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Horlicks: आप भी अपने बच्चों को पिलाते हैं हॉर्लिक्स... अब यह हेल्थ ड्रिंक नहीं... जानिए Hindustan Unilever ने क्यों बदली कैटेगरी

Horlicks is Not a Health Drink: हॉर्लिक्स और Boost जैसे कई ब्रांड चलाने वाली Hindustan Unilever Limited ने हेल्थ फूड ड्रिंक्स कैटेगरी का नाम बदल दिया है. आखिर कंपनी ने ऐसा करने का निर्णय क्यों लिया, आइए यहां जानते हैं. 

Horlicks Horlicks
हाइलाइट्स
  • हॉर्लिक्स अब फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक्स कैटेगरी में शामिल

  • सरकार के निर्देश के बाद HUL ने लिया फैसला

यदि आप हॉर्लिक्स (Horlicks) का खुद सेवन करते हैं और अपने बच्चों को भी पिलाते हैं तो जान लीजिए अब हॉर्लिक्स हेल्थ ड्रिंक नहीं रहा. दरअसल, इसे बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Limited) ने इसकी कैटेगरी में बदलाव कर दिया है. कंपनी ने अपनी हेल्थ फूड ड्रिंक्स कैटेगरी का नाम बदलकर फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक्स (FND) कर दिया है. इस तरह हॉर्लिक्स से हेल्‍थ का लेबल हटा दिया गया है. हॉर्लिक्स और बूस्ट जैसी ड्रिंक्स हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) की कंपनी के प्रोडक्ट हैं. 

क्यों लिया HUL ने यह फैसला
Horlicks और Boost जैसे कई ब्रांड चलाने वाली हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) ने हेल्थ फूड ड्रिंक्स कैटेगरी का नाम बदलने का फैसला सरकार के निर्देश के बाद लिया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) ने कई पेय पदार्थों की कंपनियों को अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से हेल्थ ड्रिंक कैटेगरी को हटाने का निर्देश दिया था. 

मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि Bournvita और दूसरे पेय पदार्थों को हेल्थ ड्रिंक्स नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि ये कैटेगरी देश के फूड लॉ में परिभाषित नहीं है. इसके बाद 24 अप्रैल 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान HUL के मुख्य वित्तीय अधिकारी रितेश तिवारी ने कहा कि यह बदलाव हमारे प्रोडक्ट की कैटेगरी को ज्यादा सटीक और पारदर्शिता प्रदान करेगा.

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क्या है फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक का मतलब
Hindustan Unilever के अनुसार फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक कैटेगरी प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों यानी माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी को पूरा करती है. ऐसी ड्रिंक जिसमें एल्कोहल न हो, जिसमें पौधे, जानवर, समुद्री जीव या सूक्ष्मजीव के बायोएक्टिव कंपोनेंट हों और जिससे हेल्थ को फायदा मिले, उसे फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है.

हाई शुगर होने की तरफ ध्यान कराया था आकर्षित
फूड फार्मर नामक एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ने लोगों का बॉर्नविटा (Bournvita) में हाई शुगर होने की तरफ ध्यान आकर्षित किया था. इसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) को जांच का आदेश दिया था. इसके बाद कंपनिय को अपने प्रोडक्ट की कैटेगरी बदलनी पड़ी. 

अभी कुछ दिन पहले Nestle पर भी आरोप लगाया गया था कि ये ब्रांड इंडिया सहित दूसरे विकासशील देशों में नवजातों के लिए बेचे जाने वाले दूध में शुगर मिलाता है. ये भी कहा गया कि कंपनी ऐसा यूरोप या यूके के बाजारों में नहीं करती है. इसके बाद FSSAI ने Nestle के सेरेलैक प्रोडक्ट से जुड़े विवाद की जांच शुरू की है. उधर, Nestle की ओर से सफाई दी गई है कि उन्होंने अपने प्रोडक्ट की न्यूट्रिशनल क्वालिटी के साथ कभी समझौता नहीं किया और न ही करेंगे.