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Pataliputra Lok Sabha Seat: RJD को नहीं मिली कभी जीत, Lalu भी हार चुके हैं यह सीट, एक बार फिर Ramkripal और Misa Bharti में टक्कर, जानिए पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का इतिहास

Bihar Lok Sabha Election 2024: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 2009 में हुआ था. उस चुनाव में जदयू उम्मीदवार डॉ. रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को हराया था. इस बार बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव और मीसा भारती में जोरदार टक्कर होने की उम्मीद है.

Pataliputra Lok Sabha Seat Pataliputra Lok Sabha Seat
हाइलाइट्स
  • पाटलिपुत्र सीट से लगातार तीन बार से जीत रहे एनडीए उम्मीदवार

  • एक बार फिर बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव आजमा रहे किस्मत

Ram Kripal Yadav vs Misa Bharti: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के सातवें चरण में 1 जून को वोट डाले जाएंगे. इसी फेज में बिहार की सबसे हॉट सीटों में से एक पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है. यहां एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) के बीच सीधी टक्कर है. हम आपको आज यादव बाहुल्य पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा समीकरण बताने जा रहे हैं. इस सीट से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव तक हार चुके हैं.

बीजेपी ने फिर रामकृपाल यादव पर जताया है भरोसा
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. इनमें  पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का अपना विशेष महत्व है. यह सीट इस बार भी एनडीए गठबंधन की तरफ से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में गई है. बीजेपी ने यहां से वर्तमान सांसद रामकृपाल यादव (Ramkripal Yadav) को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है. उधर, इंडिया अलायंस की तरफ से यह सीट लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की पार्टी राजद (RJD) के खाते में है. यहां से लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती (Misa Bharti) एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रही हैं. मीसा भारती अभी राज्यसभा सांसद हैं.

चाचा-भतीजी में जोरदार लड़ाई
रामकृपाल यादव कभी लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे. साल 2014 में आरजेडी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने लालू की पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन्हें तुरंत भाजपा ने अपना उम्मीदवार बना दिया था. रामकृपाल पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार कमल खिलाने की तैयारी में हैं. उधर, राजनीतिक मतभेदों के बीच मीसा भारती रामकृपाल यादव को अपना चाचा मानती हैं. रामकृपाल भी मीसा को अपनी भतीजी बताते हैं. रामकृपाल यादव को पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में मजबूत नेता माना जाता है. लोग उन्हें जमीनी नेता मानते हैं. उनकी यादव समाज में भी गहरी पैठ है. 

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यादवों के साथ भूमिहार और दूसरी सामान्य जातियां रामकृपाल यादव के समर्थन में देखी जाती हैं. इसके अलावा, जेडीयू के पिछड़े और अतिपिछड़े वोट भी रामकृपाल को समर्थन देते हैं. लोगों का मानना है कि रामकृपाल की हर समाज में पैठ है. उनके लिहाज से सामाजिक समीकरण भी फिट बैठते हैं और यही उनकी जीत की बड़ी वजह बनते आ रहे हैं. वह दो बार मीसा भारती को चुनाव में हरा चुके हैं. अब देखना है कि इस चुनाव में उलटफेर कर मीसा भारती लालटेन जला पाती हैं या पहले की तरह उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ेगा. 4 जून 2024 को सभी लोकसभा सीटों के साथ ही पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का भी रिजल्ट आएगा. 

क्या है पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का इतिहास
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इससे पहले पटना के लिए केवल एक लोकसभा सीट थी. परिसीमन के बाद पटना को दो सीटों में एक पाटलिपुत्र और दूसरा पटना साहिब में बांटा गया. परिसीमन के बाद 2009 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर पहला चुनाव हुआ था. उस चुनाव में जदयू उम्मीदवार डॉ. रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को हराया था. रंजन प्रसाद यादव ने 2.69 लाख वोट हासिल किए थे. पाटलिपुत्र सीट से लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 में एनडीए को सफलता मिल चुकी है. 

