बनाई जायेगी और साथ ही बचे हुए मलबे से 100 टन खाद बनेगी. 

बताया जा रहा है कि यह भारत का पहला प्रोजेक्ट है जिसमें घरों के जैविक कचरे से 17 हज़ार किलो से ज़्यादा बायो सीएनजी बनाई जाएगी. 

शुरू हो चुका है ट्रायल:

इस प्रोजेक्ट का ट्रायल रन शुरू कर दिया है जिसमें 1500 किलो बायो सीएनजी बन रही है. जल्द ही पूरा प्लांट शुरू किया जाएगा. इसमें बनने वाली आधी सीएनजी इंदौर नगर निगम को सस्ती दरों पर दी जाएगी और बाकी बाजार में बेची जाएगी. 

इस सीएनजी के रिटेल दाम बाजार के बराबर ही रहेंगे और इसकी क्वालिटी भारत सरकार की गाइड लाइन अनुसार बेहतर बनाई जाएगी. 

शहर के 90 वार्ड से छोटी गाड़ियां कचरा कलेक्ट कर 11 ट्रांसफर स्टेशन पर ले जाती हैं जहां से यह कचरा ट्रेन्चिंग ग्राउंड प्लांट पर लाया जाता है. प्लांट पर लाने के बाद इस कचरे को छांट कर अलग किया जाता है. जैविक कचरे  को अलग कर स्लरी बनाकर, इसे बायो गैस बनाने के लिए प्रोसेस करते हैं. 20 से 25 दिन के प्रोसेस में बायो सीएनजी तैयार होती है. 

तैयार सीएनजी के लिए फिलिंग स्टेशन बनाया है जहां से नगर निगम की सिटी बसें सीएनजी ले सकती हैं.