रायबरेली लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश में है. इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर सिर्फ 3 बार गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार की जीत हुई है. इस सीट पर गांधी परिवार का दबदबा रहा है. फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने संसद में रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया है. पिछले 20 साल से सोनिया गांधी इस सीट से सांसद हैं. चलिए आपको गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाने वाली रायबरेली लोकसभा सीट के समीकरण और इतिहास के बारे में बताते हैं.
किस पार्टी से कौन है उम्मीदवार-
यूपी में इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी शामिल है. जबकि एनडीए में बीजेपी, अपना दल, एसबीएसपी, आरएलडी और निषाद पार्टी शामिल है. रायबरेली लोकसभा सीट के लिए अभी किसी भी दल ने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. हालांकि माना जा रहा है कि इस सीट से इंडिया गठबंधन की तरफ से गांधी फैमिली का कोई सदस्य ही उम्मीदवार होगा.
2019 आम चुनाव में कांग्रेस की जीत-
रायबरेली लोकसभा सीट से साल 2019 आम चुनाव में सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी. सोनिया गांधी के खिलाफ बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था. लेकिन सोनिया गांधी ने एक लाख 67 हजार वोटों से जीत हासिल की. सोनिया गांधी को 55.80 फीसदी यानी 5 लाख 34 हजार 918 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार दिनेश सिंह को 38.36 फीसदी यानी 3 लाख 67 हजार 740 वोट मिले थे.
साल 2014 में सोनिया गांधी ने बीजेपी उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था. बीजेपी ने अजय अग्रवाल को मैदान में उतारा था. सोनिया गांधी को 63.80 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 21.05 फीसदी वोट हासिल हुए थे.
इस लोकसभा सीट का इतिहास-
रायबरेली लोकसभा सीट पर साल 1951-52 में चुनाव हुए थे. जिसमें कांग्रेस के उम्मीदवार फिरोज गांधी ने जीत हासिल की थी. उसके बाद उन्होंने एक बार फिर साल 1957 आम चुनाव में जीत दर्ज की. इसके बाद साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के आरपी सिंह सांसद बने. साल 1967 चुनाव में पहली बार इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद साल 1971 चुनाव में भी गांधी ने इसी सीट का प्रतिनिधित्व किया.
लेकिन आपातकाल के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में भारतीय लोकदल के राजनारायण ने इंदिरा गांधी को हरा दिया. साल 1980 में इस सीट से कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार के तौर पर इंदिरा गांधी ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1984 आम चुनाव में अरुण कुमार नेहरू को जीत मिली. इसके बाद साल 1989 आम चुनाव और 1991 आम चुनाव में कांग्रेस की शीला कौल को जीत मिली.
साल 1996 आम चुनाव में बीजेपी के अशोक सिंह ने जीत हासिल की. साल 1998 में भी अशोक सिंह ने फिर से जीत दर्ज की. साल 1999 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर वापसी की. कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन सतीश शर्मा को जीत मिली.
साल 2004 आम चुनाव में कांग्रेस ने पहली बार सोनिया गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाया. सोनिया गांधी ने इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के अशोक सिंह को हराया. इसके बाद साल 2006 उपचुनाव में भी सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की. इसके बाद से साल 2009, 2014 और 2019 में सोनिया गांधी ने इस सीट से जीत हासिल की.
गांधी परिवार का गढ़-
रायबरेली लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. इस सीट की सबसे बड़ी पहचान गांधी परिवार है. इस सीट से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने भी चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे. इस सीट पर सिर्फ 3 बार गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार की जीत हुई है. आपातकाल के बाद साल 1997 चुनाव में जनता पार्टी के राज नारायण को जीत मिली थी और साल 1996 से 1998 तक दो बार बीजेपी के अशोक सिंह ने जीत हासिल की थी. इसके अलावा इस सीट पर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को ही जीत मिली है. इस सीट से इंदिरा गांधी ने 3 बार और फिरोज गांधी ने 2 बार जीत दर्ज की. जबकि सोनिया गांधी ने 5 बार जीत हासिल की है.
इस सीट का जातीय समीकरण-
रायबरेली लोकसभा सीट पर ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य वोटर्स का दबदबा है. रायबरेली सीट पर कुल 18 लाख वोटर्स हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस सीट पर 11 फीसदी ब्राह्मण हैं. जबकि राजपूत वोटर्स की संख्या 9 फीसदी है. इनके अलावा 7 फीसदी यादव और 34 फीसदी अनुसूचित जाति के वोटर्स हैं. लोध 6 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी के अलावा दूसरे ओबीसी वोटर्स 23 फीसदी हैं. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 6 फीसदी है.
विधानसभा सीटों का गणित-
रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के तहत 5 विधानसभाएं आती हैं. इसमें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार शामिल हैं. 3 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और दो विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. बीजेपी के खाते वाली बछरावां से श्याम सुंदर, रायबरेली से अदिति सिंह और ऊंचाहार से मनोज पांडे को जीत मिली है. जबकि हरचंदपुर से समाजवादी पार्टी के राहुल राजपूत और सरेनी से देवेंद्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की है.
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