पटना लोकसभा क्षेत्र में पहले कांग्रेस का था दबदबा
पहले पटना लोकसभा क्षेत्र में पाटलिपुत्र शामिल था. कांग्रेस का पटना लोकसभा क्षेत्र में 1962 तक जलवा कायम रहा. इसी पार्टी के उम्मीदवार इस सीट से जीत हासिल करते रहे. लोकसभा चुनाव   1967 में सीपीआई के रामअवतार शास्त्री ने यहां से जीत दर्ज कर कांग्रेस के रथ को रोका. रामअवतार शास्त्री यहां से तीन बार  1967, 1971 और 1980 में सांसद चुने जा चुके हैं. डॉ. सीपी ठाकुर भी यहां से तीन बार 1984 में कांग्रेस के टिकट से इसके बाद लोकसभा चुनाव 1998 और 1999 में भाजपा के टिकट पर वह जीते थे. लोकसभा चुनाव 1989 में बीजेपी उम्मीदवार शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की थी. रामकृपाल यादव यहां से 1991 और 1996 में जनता दल, 2004 में राष्ट्रीय जनता दल, 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर संसद पहुंच चुके हैं.
गए।

2014 में मीसा भारती को हराया था
लोकसभा चुनाव 2014 में पाटलिपुत्र सीट से बीजेपी के राम कृपाल यादव ने आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती को हराया था. रामकृपाल यादव को 3,83,262 वोट मिले थे जो कुल वोट का 39.16 प्रतिशत था. मीसा भारती को 3,42,940 वोट मिले थे. जदयू के रंजन प्रसाद यादव 97,228 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. सीपीआईएमएल प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद को 51,623 मतों से संतोष करना पड़ा था. 2014 में 56.22 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था.

2019 में भी रामकृपाल यादव ने मारी बाजी
लोकसभा चुनाव 2019 में पाटलिपुत्र सीट से एक बार फिर बीजेपी उम्मीदवार राम कृपाल यादव जीत दर्ज करने में सफल हुए. रामकृपाल यादव को 509,557 वोट मिले थे. राजद उम्मीदवार मीसा भारती को 470,236 वोटों  के साथ दूसरे स्थान पर रही थीं. बसपा के मोहम्मद कलीमुल्लाह 14,045 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. भारतीय आम आवाम पार्टी के शैलेश कुमार को 9,628 मत प्राप्त हुए थे. अपना किसान पार्टी के शिव कुमार सिंह 8,354 वोटों के साथ पांचवें नंबर पर रहे थे. 

विधानसभा सीटों का क्या है समीकरण
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल छह विधानसभा सीटें दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम शामिल हैं. इनमें फुलवारी और मसौढ़ी एससी आरक्षित सीटें हैं. अभी सभी सीटों पर महागठबंधन का ही कब्जा है. दानापुर और मनेर से राजद के विधायक हैं. पालीगंज, फुलवारी और मसौढ़ी से भाकपा माले के विधायक और विक्रम विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं. हालांकि विक्रम विधानसभा के वर्तमान कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ अब भाजपा खेमे में चले गए हैं.

क्या है जातीय समीकरण
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 19,09,074 हैं. इसमें पुरुष मतदाता  9,99, 039 और महिला मतदाता 9,10, 035 हैं. थर्ड जेंडर के 56 मतदाता हैं. नए मतदाताओं की संख्या 14,050 है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में जाति समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं. यादव जाति की आबादी करीब 6 लाख है.उसके बाद सवर्ण वोटर आते हैं. जिसमें भूमिहार मतदाता, वैश्य, राजपूत आदि हैं.

कुशवाहा, कुर्मी और मुस्लिम वोटर भी चुनाव में खास पकड़ रखते हैं. भूमिहार समाज के लोगों की तादाद करीब 3 लाख है. कुर्मियों की संख्या 2 लाख के करीब है. एक लाख ब्राह्मण, 1.5 लाख मुस्लिम और बाकी दलित मतदाता हैं. फुलवारी विधानसभा मुस्लिम और कुर्मी बहुल क्षेत्र है. बिक्रम विधानसभा भूमिहार और मसौढ़ी में कुर्मी और यादव की बहुलता है. पालीगंज में सबसे ज्याद वोटर यादव और भूमिहार से आते हैं.